- सीएम पीएम के लाडले किसानों की योजना में करोड़ों के घोटाले के लगाये बिंदुबार आरोप
शिवपुरी। शहर के जाने-माने एडवोकेट विजय तिवारी के निशाने पर इस बार बिजली कंपनी आ गई है। उसे निशाने पर ले लिया है और प्रबंध निदेशक बिजली कंपनी गोविंदपुरा भोपाल के साथ-साथ पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त संगठन मोती महल ग्वालियर को शिकायती प्रक्षेपास्त्र छोड़ दिया है। जिसमें सनसनीखेज खुलासा करते हुए ओवाईटी योजना यानी किसान स्वयं ट्रांसफार्मर योजना में करोड़ों के भ्रष्टाचार को लेकर शिकायत दर्ज कराई है। जो पत्र एडवोकेट तिवारी ने भेजा है, उसमें किसान स्वयं ट्रांसफर योजना को लेकर ऑनलाइन आवेदन किये जाने, अधिकारियों के मौका परीक्षण और उसके बाद ट्रांसफार्मर स्थापना से लेकर बिजली के बिल कनेक्शन और कंपनी को हो रहे करोड़ों के नुकसान का उन्होंने शिकायत में बिंदुवार उल्लेख किया है। अगर इस मामले में बारीकी से जांच हुई तो यह जिले का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला साबित हो सकता है। बता दें की एडवोकेट विजय तिवारी ना सिर्फ शहर के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं, बल्कि वह भ्रष्टाचार को लेकर कई बार आवाज बुलंद कर चुके हैं। आर्थिक अपराध ब्यूरो से लेकर लोकायुक्त संगठन ने उनकी शिकायत के बाद कई भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को निशाने पर लेकर कार्रवाई की है। इस बार किसान स्वयं ट्रांसफार्मर योजना को लेकर आर्थिक भ्रष्टाचार एवं किसानों के साथ बिजली कंपनी के अधिकारियों ने ठेकेदारों के साथ भागीदारी करते हुए विभाग को बड़ी क्षति पहुंचाई है या उल्लेख किया गया है बिंदुवार की गई शिकायत में तिवारी ने लिखा है कि बिजली कंपनी ने पूरे जिले में माह मई 2020 से अब तक स्वयं योजना के 2 हजार नवीन कनेक्शन स्थापित किए हैं। प्रति किसान को इस योजना के माध्यम से खेत पर ट्रांसफार्मर स्थापित करने के लिए सर्वप्रथम ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है। आवेदन के बाद 5 एचपी कनेक्शन के लिए 3505 जबकि 8hp के लिए 3805 की धनराशि कंपनी में जमा करनी होती है। जिसके बाद उक्त आवेदन ऑनलाइन कंपनी के जूनियर इंजीनियर की आईडी पर पहुंच जाता है और मौके पर जाकर कार्यस्थल का सर्वे करना होता है। जिसकी रिपोर्ट कंप्यूटर पर लोड करने के बाद एसई की आईडी पर भी दी जाती है और एसई द्वारा कार्य की अनुमति प्रदान की जाती है। पूरे जिले में भूमिगत जल स्तर सामान्य रूप से 700 फीट से ज्यादा गहराई पर पहुंचने और तकनीकी रूप से 5 एचपी की मोटर अधिकतम 200 फीट की गहराई से ज्यादा पानी खींचने में सक्षम ना होने का उल्लेख करते हुए पत्र में लिखा है कि 700 फीट की गहराई से कृषि कार्य के लिए पानी खींचने के लिए कम से कम 15 एचपी की मोटर होना चाहिए लेकिन 2000 आवेदन में से एक भी आवेदन 8hp से ज्यादा का नहीं लिया गया है। इस प्रकार जूनियर इंजीनियर द्वारा स्पोट का निरीक्षण ही नहीं किया गया और नवीन कनेक्शन के लिए 5 एचपी का लोड घर बैठे स्वीकृत कर दिया गया है। जिससे कंपनी को तत्समय जमा होने वाली राशि और विद्युत बिलों में पावर की दर से लाखों रुपए प्रतिमाह आर्थिक हानि पहुंच रही है। तिवारी ने यह भी लिखा है कि जिले में किसान स्वयं ट्रांसफार्मर योजना के तहत लगभग 2000 ट्रांसफार्मर स्थापित किए गए। उनमें से महज 500 ट्रांसफार्मर विधिवत परमिशन लेकर स्थापित किए गए हैं, जबकि बाकी के ट्रांसफार्मर अवैध रूप से संचालित किए जा रहे हैं। उक्त अवैध कनेक्शनों के फेर में कनेक्शन नहीं किए गए। नतीजे में कंपनी को 70 लाख प्रति माह की हानि उठानी पड़ रही है। जिसके लिए कंपनी के जूनियर इंजीनियर, कंपनी के जनरल मैनेजर जिम्मेदार हैं। इतना ही नहीं अधीक्षण यंत्री को भी उन्होंने जिम्मेदार ठहराया है। तिवारी का कहना है कि कनेक्शनों को यदि नियमित कर दिया जाता तो कंपनी को प्रति माह 75 लाख की आय होती। अवैध कनेक्शनों के कारण 45 से 50 की हानि हो रही है। एक अन्य बिंदु में तिवारी ने लिखा है, कि कि उक्त कनेक्शन के लिए विद्युत कंपनी कंडक्टर फाइव स्टार रेटिंग उपयोग करेगी यह स्पष्ट निर्देश है, लेकिन हकीकत में इसका पालन नहीं किया गया है और 3 या 5 कंडक्टर नहीं लगाए गए हैं। इसमें भी सुपरवाइजर से लेकर संबंधित ठेकेदार द्वारा करोड़ों रुपए जनरल मैनेजर को रिश्वत के तौर पर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा आश्चर्य की बिजली कंपनी पंजीकृत ठेकेदारों द्वारा कनेक्शन नहीं किए जा रहे हैं। विजली कंपनी के अधिकारियों द्वारा ठेकेदार के रूप में अधिकारियों के साथ ही पार्टनरशिप में अवैध रूप से कनेक्शन कर किसानों के साथ धोखाधड़ी की गई है। ट्रांसफॉर्मर बिजली कंपनी के अधिकारियों द्वारा स्थापित किया जाना चाहिए। भ्रष्टाचार की सबसे भयावह स्थिति का उल्लेख करते हुए तिवारी ने लिखा है कि अवैध कनेक्शनों में कई स्थानों पर सीमेंट पोल का उपयोग किया गया है यह ठेकेदारों और बिजली कंपनी के लोगों ने कंपनी के पोल चोरी करवा कर लगा दिए हैं। जबकि नियम अनुसार कंपनी के जनरल मैनेजर को उक्त आईटी कार्य की गुणवत्ता को स्थल पर जाकर चेक करना चाहिए था लेकिन अधीक्षण यंत्री द्वारा अपने दायित्वों का भली-भांति निर्वहन नहीं किया गया जिस कारण बिजली कंपनी को करोड़ों की क्षति पहुंच रही है। उन्होंने शिकायत के माध्यम से सभी उल्लेखित तथ्यों के संबंध में बिजली कंपनी की विजिलेंस शाखा द्वारा जिले में बीते 7 माह में हुए सभी कनेक्शनों की बिंदुवार जांच कराने की मांग की है। उनका कहना है कि अगर इस पूरे मामले की बारीकी से जांच की गई तो कथित ठेकेदारों से सांठगांठ कर भ्रष्टाचार कार्य करने वाले नीचे से लेकर ऊपर तक के बड़े अधिकारी बेनकाब हो जाएंगे। कुल मिलाकर जिले में भ्रष्टाचार से जुड़े कई अन्य मामलों की तरह एक और बड़ा मामला सामने आता दिखाई दे रहा है। देखना होगा कि भोपाल से अब इस मामले में क्या कार्रवाई अंजाम दी जाती है।

कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें