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#धमाका धर्म: चैत्र नवरात्रि 30 मार्च 2025 से, पहला शुभ मुहूर्त सुबह 06.13 बजे से सुबह 10:22 बजे, फिर दोपहर 12:01 बजे से दोपहर 12.50 बजे तक अभिजीत मुहूर्त में घटस्थापना कर सकेंगे

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शिवपुरी। चैत्र नवरात्रि 30 मार्च 2025 से शुरू होने जा रही है। यह 9 दिवसीय उत्सव है जो पूरे भारत में विभिन्न परंपराओं के माध्यम से मनाया जाता है। तिथि और अवधि: 2025 में चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू होकर 7 अप्रैल को समाप्त होगी। इस साल चैत्र नवरात्रि की अष्टमी 5 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी. जबकि राम नवमी या नवमी 6 अप्रैल को होगी। इस साल चैत्र नवरात्र पर घटस्थापना या कलश स्थापना के दो शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. पहला शुभ मुहूर्त 30 मार्च को सुबह 06.13 बजे से सुबह 10:22 बजे तक रहेगा. फिर दोपहर 12:01 बजे से दोपहर 12.50 बजे तक अभिजीत मुहूर्त में घटस्थापना कर सकेंगे।








#धमाका खास खबर: केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने निभाया चुनावी वादा, अशोकनगर में विश्व स्तरीय बीपीओ सेंटर का किया शुभारंभ, रोजगार के क्षेत्र में जिले को मिली रोज़गार और अर्थव्यवस्था की बड़ी सौगात

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*सिंधिया बोले “यह बीपीओ बनेगा अशोकनगर का विकास और प्रगति का डिजिटल हाईवे”
* जो कॉल सेंटर दिल्ली, मुंबई और बैंगलोर में लगता था वह अब अशोकनगर में स्थापित होगया हैं- सिंधिया
अशोकनगर। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपना चुनावी वादा पूरा करते हुए आज अशोकनगर जिले को रोजगार के क्षेत्र में एक बड़ी सौगात प्रदान की है। सिंधिया ने शहर के लॉ कॉलेज में स्थापित किए गए बीपीओ के चार कॉल सेंटर्स वोडाफोन, एयरटेल, जियो और बीएसएनएल —का विधिवत शुभारंभ किया है। इस कॉल सेंटर के माध्यम से जिले के सैकड़ों युवाओं को रोजगार मिलने जा रहा है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिंधिया ने कहा कि “आज मेरे लिए बेहद भावुक और गर्व का क्षण है, लोकसभा चुनाव के दौरान मैंने आपसे जो वादा किया था, आज उसे पूरा करने की खुशी महसूस कर रहा हूं।” अब हमारे बेटे बेटियों को अपना सपना पूरा करने के लिए दूसरे शहरों में नहीं भटकना पड़ेगा। वे अपने जिले में आत्मनिर्भर बनेंगे और देश दुनिया में अशोकनगर का नाम रोशन करेंगे। इस दौरान सिंधिया के साथ कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार भी मौजूद रहे। 
*कॉल सेंटर को बताया विकास का डिजिटल हाईवे
सिंधिया ने अपने भाषण में कहा कि जो प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को विश्व के साथ जोड़ने का जो सपना देखा है, उसकी शुरुआत आज अशोकनगर से हो रही। इसलिए इस पहल को मैं विकास का डिजिटल हाईवे मानता हूं। सिंधिया ने कहा आज जब मैंने कॉल सेंटर्स के कमरों में प्रवेश किया तो मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया। आज अशोकनगर ने दिखा दिया कि ग्वालियर - चंबल के बच्चों में भी असीम संभावनाएं हैं। इस दौरान सिंधिया ने कार्यक्रम में उपस्थित वोडाफोन, एयरटेल, जियो और बीएसएनएल के प्रतिनिधियों को अच्छा वातावरण तैयार करने के लिए धन्यवाद दिया। 
*एक साल के भीतर एक हजार से ज्यादा लोगों देंगे रोजगार- सिंधिया
मंत्री सिंधिया ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान में इस कॉल सेंटर में 250 लोगों को प्रशिक्षण देकर नौकरी दी जा रहा है। आने वाले एक साल के भीतर इस आंकड़े को हम 1 हजार के पार पहुंचाएंगे। साथ ही आगामी एक - डेढ़ साल में हम इस सेंटर को स्थाई बिल्डिंग में शिफ्ट करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने अशोकनगर के युवाओं से कहा कि अब आपको नौकरी की तलाश में बाहर जाने की जरूरत नहीं है, नौकरी आपकी तलाश में चलकर यहां आएगी। 
*नौकरी मिलने पर युवाओं ने दिया सिंधिया को धन्यवाद
एयरटेल बीपीओ में काम करने वाले अनिल यादव ने नौकरी मिलने पर मंत्री सिंधिया को अपनी ओर धन्यवाद दिया। अनिल पूर्व में एक स्कूल में शिक्षक थे, लेकिन बीपीओ में नौकरी मिलने के बाद उन्होंने कहा कि आज उनका सपना पूरा हो गया है। इसके साथ ही सिंधिया ने कॉल सेंटर पर काम करने वाले युवाओं को सलाह भी दी। सिंधिया ने कहा कि फैक्ट्री में काम करना अलग होता है और कॉल सेंटर पर काम करना अलग बात है। इसलिए हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम अपने उपभोक्ताओं को अच्छी सेवाएं उपलब्ध करा सकें। 
*नौकरी में महिलाओं को मिले प्राथमिकता - सिंधिया
इस दौरान सिंधिया ने कॉल सेंटर पर महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर भी कंपनियों से जानकारी ली। जिसपर VI कंपनी की ओर से उन्हें बताया गया कि उनके कॉल सेंटर में  50 प्रतिशत महिला कर्मचारी काम कर रहीं है।
*सिंधिया ने सुनी कस्टमर केयर लाइव कॉल
कॉल सेंटर के भ्रमण के दौरान मंत्री सिंधिया ने एक लाइव कॉल सेशन भी अटेंड किया। इस दौरान उन्होंने सेंटर पर आने वाले कॉल्स की प्रक्रिया को गौर से देखा और सुना। साथ ही कॉल सेंटर पर कार्य करने वाले युवाओं को कुछ सुझाव भी दिए।









#धमाका धर्म: भारतीय नववर्ष गुड़ी पड़वा 30 मार्च को, जानिए क्या है गुड़ी पड़वा: पंडित विकासदीप शर्मा

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शिवपुरी। गुड़ी पड़वा 'हिन्दू नववर्ष' के रूप में पूरे भारत में मनाई जाती है। चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को "गुड़ी पड़वा" या "वर्ष प्रतिपदा" या "उगादि" (युगादि) कहा जाता है जो इस बार 30 मार्च 2025 को है। इस दिन सूर्य, नीम की पत्तियाँ, अर्ध्य, पूरनपोली, श्रीखंड और ध्वजा पूजन का विशेष महत्त्व होता है। माना जाता है कि चैत्र माह से हिन्दूओं का नववर्ष आरंभ होता है। सूर्योपासना के साथ आरोग्य, समृद्धि और पवित्र आचरण की कामना की जाती है। गुड़ी पड़वा के दिन घर-घर में विजय के प्रतीक स्वरूप गुड़ी सजाई जाती है। उसे नवीन वस्त्राभूषण पहना कर शक्कर से बनी आकृतियों की माला पहनाई जाती है। पूरनपोली और श्रीखंड का नैवेद्य चढ़ा कर नवदुर्गा, श्रीरामचन्द्र एवं उनके भक्त हनुमान की विशेष आराधना की जाती है।
हिन्दू नववर्ष का प्रारम्भिक दिन'गुड़ी पड़वा' के अवसर पर लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं, द्वार पर रंगोली बनाते हैं और दरवाज़ों को आम की पत्तियों व गेंदे के फूलों से सजाते हैं। इस दिन घरों के आगे एक-एक 'गुड़ी' या झंडा रखा जाता है और उसके साथ स्वास्तिक चिह्न वाला एक बर्तन व रेशम का कपड़ा भी रखा जाता है। लोग पारम्परिक वस्त्र पहनते हैं। महिलाएँ नौ गज लम्बी साड़ी पहनती हैं। वैसे तो पौराणिक रूप से गुड़ी पड़वा का अलग महत्त्व है, लेकिन प्राकृतिक रूप से इसे समझा जाए तो सूर्य ही सृष्टि के पालनहार हैं। अत: उनके प्रचंड तेज को सहने की क्षमता पृ‍‍थ्वीवासियों में उत्पन्न हो, ऐसी कामना के साथ सूर्य की अर्चना की जाती है। इस दिन 'सुंदरकांड', 'रामरक्षास्तोत्र' और देवी भगवती के मंत्र जाप का विशेष महत्त्व है। हमारी भारतीय संस्कृति और ऋषियों-मुनियों ने 'गुड़ी पड़वा' अर्थात् चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से 'नववर्ष' का आरंभ माना है। 'गुड़ी पड़वा' पर्व धीरे-धीरे औपचारिक होती चली जा रही है, लेकिन इसका व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं हो पाया है।
अर्थ और महत्त्व
'गुड़ी' का अर्थ होता है- 'विजय पताका'। कहा जाता है कि इसी दिन ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसी दिन से नया संवत्सर भी प्रारम्भ होता है। अत: इस तिथि को 'नवसंवत्सर' भी कहते हैं। कहा जाता है कि ब्रह्मा ने सूर्योदय होने पर सबसे पहले चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को सृष्टि की संरचना शुरू की। उन्होंने इस प्रतिपदा तिथि को 'प्रवरा' अथवा 'सर्वोत्तम तिथि' कहा था। इसलिए इसको सृष्टि का प्रथम दिवस भी कहते हैं। इस दिन से संवत्सर का पूजन, नवरात्र का घटस्थापन, ध्वजारोपण, वर्षेश का फल पाठ आदि विधि-विधान किए जाते हैं। चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा वसंत ऋतु में आती है। इस ऋतु में सम्पूर्ण सृष्टि में सुन्दर छटा बिखर जाती है।
गुड़ी पड़वा का मुहूर्त
1.  चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में जिस दिन सूर्योदय के समय प्रतिपदा हो, उस दिन से नव संवत्सर आरंभ होता है।
2.  यदि प्रतिपदा दो दिन सूर्योदय के समय पड़ रही हो तो पहले दिन ही गुड़ी पड़वा मनाते हैं।
3.  यदि सूर्योदय के समय किसी भी दिन प्रतिपदा न हो, तो तो नव-वर्ष उस दिन मनाते हैं जिस दिन प्रतिपदा का आरंभ व अन्त हो। अधिक मास होने की स्थिति में 
निम्नलिखित नियम के अनुसार गुड़ी पड़वा मनाते हैं।
प्रत्येक 32 माह, 16 दिन और 8 घटी के बाद वर्ष में अधिक मास जोड़ा जाता है। अधिक मास होने के बावजूद प्रतिपदा के दिन ही नव संवत्सर आरंभ होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अधिक मास भी मुख्य महीने का ही अंग माना जाता है। इसलिए मुख्य चैत्र के अतिरिक्त अधिक मास को भी नव सम्वत्सर का हिस्सा मानते हैं।
गुडी पडवा की पूजा-विधि
निम्न विधि को सिर्फ़ मुख्य चैत्र में ही किए जाने का विधान है–
• नव वर्ष फल श्रवण (नए साल का भविष्यफल जानना)
• तैल अभ्यंग (तैल से स्नान)
• निम्ब-पत्र प्राशन (नीम के पत्ते खाना)
• ध्वजारोपण
• चैत्र नवरात्रि का आरंभ
• घटस्थापना
संकल्प के समय नव वर्ष नामग्रहण (नए साल का नाम रखने की प्रथा) को चैत्र अधिक मास में ही शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जा सकता है। इस संवत्सर का नाम सिद्धार्थी  है तथा वर्ष 2082 है। साथ ही यह श्री शालीवाहन शकसंवत 1947 भी है।
नव संवत्सर का राजा (वर्षेश)
नए वर्ष के प्रथम दिन के स्वामी को उस वर्ष का स्वामी भी मानते हैं। 2025 में हिन्दू नव वर्ष रविवार से आरंभ हो रहा है, अतः नए सम्वत् का स्वामी सूर्य तथा मंत्री भी सूर्य ही है।
गुड़ी पड़वा के पूजन-मंत्र
गुडी पडवा पर पूजा के लिए आगे दिए हुए मंत्र पढ़े जा सकते हैं। कुछ लोग इस दिन व्रत-उपवास भी करते हैं।
प्रातः व्रत संकल्प
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्रह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे सिद्धार्थी नामसंवत्सरे चैत्रशुक्ल प्रतिपदि अमुकवासरे अमुकगोत्रः अमुकनामाऽहं प्रारभमाणस्य नववर्षस्यास्य प्रथमदिवसे विश्वसृजः श्रीब्रह्मणः प्रसादाय व्रतं करिष्ये।
शोडषोपचार पूजा संकल्प
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्रह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे सिद्धार्थी नाम संवत्सरे चैत्रशुक्ल प्रतिपदि अमुक वासरे अमुकगोत्रः अमुकनामाऽहं प्रारभमाणस्य नववर्षस्यास्य प्रथमदिवसे विश्वसृजो भगवतः श्रीब्रह्मणः षोडशोपचारैः पूजनं करिष्ये।
पूजा के बाद व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस मंत्र का जाप करना चाहिए–
ॐ चतुर्भिर्वदनैः वेदान् चतुरो भावयन् शुभान्।
ब्रह्मा मे जगतां स्रष्टा हृदये शाश्वतं वसेत्।।
गुड़ी पड़वा मनाने की विधि
1. प्रातःकाल स्नान आदि के बाद गुड़ी को सजाया जाता है। लोग घरों की सफ़ाई करते हैं। गाँवों में गोबर से घरों को लीपा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन अरुणोदय काल के समय अभ्यंग स्नान अवश्य करना चाहिए। सूर्योदय के तुरन्त बाद गुड़ी की पूजा का विधान है। इसमें अधिक देरी नहीं करनी चाहिए।
2. चटख रंगों से सुन्दर रंगोली बनाई जाती है और ताज़े फूलों से घर को सजाते हैं।
3. नए व सुन्दर कपड़े पहनकर लोग तैयार हो जाते हैं। आम तौर पर मराठी महिलाएँ इस दिन नौवारी (9 गज लंबी साड़ी) पहनती हैं और पुरुष केसरिया या लाल पगड़ी के साथ कुर्ता-पजामा या धोती-कुर्ता पहनते हैं।
4. परिजन इस पर्व को इकट्ठे होकर मनाते हैं व एक-दूसरे को नव संवत्सर की बधाई देते हैं।
5. इस दिन नए वर्ष का भविष्यफल सुनने-सुनाने की भी परम्परा है।
6. पारम्परिक तौर पर मीठे नीम की पत्तियाँ प्रसाद के तौर पर खाकर इस त्यौहार को मनाने की शुरुआत की जाती है। आम तौर पर इस दिन मीठे नीम की पत्तियों, गुड़ और इमली की चटनी बनायी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इससे रक्त साफ़ होता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसका स्वाद यह भी दिखाता है कि चटनी की ही तरह जीवन भी खट्टा-मीठा होता है।
7. गुड़ी पड़वा पर श्रीखण्ड, पूरन पोळी, खीर आदि पकवान बनाए जाते हैं।
8. शाम के समय लोग लेज़िम नामक पारम्परिक नृत्य भी करते हैं।
गुड़ी कैसे लगाएँ
1. जिस स्थान पर गुड़ी लगानी हो, उसे भली-भांति साफ़ कर लेना चाहिए।
2. उस जगह को पवित्र करने के लिए पहले स्वस्तिक चिह्न बनाएँ।
3. स्वस्तिक के केन्द्र में हल्दी और कुमकुम अर्पण करें।
विभिन्न स्थलों में गुड़ी पड़वा आयोजन
देश में अलग-अलग जगहों पर इस पर्व को भिन्न-भिन्न नामों से मनाया जाता है।
1. गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय इसे संवत्सर पड़वो नाम से मनाता है।
2. कर्नाटक में यह पर्व युगाड़ी नाम से जाना जाता है।
3. आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना में गुड़ी पड़वा को उगाड़ी नाम से मनाते हैं।
4. कश्मीरी हिन्दू इस दिन को नवरेह के तौर पर मनाते हैं।
5. मणिपुर में यह दिन सजिबु नोंगमा पानबा या मेइतेई चेइराओबा कहलाता है।
6. इस दिन चैत्र नवरात्रि भी आरम्भ होती है।
इस दिन महाराष्ट्र में लोग गुड़ी लगाते हैं, इसीलिए यह पर्व गुडी पडवा कहलाता है। एक बाँस लेकर उसके ऊपर चांदी, तांबे या पीतल का उलटा कलश रखा जाता है और सुन्दर कपड़े से इसे सजाया जाता है। आम तौर पर यह कपड़ा केसरिया रंग का और रेशम का होता है। फिर गुड़ी को गाठी, नीम की पत्तियों, आम की डंठल और लाल फूलों से सजाया जाता है।
गुड़ी को किसी ऊँचे स्थान जैसे कि घर की छत पर लगाया जाता है, ताकि उसे दूर से भी देखा जा सके। कई लोग इसे घर के मुख्य दरवाज़े या खिड़कियों पर भी लगाते हैं।
गुड़ी का महत्व
कहा जाता है कि चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में अवतार लिया था। सूर्य में अग्नि और तेज हैं, चन्द्रमा में शीतलता। शान्ति और समृद्धि का प्रतीक सूर्य और चन्द्रमा के आधार पर ही सायन गणना की उत्पत्ति हुई है। इससे ऐसा सामंजस्य बैठ जाता है कि तिथि वृद्धि, तिथि क्षय, अधिक मास, क्षय मास आदि व्यवधान उत्पन्न नहीं कर पाते। तिथि घटे या बढ़े, लेकिन 'सूर्य ग्रहण' सदैव अमावस्या को होगा और 'चन्द्र ग्रहण' सदैव पूर्णिमा को ही होगा।
* यह भी मान्यता है कि ब्रह्मा ने वर्ष प्रतिपदा के दिन ही सृष्टि की रचना की थी। विष्णु भगवान ने वर्ष प्रतिपदा के दिन ही प्रथम जीव अवतार (मत्स्यावतार) लिया था।माना जाता है कि शालिवाहन ने शकों पर विजय आज के ही दिन प्राप्त की थी। इसलिए 'शक संवत्सर' प्रारंभ हुआ।
* मराठी भाषियों की एक मान्यता यह भी है कि मराठा साम्राज्य के अधिपति छत्रपति शिवाजी महाराज ने वर्ष प्रतिपदा के दिन ही 'हिन्दू पद पादशाही' का भगवा विजय ध्वज लगाकर हिन्दू साम्राज्य की नींव रखी थी।
* चैत्र ही एक ऐसा महीना है, जिसमें वृक्ष तथा लताएँ फलते-फूलते हैं। शुक्ल प्रतिपदा का दिन चंद्रमा की कला का प्रथम दिवस माना जाता है। जीवन का मुख्य आधार वनस्पतियों को सोमरस चंद्रमा ही प्रदान करता है। इसे औषधियों और वनस्पतियों का राजा कहा गया है। इसीलिए इस दिन को वर्षारंभ माना जाता है।
* कई लोगों की मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम ने बाली के अत्याचारी शासन से दक्षिण की प्रजा को मुक्ति दिलाई थी। बाली के त्रास से मुक्त हुई प्रजा ने घर-घर में उत्सव मनाकर ध्वज (गुडियाँ) फहराए। आज भी घर के आँगन में गुड़ी खड़ी करने की प्रथा महाराष्ट्र में प्रचलित है। इसीलिए इस दिन को 'गुड़ी पडवा' नाम दिया गया। महाराष्ट्र में इस दिन पूरनपोली या मीठी रोटी बनाई जाती है। इसमें जो चीजें मिलाई जाती हैं, वे हैं- गुड़, नमक, नीम के फूल, इमली और कच्चा आम। गुड़ मिठास के लिए, नीम के फूल कड़वाहट मिटाने के लिए और इमली व आम जीवन के खट्टे-मीठे स्वाद चखने का प्रतीक होती है।
*  'नवसंवत्सर' प्रारम्भ होने पर भगवान की पूजा करके प्रार्थना करनी चाहिए- "हे भगवान! आपकी कृपा से मेरा वर्ष कल्याणमय हो, सभी विघ्न बाधाएँ नष्ट हों। दुर्गा की पूजा के साथ नूतन संवत्‌ की पूजा करें। घर को वन्दनवार से सजाकर पूजा का मंगल कार्य संपन्न करें। कलश स्थापना और नए मिट्टी के बरतन में जौ बोएँ और अपने घर में पूजा स्थल में रखें। स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए नीम के पेड़ की कोंपलों के साथ मिस्री खाने का भी विधान है। इससे रक्त से संबंधित बीमारी से मुक्ति मिलती है।
* गुड़ी को धर्म-ध्वज भी कहते हैं; अतः इसके हर हिस्से का अपना विशिष्ट अर्थ है–उलटा पात्र सिर को दर्शाता है जबकि दण्ड मेरु-दण्ड का प्रतिनिधित्व करता है।
* किसान रबी की फ़सल की कटाई के बाद पुनः बुवाई करने की ख़ुशी में इस त्यौहार को मनाते हैं। अच्छी फसल की कामना के लिए इस दिन वे खेतों को जोतते भी हैं।
आप सभी सनातन धर्म प्रेमियों को भारतीय नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

#धमाका_खास_खबर: कूनो के जंगल में हिरणों के झुंड का पीछा करते चीता का जोड़ा देख पर्यटक फैमिली कर उठी वाओ, वाओ, गुरुग्राम के पर्यटक विशाल सेठ और ग्वालियर के अभिषेक सिंह की फैमिली को नजर आया चीता का जोड़ा, video

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#Dhamaka_Special_News: Tourist family exclaimed wow, wow after seeing a pair of cheetahs chasing a herd of deer in Kuno forest, tourist Vishal Seth from Gurugram and Abhishek Singh's family from Gwalior spotted a pair of cheetahs, video
कूनो। देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने श्योपुर जिले के जिस कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीकन चीता छोड़े थे अब यह प्रोजेक्ट निरन्तर सफलता की तरफ अग्रसर होता दिखाई देने लगा है। लगातार चीता मौतों की बदनामी से उबरने के बाद शावकों के जन्म के साथ मिलना शुरू हुई अच्छी खबरें तब और अधिक वायरल होने लगीं जब भारत में जन्में चीतों को खुले जंगल में छोड़ा गया। अब ये चीता हर दिन किसी न किसी को दिखाई देने लगे है जिससे चीता सफारी के नए सफर की शुरुआत हो गई है। इसी क्रम में कूनो के जंगल में हिरणों के झुंड का पीछा करते चीता का जोड़ा देख पर्यटक फैमिली कर वाओ, वाओ कर उठी। गुरुग्राम के पर्यटक विशाल सेठ और ग्वालियर के अभिषेक सिंह की फैमिली को ये चीता का जोड़ा अलग अलग दिन नजर आया है।
                   (देखिए video) 
गुरुग्राम के पर्यटक विशाल सेठ को कल तो आज ग्वालियर के अभिषेक सिंह की फैमिली को नजर आया चीता जोड़ा
कल के बाद आज सुबह भी पर्यटकों को चीता जोड़ा दिखाई दिया है। इसी क्रम में 
कूनो नेशनल पार्क में शुक्रवार 28 मार्च को सुबह पर्यटक विशाल सेठ गुरुग्राम vishal seth from gurugram को चीता जोड़े में नजर आया उनकी फैमिली वाओ करती दिखी। ठीक इसी तरह शनिवार की सुबह ग्वालियर निवासी अभिषेक सिंह की फैमिली abhishek singh family'l को भी चीता का जोड़ा दिखाई दिया। खास बात ये थी कि चीता अपने शिकार के मिशन पर एक हिरणों के झुंड की तरफ नज़रे गढ़ाए आगे बढ़ रहा था। इस तरह अब कुनो नेशनल पार्क में चीते देखे जाने की खबरें लगातार मिल रही हैं। तभी से जब कुनो नेशनल पार्क में चीतों को खुले जंगल में छोड़ा गया है।
कुनो नेशनल पार्क में चीतों के दिखने से पर्यटकों की संख्या बढ़ी है। कुनो नेशनल पार्क में चीतों के दिखने से रोज़गार के अवसर भी पैदा हुए हैं।
कुनो नेशनल पार्क में चीतों के लिए गाइड ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चल रहे हैं।
रण थंबोर नेशनल पार्क के टाइगर से मिलकर कूनो के चीता देखकर शिवपुरी में पर्यटक सुनेंगे माधव टाइगर रिजर्व में बाघों की दहाड़
अब वो दिन दूर नहीं जब एक नया टूरिस्ट सर्किट बनकर तैयार होगा। पर्यटक रण थंबोर के टाइगर से मिलकर कूनो के चीता से मिलेंगे फिर शिवपुरी में आकर माधव टाइगर रिजर्व के बाघों की दहाड़ सुना करेंगे। पर्यटन के रास्ते से रोजगार की नई इबारत लिखी जाना तय है। बस लोगों को अपनी संकीर्ण सोच से बाहर निकलने की आवश्यकता है। उन्हें याद रखना चाहिए कि रण थंबोर, कार्बेट, पन्ना, पेंच टाइगर रिजर्व इलाकों में देश विदेश के पर्यटक पहुंचते है और वहां टूरिज्म एक बड़ा व्यापार है जो किसी भी उद्योग की परिकल्पना को पीछे छोड़ने में समर्थ है।











#धमाका_अलर्ट: शहर के हासे स्कूल नंबर 2 में 7 दिन का पुस्तक मेला रविवार से शुरू होगा, बच्चों के लिए खरीदिए स्टेशनरी, किताबें, यूनिफार्म, सभी किताबें (पुस्तक) पर मिलेगा 5% डिस्काउंट, निजी स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक ठाकुर ने कहा, कलेक्टर रवीन्द्र चौधरी की पहल पर शिक्षा विभाग 30 से 5 अप्रैल तक लगा रहा मेला, 7 दिन के पुस्तक मेला से बच्चों की यूनिफार्म, कॉपी, किताब क्रय कर सकते हैं पेरेंट्स

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शिवपुरी। कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी के निर्देशन में शहर के उमावि क्रमांक 2 स्कूल परिसर में सात दिवसीय पुस्तक मेला आयोजित करने जा रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग की देखरेख में रविवार 30 मार्च से से जहां विभिन्न स्टेशनरी स्टोर संचालक, पुस्तक वितरक एवं गणवेश वितरण अपनी दुकान लगाएंगे। जिसमें निजी स्कूलों का कोई भी छात्र छात्रा अपने लिए गणवेश, स्टेशनरी, किताब, कॉपी खरीद सकता है।
याद रहे कि हर साल स्कूल खुलते ही पालकों की एक ही आवाज सुनाई देती है कि निजी स्कूलों के संचालक एक ही दुकान से कॉपी, किताब, यूनिफार्म खरीदने को विवश करते हैं, वह भी काफी महंगे दाम पर खरीदना पड़ती हैं। ऐसा न करने पर बच्चों को परेशान किया जाता है। इधर जिला प्रशासन भी स्कूलों की मनमानी के प्रयास करता है पर नतीजा ढाक के तीन पात ही निकलता आया है। लेकिन साल 2025 में जिला कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी ने पूर्व दिशा की जगह पश्चिम से सूरज उदय की कोशिश की है और इन सभी आरोपों से पार जाने के लिए शहर के कोतवाली के समीप उत्कृष्ट स्कूल के ठीक पीछे वाले हासे स्कूल नंबर 2 में सात दिन का पुस्तक मेला यानि किताब, कॉपी, यूनिफॉर्म का मेला आयोजित करने के निर्देश शिक्षा विभाग को दिए है। उम्मीद है कि 30 मार्च से अगले सात दिन तक चलने वाले इस मेले से अभिभावक अपने बच्चों के लिए सामग्री तय कर सकेंगे। ये मेला रविवार से शुरू होगा जिसमें निजी स्कूलों का कोई भी छात्र छात्रा अपने लिए गणवेश, किताब, कॉपी खरीद सकता है।
5% डिस्काउंट पर मिलेंगी किताबें, बोले निजी स्कूल एसोशिएशन के अध्यक्ष अशोक ठाकुर
पालकों के लिए खुशखबरी देने का काम निजी स्कूल एसोशिएशन के अध्यक्ष अशोक ठाकुर ने किया है। उन्होंने धमाका को बताया कि मेला में लगने वाले स्टोल पर सभी पालकों को पुस्तकों पर 5% डिस्काउंट देने का फैसला सभी दुकान संचालक से बातचीत के बाद किया गया है। ठाकुर ने बताया कि सभी बुक्स पर ये डिस्काउंट मिलेगा। पालकों को चाहिए कि वे पहले दिन से ही मेले का लाभ उठाएं और सात दिन का इंतजार नहीं करें। क्योंकि यही पुस्तक जब मेला के बाद स्कूलों में मिलेंगी तब कोई डिस्काउंट नहीं मिलेगा इसलिए लाभ उठाना न भूलें। 
विभिन्न स्टेशनरी स्टोर संचालक , पुस्तक वितरक एवं गणवेश वितरण अपनी दुकान लगाएंगे
जिले के निजी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को कक्षावार संचालित पुस्तकें अब मेले के जरिए एक ही स्थान पर उपलब्ध हो जाएंगी। कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी के निर्देशन में स्कूल शिक्षा विभाग रविवार से सात दिवसीय पुस्तक मेला शहर के उमावि क्रमांक 2 स्कूल परिसर में आयोजित करने जा रहा है। जहां विभिन्न स्टेशनरी स्टोर संचालक , पुस्तक वितरक एवं गणवेश वितरण अपनी दुकान लगाएंगे। इस मेले के आयोजन को लेकर शनिवार की दोपहर जिला शिक्षा अधिकारी समर सिंह राठौड़ ने उमावि क्र. 2 स्कूल पहुंचकर तैयारियों का जायजा लिया और मेले के सफल आयोजन को लेकर अधिकारी, कर्मचारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। इस दौरान उमावि क्र. 2 स्कूल की प्राचार्य अर्चना शर्मा, एपीसी उमेश करारे, विपिन पचौरी, राजेश खत्री, यादवेन्द्र चौधरी, अजय बाथम आदि मौजूद रहे।
बच्चों को वाट्सअप ग्रुपों से भी सूचित करने कहा डीईओ राठौड़ ने
बता दें कि प्रशासन व शिक्षा विभाग को कतिपय निजी स्कूलों द्वारा चिन्हित दुकानों से ही पुस्तकें व गणवेश क्रय करने संबंधी शिकायतें सामने आई थीं और जिला शिक्षा विभाग ने हाल ही में जिला स्तर से लेकर विकासखण्ड स्तर पर 9 कंट्रोल रूम भी गठित किए थे। एक ही परिसर में अभिभावकों को पुस्तकें, गणवेश व स्टेशनरी उचित दाम पर मिल सकें इसके चलते उक्त मेले का आयोजन किया जा रहा है।
इस संबंध में 26 मार्च को पुस्तक व स्टेशनरी विक्रेताओं एवं अशासकीय विद्यालय एसोसिएशन के साथ बैठक भी आयोजित की गई थी। डीईओ राठौड़ ने सभी निजी स्कूल संचालकों को मेले की सूचना स्कूल के सूचना पटल पर चस्पा करने सहित छात्रों या अभिभावकों के वाट्सएप एवं अन्य माध्यमों से सूचित करने के निर्देश भी दिए हैं।

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