चन्द्र उदय आज 8.18 पर होगा.
शिवपुरी। करवाचौथ आज है, यानि एक 'चाँद' आसमान पर होगा। तो दूजा 'चाँद' निर्जला व्रत रखने के बाद 'चाँद' जैसे पति के लिये 'चाँद' को निहारकर लंबी उम्र मांगेगा। करवाचौथ वह त्योहार है, जिसका सभी सुहागिन बेसब्री से इंतजार करती हैं। इस दिन पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस बार करवा चौथ का व्रत 4 नवंबर यानि आज बुधवार को रखा गया है। सुहागिन महिलाएं पति के लिए व्रत रख रही हैं। तो वहीं लड़कियां मनचाहे वर के लिए यह व्रत रखती हैं। जहां सुहागिन इस व्रत में चंद्रमा की पूजा करती है तो वहीं, लड़कियां तारों को पूजती हैं।
इस करवा चौथ पर बुध के साथ सूर्य ग्रह भी विद्यमान हैं, दोनों की युति बुधादित्य योग बना रही है। इसके अलावा इस दिन शिवयोग के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि, सप्त कीर्ति, महादीर्घायु और सौख्य योग बन रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि में चतुर्थी तिथि प्रारंभ हो रही है, जबकि इस तिथि का अंत मृगशिरा नक्षत्र में होगा। पंडित विकासदीप शर्मा मंशापूर्ण ज्योतिष के अनुसार ज्योतिषीय गणना के मुताबिक इस दिन रोहिणी नक्षत्र और मंगल का योग एक साथ बना है। करवा चौथ पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग होना अपने आपमें अद्भुत है। यह योग करवा चौथ को और अधिक मंगलकारी बना रहा है। इससे करवा चौथ व्रत रखने वाली महिलाओं को पूजन का फल कई गुना अधिक मिलेगा। आज रात 8.16 पर चंद्रोदय होगा।
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पूजा का शुभ मुहूर्त
इस बार करवा चौथ व्रत पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5:29 बजे से 6:48 बजे तक का रहेगा। इस दिन चंद्रोदय रात 8:16 बजे पर होगा। शहर के हिसाब से चंद्रोदय के समय में बदलाव हो सकता है। पंचांग के अनुसार चतुर्थी तिथि का आरंभ 4 नवंबर को 03:24 पर होगा। चतुर्थी तिथि 5 नवंबर शाम 5:14 तक रहेगी।
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आज आप इस तरह सजिये सवरिये बोलीं जानकार
— हाथ और पैर में मेहंदी लगाने के दो घंटे बाद नींबू और चीनी के मिश्रण से हटा लें।
— शहद और दूध का फेस मास्क आपकी त्वचा की नमी बरकरार रखता है, साथ ही आपकी त्वचा को मुलायम और आकर्षक बनाता है। दूध में शहद मिलाकर तैयार फेस मास्क को त्वचा पर दस मिनट तक लगाने के बाद ताजे पानी से धो लें।
— अपनी त्वचा को साफ करके उस पर सनस्क्रीन तथा मॉयस्चराइजर का प्रयोग करें। तैलीय त्वचा के लिए एस्ट्रींजेंट लोशन का प्रयोग करने के बाद पाउडर लगाएं।
— आपकी त्वचा तैलीय है तो पाउडर का प्रयोग करने से बचें। चेहरे और गर्दन पर हल्के गीले स्पंज से पाउडर का प्रयोग करें। इससे चेहरे का सौंदर्य लंबे समय तक बना रहता है।
— दो चम्मच गेहूं का चोकर, एक चम्मच बादाम तेल, दही, शहद और गुलाब जल का पेस्ट बना कर इसे चेहरे पर लगाएं। 20 मिनट बाद चेहरा धो लें। इससे न केवल आपके चेहरे की खूबसूरती खिलेगी बल्कि चेहरा खिला खिला भी रहेगा।
— अगर आप फाउंडेशन का प्रयोग करना चाहती हैं तो केवल अपने चेहरे से मेल खाती हुई वाटर बेस्ड फांउडेशन का ही प्रयोग करें। हल्के कवरेज के लिए एक या दो बूंद पानी को प्रयोग में ला सकती हैं।
— फाउंडेशन के बाद चेहरे पर कुछ बूंदें पानी की यूज करें। फिर ब्लशर से चेहरे की खूबसूरती को दोगुनी कर लें।
— आंखों की खूबसूरती के लिए अपनी पलकों को पेंसिल या काजल से चमकाएं। आंखों पर कोमल प्रभाव के लिए पलकों पर भूरी या स्लेटी आई शैडो का प्रयोग करें। इसके बाद मस्कारा का प्रयोग करें जिससे आंखों पर चमक आ जाएगी।
— पहला कोट लगाने के बाद इसे सूखने दें तथा इसे कंघी या ब्रश कर लें। इसके बाद दूसरा कोट लगाएं और फिर से अन्य प्रक्रियाओं को पूरा कर लें।
— पूरे मेकअप के बाद अंत में लिपस्टिक लगाएं। लिपस्टिक लगाते समय शेड का चुनाव करते समय ध्यान रखें। अपनी स्किन टोन के मुताबिक ही लिपस्टिक शेड का चयन करें। वहीं, अगर आपने आई मेकअप डार्क किया है तो हल्के रंग की लिपस्टिक का चयन करें।
— लिपस्टिक की खूबसूरती के लिए डार्क कलर्स का उपयोग न करें।
सर्वेश प्रिया अरोरा, शिवपुरी
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कठिन व्रतों में एक करवा चौथ
पुराणों में वर्णित इस व्रत का महत्व अधिक है। महाभारत काल में भी इस व्रत का प्रसंग मिलता है। यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले शुरू होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद पूर्ण होता है।
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आइए जानते हैं,
यह व्रत शुरू कैसे हुआ और सबसे पहले किसने व्रत रखा
पुराणों में जिक्र है, कि करवा चौथ का व्रत मां पार्वती ने भगवान शंकर के लिए रखा था। जिस तरह भगवान शिव को पति के स्वरूप में पाने के लिए माता सती ने हरतालिका तीज का व्रत रखा था। उसी तरह सुहागिन अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिये यह व्रत रखती हैं, और देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं।
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कर्क चौथ व्रत की परंपरा
पुराणों के अनुसार देवी अनुसुईया ने मनवांछित पति के लिए यह व्रत रखा था। तब से यह परंपरा चली आ रही है। स्कंद पुराण के कुमारिका खंड में इस व्रत का उल्लेख मिलता है। उस समय इस व्रत को कर्क व्रत के रूप में जाना गया। लेकिन, कालांतर में इसका नाम करवा चौथ व्रत पड़ गया है।
महाभारत काल में व्रत का जिक्र
करवा चौथ व्रत की कथा का वर्णन महाभारत काल में भी मिलता है। अर्जुन नीलगिरी पर्वत पर तपस्या करने गए थे। उसी दौरान पांडवों पर कई तरह के संकट आ गए। तब द्रोपदी ने श्रीकृष्ण से पांडवों के संकट से उबरने का उपाय पूछा। तब कन्हैया ने उन्हें कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन करवा का व्रत करने को कहा। इसके बाद द्रोपदी ने यह व्रत किया और पांडवों को संकटों से मुक्ति मिल गई।
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क्या करना चाहिए, क्या नहीं
- करवा चौथ के दिन अगर आप अपनी शादी का जोड़ा पहनती हैं तो यह अधिक शुभ माना जाता है।
- करवा चौथ के दिन लाल और पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है, क्योंकि लाल रंग शुभता का प्रतीक है। साथ ही लाल रंग सुहाग की निशानी होता है। इसी कारण करवा चौथ पर महिलाओं को लाल रंग के कपड़े पहनना चाहिए।
- करवा चौथ के दिन अपने पति की नजर उतारती हैं तो उनकी सभी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है।
- करवा चौथ के दिन यदि आप करवा चौथ की कथा का पाठ करती है तो आपको पूर्ण फल की प्राप्ति होती है।
-करवा चौथ के दिन बहु को सास कपड़े, फल और मिठाईयां देती हैं, जिसे सरगी कहा जाता है।
- करवा चौथ पर पत्नी को भी अपने पति को उपहार भेंट करना चाहिए, जिससे कि आपके भाग्य में वृद्धि हो सके।
- चंद्रमा की पूजा करते समय एक दीपक जरूर जलाना चाहिए और फिर पति के हाथ से ही कुछ खाना-पीना चाहिए। खुद भी अपने पति को कुछ खिलाना चाहिए।
- करवा चौथ के दिन पत्नी को मंगलसूत्र अवश्य पहनना चाहिए और उस पर हल्दी लगानी चाहिए।
- सात्विक भोजन बनाना चाहिए क्योंकि इस दिन माता को भोग लगाया जाता है।
- करवा चौथ के दिन घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना चाहिए और सास के आशीर्वाद के बिना यह व्रत अधूरा माना जाता है ।
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करवा चौथ व्रत पूजन सामग्री
पीतल या मिट्टी का टोंटीदार करवा, करवा का ढक्कन, दीपक, रुई की बाती, कपूर, हल्दी, पानी का लोटा, करवा के ढक्कन में रखने के लिए गेहूं, लकड़ी का आसन, छलनी, कांस की 9 या 11 तीलियां, कच्चा दूध, अगरबत्ती, फूल, चंदन, शहद, शक्कर, फल, मिठाई, दही, गंगाजल, चावल, सिंदूर, महावर, मेहंदी, चूड़ी, बिछुआ, कंघी, बिंदी, चुनरी, प्रसाद के हलुआ, आठ पूरियों की अठावरी, पूड़ी व मिठाई और दक्षिणा के लिए रुपए।
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शिव परिवार की पूजा
करवाचौथ के दिन चंद्रदेव के साथ-साथ शिव-पार्वती सहित पूरे परिवार की विशेष पूजा अर्चना होती है। विशेषकर भगवान गणेश के भाल चंद्र रूप की पूजा अर्चना होती है। रात में चंद्रदेव को अर्घ्य देने के उपरांत ही जल ग्रहण किया जाता है। पूजन के बाद सास- ससुर और घर के बड़ों का आर्शीवाद जरूर लें। तथ्य को धार्मिक आधार से देखें तो कहा जाता है कि चंद्रमा भगवान ब्रह्मा का रूप है। एक मान्यता यह भी है कि चांद को दीर्घायु का वरदान प्राप्त है और चांद की पूजा करने से दीर्घायु प्राप्त होती है।
साथ ही चद्रंमा सुंदरता और प्रेम का प्रतीक भी होता है, यही कारण है कि करवा चौथ के व्रत में महिलाएं छलनी से चांद को देखकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है।
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इससे जुड़ी पौराणिक कथा ...
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक साहूकार की बेटी ने अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था पर अत्यधिक भूख की वजह से उसकी हालत खराब होने लगी थी। यह देखकर साहूकार के बेटों ने अपनी बहन से खाना खाने को कहा लेकिन साहूकार की बेटी ने खाना खाने से मना कर दिया। भाइयों से बहन की ऐसी हालत देखी नहीं गई तो उन्होंने चांद के निकलने से पहले ही एक पेड़ पर चढ़कर छलनी के पीछे एक जलता हुआ दीपक रखकर बहन से कहा कि चांद निकल आया है। बहन ने भाइयों की बात मान ली और दीपक को चांद समझकर अपना व्रत खोल लिया और व्रत खोलने के बाद उनके पति की मुत्यु हो गई और ऐसा कहा जाने लगा कि असली चांद को देखे बिना व्रत खोलने की वजह से ही उनके पति की मृत्यु हुई थी। तब से अपने हाथ में छलनी लेकर बिना छल-कपट के चांद को देखने के बाद पति के दीदार की परंपरा शुरू हुई जो आज भी जारी है।

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