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खामियों से भरा 4 लाख 78 हजार का एडवेंचर स्पोर्ट्स जोन

शुक्रवार, 6 नवंबर 2020

/ by Vipin Shukla Mama
- जंगल में मंगल कर सकें सैलानी इसलिये भदैया कुंड पर तैयार किया गया, एडवेंचर जोन
- शर्त के अनुसार कम्पनी टेस्टेड नहीं लगाया सामान
- हादसे का रहेगा डर, जिमेदार मोन
- मामा का धमाका डॉट कॉम की नजर से आइये देखते हैं, कमियां
शिवपुरी। पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण शिवपुरी जिला आज भी सुविधाओं को तरस रहा है। टूरिस्ट हब बनाने की कवायद हो या उपलब्ध वन, झील, झरने, टूरिस्ट स्पॉट इन्हें सवारने की कवायद ये सारे प्रयास ना काफी जान पड़ते हैं। उस पर भी जो कुछ प्रयास यहां पर्यटकों को लाने के किये जाते हैं, वे कसौटी पर खरे नहीं उतरते। काम की क्वालिटी से समझौता कर लिया जाता है। प्रचार प्रसार के अभाव में अपेक्षित रिजल्ट हाथ नहीं आ पाता। बात करें तो हाल ही में नगर के पर्यटक स्थल भदैया कुंड इलाके में नेशनल पार्क प्रबंधन की तरफ से 4 लाख 78 हजार की एक बड़ी राशि खर्च करके एडवेंचर स्पोर्ट्स जोन तैयार किया गया है। इस जोन को बनाने का सपना तत्कालीन सीसीएफ एचएस मोहन्ता ने देखा था। प्रपोजल भेजा 4 लाख 78 हजार स्वीकृत हो गए। उनका तबादला हुआ तो जोन निर्माण अटक गया। फिर सीसीएफ वायके सिंह ने इसे तैयार करने की पहल की। ख्यात कम्पनी से टेस्टेड सामान लेने की शर्त थी। वन अधिकारियों ने खुद ये मीडिया से कहा था, लेकिन अब ये एडवेंचर स्पोर्ट्स जोन बनकर तैयार हो गया तो इसमें खामियां ही खामियां नजर आ रही हैं। जानकारों से हमने जब एक एक बिंदु पर बात की तो निम्न लिखित प्रमुख कमियां जोन में बताई गई हैं। जाहिर है की ये कमियां रहीं तो पर्यटकों के साथ हादसे भी पेश आ सकते हैं। आइये देखते हैं, किस जगह क्या कमी बताई जा रही हैं। जिन्हें समय रहते दूर करना आवश्यक है, क्योंकि निर्माण लागत भी कोई कम नहीं आई है। 
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1. नहीं लगाई मॉन्टेनरिंग रस्सी
कार्य के दौरान मॉन्टेनरिंग रस्सी का उपयोग किया जाना था जो कम्पनी टेस्टेड होती है। जिससे मजबूती बेजोड़ होती लेकिन, ऐसा न करते हुए मोनो फिलामेंट रस्सी लगा दी गई। जिसके नतीजे में यहां पर्यटक जब उसका इस्तेमाल करते हैं तो स्टाफ दौड़ता आता है, की रस्सी कमजोर है, टूट सकती है। पर्याप्त धन के बाद भी कम्प्रोमाइज करना कुछ इशारा कर रहा है। 
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2. क्लम्बिंग टॉवर में ठोक दिये लकड़ी के लोकल होल्ड
पर्यटकों को लुभाने के लिये यहाँ क्लम्बिंग टॉवर का निर्माण किया गया। जिसमें आर्टिफिशियल होल्ड कम्पनी निर्मित लगने चाहिये लेकिन, ऐसा न करते हुए यहां स्थानीय स्तर पर लकड़ी के होल्ड बनाकर लगवा दिये गए हैं। जो खतरनाक हैं। 
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3. लगा दिये टायर, सांप आ बैठा तो..
एडवेंचर स्पोर्ट्स जोन अगर जंगल के अंदर है, तो टायर लगाना खतरनाक साबित हो सकता है। उनमें सांप आकर बैठ सकता है। जो पर्यटकों के लिए किसी खतरे से कम नहीं। लेकिन आप खुद देखिये टायर का स्पोर्ट्स जोन। बता दें कि भदैया कुंड पर अक्सर सांप निकलते रहते हैं। 
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4. लेडर ब्रिज में पाइप की जगह जड़ डाले बांस
पर्यटकों को लुभाने के लिये यहाँ लेडर ब्रिज भी तैयार किया गया है। इसमें प्लास्टिक मोनो फिलामेंट रस्सी लगा दी गई, जो नहीं लगना थी। तो वहीं लोहे के पाइप की जगह बांस लगा दिए गए हैं। 
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5. टुकड़ों से तैयार कर दिया बर्मा ब्रिज
एक्सपर्ट की माने तो बर्मा ब्रिज 4 रस्सियों से बनकर तैयार होता है। लेकिन यहाँ आर्मी की तर्ज पर रस्सी के टुकड़ों से बर्मा ब्रिज तैयार कर डाला। जबकि यहां कोई इमरजेंसी नहीं बल्की पर्यटकों के लिये एडवेंचर जोन बनाया गया है। 
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6. बैलेंसिंग ब्रिज प्लास्टिक की रस्सी से बना डाला
बात करें तो बैलेंसिंग ब्रिज प्लास्टिक मोनो फिलामेंट रस्सी से बना दिया है।
कुलमिलाकर फाल अरेस्ट से लेकर सभी जगह कमियां मौजूद हैं। 
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7. क्लम्बिंग नेट में भी गड़बड़ी
क्लम्बिंग नेट में भी कमी देखी जा सकती है। इसमें रस्सी के टुकड़े लगा दिए गए। जबकि किसी नेट को तैयार इस तरह किया जाना चाहिए कि वह मशीन से बुना हुआ नजर आए। ये सारी कमियां इस काम की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर रही हैं। पुरे मामले में गहन जॉच की दरकार है। 
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ये बोले जागरूक लोग
हमारी शिवपुरी में अधिकारी अपनी मनमर्जी करने आते हैं। ठीक से काम किया ही नहीं जाता।
सन्नी गुप्ता, व्यवसायी
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एडवेंचर जोन का निर्माण 4 लाख 78 हजार में हुआ। मामूली रकम नहीं है। काम ठीक से होना चाहिये था। जाँच करवाई जाए।
सर्वेश अरोरा, व्यवसायी
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हम महाराज सिंधिया को इस गड़बड़ी की जानकारी देंगे। हमारी पर्यटन नगरी की बाट लगाने वालों को छोड़ेंगे नहीं। 
रविन्द्र शिवहरे, पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष, कोलारस
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अगर घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया है, तो हम श्रीमंत को बताएंगे। वो काम में कमी बर्दास्त नहीं करतीं। 
भानु दुबे, बीजेपी नेता
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ये बोले अधिकारी
हमने एडवेंचर स्पोर्ट्स जोन को गुणवत्ता के साथ तैयार किया है। दिल्ली की कम्पनी से रस्सी लाई गई है। कोई कमी नहीं छोड़ी है। 
दिनेश गोयल, रेंजर, नेशनल पार्क शिवपुरी। 

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