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ख़बर जरा हटके, मेरा टेसू झई अड़ा खाने को मांगे दही बड़ा..

बुधवार, 11 नवंबर 2020

/ by Vipin Shukla Mama
                      टेेसुु
आ गई दिल वालों की दीपावली
दिल्ली।  साम्प्रदायिक सदभाव वाला हमारा देश भारत यूं तो साल भर कोई न कोई त्यौहार मनाता है, लेकिन साल के सबसे बड़े त्यौहार दीपावली की बात ही कुछ और है। रोशनी के दीये गरीब की चौखट से लेकर आलीशान बंगलों तक रोशन होते हैं। पटाखे छोड़े जाते हैं। लोग एक दूसरे को दीवाली की शुभकामनाएं देकर माता लक्ष्मी से देश, पड़ोस, एक दूजे के लिये दुआ मांगते हैं। इस बार दीपावली 14 नवंबर यानी शनिवार को है। 5 दिन का ये दीपोत्सव  धनतेरस से आरंभ हो रहा है। फिर छोटी दीपावली और बड़ी दीपावली जोरशोर से मनाई जाएगी।  उपचुनाव ने हमें दीपावली मनाने का मौका दे दिया ये कहना अतिश्योक्ति नहीं। खैर बात दीपावली की है तो लोग बाजार जाने लगे हैं। कपड़े, दीये, बिजली की झालर, पटाखे खरीद रहे हैं। बाजार उतना तो नहीं फिर भी खूब रोशन है। 
इस बीच हम आपको सालोँ पुरानी परंपरा की यादों में ले चलते हैं। यानि कि दीपावली के ठीक पहले आपके कानों ने सुना और देखा होगा, कि घर घर बच्चे हाथों में दीपक लिये आते हैं। एक तीन पैर की खास आकृति भी उनके पास होती है, जिसे वे टेसू कहते हैं। फिर टेसू झांझर के गीत सुनाकर कुछ पैसे आपसे लेकर जाते हैं। हम में से कुछ लोगों को भले ही याद हो लेकिन नई उम्र के युवाओं को शायद इसके बारे में कुछ कम जानकारी हो। तो आइए हम इसे शेयर कर रहे हैं।
टेसू के ये गीत:
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1. टेसू के भई टेसू के,
पान पसेरी के,
उड़ गए तीतर रह गए मोर
सड़ी डुकरिया लै गए चोर
चोरन के जब खेती भई
खाय डुकटटो मोटी भई।
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2. मेरा टेसू झंई अड़ा
खाने को मांगे दही बड़ा
दही बड़े में पन्नी
घर दो बेटा अठन्नी
अठन्नी अच्छी होती तो ढोलकी बनवाते
ढोलकी की तान अपने यार को सुनाते
यार का दुपट्टा साड़े सात की निशानी
देखो रे लोगे वो हो गई दिवानी।
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3. आगरे की गैल में छोकरी सुनार की
भूरे भूरे बाल उसकी नथनी हजार की
अपने महल में ढोलकी बजाती
ढोलकी की तान अपने यार को सुनाती
यार का दुपटटा साड़े सात की निशानी
देखो रे लोगो वो हो गई दिवानी।
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4. सेलखड़ी भई सेलखड़ी
नौ सौ डिब्बा रेल खड़ी
एक डिब्बा आरम्पार
उसमें बैठे मियांसाब
मियां साब की काली टोपी
काले हैं कलयान जी
गौरे हैं गुरयान जी
कूद पड़े हनुमान जी
लंका जीते राम जी।
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5. टेसू भैया बड़े कसाई
आंख फोड़ बन्दूक चलाई
सब बच्चन से भीख मंगाई
दौनों मर गए लोग लुगाई
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6. टेसू रे टेसू घंटा बजइयो,
एक नगरी नौ गाम बसइयो।
बस गई नगरी बस गए मोर,
हरी चिरैया को ले गए चोर।
मेरा टेसू रंग-बिरंगा,
इसने भांग खाई है।
मां कहे मेरा उत्तर-पुत्तर,
बहन कहे मेरा भाई है।
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7. टेसू के भई टेसू के, टेसू खूब मचाये शोर।
उड़ गए तीतर रह गए मोर, सड़ी डुकरिया लै गए चोर
चोरन के जब खेती भई, खाय डुकटटो मोटी भई।
टेसू की गय्या हाय रे दैय्या , अस्सी डला भुष खाय।
बड़े ताल को पानी पिए, हगन बटेश्वर जाय।
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9. लम्बी चुटिया, बूचे कान,
टेसू बड़े दबंग जवान
तीन टाँग से खड़े अकड़कर,
जैसे आए हों लड़-भिड़कर,
दिखा रहे हैं तीर-कमान,
 टेसू बड़े दबंग जवान
वीर बभ्रुवाहन कहलाते,
घर-घर जाकर अलख जगाते,
इनसे बढ़कर यही महान्,
टेसू बड़े दबंग जवान
मूँछों पर हैं ताव निकाले,
इनका गुस्सा कौन संभाले
रखते अजब निराली शान
टेसू बड़े दबंग जवान।
दिन में नहीं, रात में चलते,
किन्तु कमर पर दीपक जलते,
कभी न होती इन्हें थकान।
 टेसू बड़े दबंग जवान।
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9. आगरे को जाएँगे, चार कौड़ी लाएँगे,    कौड़ी अच्छी हुई तो, टेसू में लगाएँगे,
टेसू अच्छा हुआ तो, गाँव में घुमाएँगे,
गाँव अच्छा हुआ तो, चक्की लगवाएँगे,
चक्की अच्छी हुई तो, आटा पिसवाएँगे,
आटा अच्छा हुआ तो, पूए बनवाएँगे,
 पूए अच्छे हुए तो, गपगप खा जाएँगे,
खाकर अच्छा लगा तो बाग घूमने जाएँगे,
बाग अच्छा हुआ तो, माली को बुलाएँगे,
माली अच्छा हुआ तो, आम तुड़वाएँगे,
आम अच्छे हुए तो, घर भिजवाएँगे,
घर भिजवाकर, अमरस बनवाएँगे,
अमरस अच्छा हुआ तो, आगरे ले जाएँगे।
आगरे को जाएँगे, चार कौड़ी लाएँगे।
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10. टेसू रे टेसू घंटार बजइयो,
इक नगरी दो गाँव बसइयो,
बस गए तीतर, बस गए मोर,
 चोरन के घर खेती हुई,
 खाय चाची मोटी हुई,
 मोटी है के मायके आई,
 माई कहै मेरी लाड़ो आई,
 सिर के बाल कहाँ धर आई।
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11. उड़ गए तीतर रह गए मोर, गबरू बैल को ले गए चोर,
चोरों के घर खेती हुई, खाके चोरनी मोटी हुई,
मोटी होके मायके आई, देख हँसे सब लोग लुगाई,
गुस्सा होके पहुँची दिल्ली, दिल्ली से लाई दो बिल्ली, 
एक बिल्ली कानी, सब बच्चों की नानी,
नानी नानी टेसू आया, संग में अपने झाँझी लाया,
मेरा टेसू यहीं अड़ा, खाने को माँगे दही बड़ा,
दही बड़ा हो हइया, झट निकाल रुपइया,
 रुपए के तो ला अखरोट, मुझको दे दे सौ का नोट।
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12. मेरा टेसू यहीं खड़ा
मेरा दही बड़ा टेसू यहीं अड़ा, खाने को माँगे दही बड़ा,
दही बड़ा बहुतेरा, खाने को मुँह टेढ़ा। 
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13. आगरे की हाट में जाटनी बिहार की,
झुमके उसके लाख के तो नथनी हज़ार की। 
बैठ के अपने रंगमहल में ढोलकी बजाती,
ढोलकी की तान अपने तोते को सुनाती।
तोता बैठा रेल में तो मैना भी संग में चढ़ी,
सीटी मार के धुआँ उड़ाती रेल फ़ौरन चल पड़ी।
रेल के पहले ही डिब्बे में टेसू जी थे खड़े हुए,
तीन टाँग और काली टोपी जिसमें लड्डू पड़े हुए।  
लड्डू पेड़े खाने वाले काले हैं कल्यान जी,
दूध दूधिया पीने वाले गोरे हैं मलखान जी। 
लाल सिंदूर लगा लंका में कूद पड़े हनुमान जी,
जय बोलो सीता मइया की लंका जीते राम जी।
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15. एक पिटारा हमने खोला, उसमें से निकला भप्पू गोला,
भप्पू गोले को दिया तमाचा, कठपुतली बनकर वह नाचा।
कठपुतली ने गाड़े खूँट, बँधे मिले उनमें सौ ऊँट,
उन ऊँटों पर हुई सवारी, राह में मिल गई सड़ी सुपारी।
सड़ी सुपारी को जब काटा, उसमें से निकला नौ मन आटा,
नौ मन आटे की बनाई रोटी, उसमें से निकली झाँझी छोटी।
झाँझी ने जब घूँघट खोला, पीछे से यों टेसू बोला,
महाभारत की रेलमपेल, मैंने देखा सारा खेल।
कहता हूँ डंके की चोट, फौरन दे दो सौ का नोट।
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15. टेसू आए बानवीर, हाथ लिए सोने का तीर,
एक तीर से पत्ते झाड़े, कान्हा जी देखत रहे ठाड़े।
कान्हा जी की बन्सी बाजी, राधा छून छनाछन नाची,
एक घुँघरू टूट गया, दूध का मटका फूट गया।
या तो जल्दी मटका जोड़ो, या फिर अपना बटुआ खोलो,
रुपया धेली जो कुछ हो, टेसू बीर के नाम पे दो।
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तो कैसी लगे ये टेसू गीत, जरूर कमेंट लिखियेगा। दीवाली दिल खोलकर मनाइये। मास्क जरूर लगाएं जिससे सांसे ईमानदारी से अंदर जा सके।
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महाभारतकालीन है, टेसू
जानकार बताते हैं कि महाभारतकाल में कुंती के विवाह से पहले दो पुत्र हुए। इसमें से कुंती ने अपना एक पुत्र जंगल में छोड़ दिया, जिसका नाम बब्बरवाहन था। यह बड़ा होकर उपद्रव मचाने लगा। जिसका श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से सिर काट दिया, लेकिन अमृत पीने के कारण वह नहीं मरा। जब श्रीकृष्ण को पता चला कि विवाह बाद इसे मारा जा सकता है तो उन्होंने छल से इसका विवाह कराया, जिसके बाद उसका संहार किया, तब से यह टेसू का खेल शुरू हुआ। 
टेसू और झेंझी की शादी के लिए बच्चे घर-घर जाकर रुपए एकत्रित करते हैं और पूर्णिमा के दिन यानी 14 नवंबर को इनकी शादी होनी है। यह महाभारतकालीन परंपरा शहर में आज भी जीवित है। टेसू का यह त्योहार द्वापर युग से मनाया जाता है। इस त्योहार का आरंभ दशहरे से एक दिन पहले नवमी से हो जाता है और इसका समापन शरद पूर्णिमा को टैसू और झेंझी के विवाह के साथ होता है। टेसू की मुख्य आकृति का ढांचा तीन लकड़ियों को जोड़कर बनाया गया स्टेण्ड होता है जिस पर बीच में दीया, मोमबत्ती रखने का स्थान होता है। 
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