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बड़ी खबर, ना रेरा में पंजीयन, ना वादों पर अमल, खेतों में काट डालीं कॉलोनियां, ठगे जा रहे ग्राहक

बुधवार, 18 नवंबर 2020

/ by Vipin Shukla Mama
रियल स्टेट के नाम पर जमकर हो रहा फर्जीवाड़ा, धड़ाधड़ काट रहे अवैध कॉलोनियाँ, कलक्टर साहब,
सख्त कार्रवाई की दरकार
पढिये विस्तृत खबर 
शिवपुरी। रियल स्टेट यानी सपनों का घर, हमारा भी एक आशियाना हो। बंगला हो, गाड़ी हो, सुरक्षा में तैनात गार्ड हो, 24 घण्टे पानी, बिजली, सीसी सड़कों का जाल बिछा हो, अस्पताल से लेकर खेल का मैदान भी हो। ये सपने आखिर कौंन सा इंसान नहीं देखता। हर इंसान चाहे वह गरीब ही क्यों न हो, उसकी ये अभिलाषा तो होती ही है, की उसका अपना खुद का आशियाना बने। पीएम मोदी ने गरीबों की तो सुन ली है। कुछ लापरवाही या भ्रष्टाचार की बात पीएम आवास योजना में छोड़ दें, तो गरीब लोगों को घर तो हासिल हो ही रहे हैं। लेकिन शहरी मध्यम या कहें सरकारी कर्मचारी, अधिकारियों के सपनों को पंख लगाने के लिये उपलब्ध रियल स्टेट कारोबार धोखा साबित हो रहा है। जिसके माध्यम से लोगों को सर्वसुविधायुक्त मनभावन सपनों का घर किसी विकसित कॉलोनी में बनाकर देने के सपने दिखाए जाते हैं, लेकिन शिवपुरी जिले में रियल स्टेट कारोबार के नाम पर लोगों को ठगा जा रहा है। उन्हें सपनों के बदले भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। रेरा से लेकर टीपीसी की विधिवत अनुमति और दीगर कानूनी प्रावधानों को पूरा किये बिना कुछ भूमि कारोबारी अवैध ढंग से खेतों में कॉलोनी काटकर लोगों को भूखंड बेच रहे हैं। जिनमें सुविधाओं का टोटा है। 
खेतों में काट डाली कॉलोनियां, अब विकास अटका
नगर में कारोबारियों ने नियम विरुद्ध ढंग से कॉलोनियां काट डाली हैं। कुछ नामचीन लोगों ने तो आवासीय भूमि नहीं बल्कि पट्टे की भूमि पर कॉलोनी काट डाली हैं। इनमें नगर की एक इतनी बड़ी हस्ती भी शामिल है, कि कोई सोच भी नहीं सकता। सच तो यह है, कि कुछ कॉलोनाइजर की बात छोड़ दें तो अधिकांश कारोबारी प्रक्रिया को ताक पर रखकर कारोबार कर रहे हैं। नतीजे में जहां लोगों ने भूखंड क्रय किये वहाँ सालों के बाद भी भवन निर्माण तो दूर मैदान में घास खड़ी दिखाई दे रही है। सीसी या डामर की सड़क, पथ प्रकाश, घरो के नल, बिजली कनेक्शन, कॉलोनी द्वार पर सुरक्षा कर्मी, सीवर टैंक जैसी अहम जरूरतों को पूरा नहीं किया जा रहा। ऐसा नहीं है, की सभी कॉलोनी नियमों को पूरा न करते हुए काटी गईं, बल्कि जिन्होंने कायदे से कॉलोनी काटी उनके यहाँ भी विकास औंधे मुंह पड़ा हुआ है। वादे पूरे नहीं हुए हैं, जिससे लोग परेशानी भुगतने को मजबूर हैं। 
आकर्षण में मत फस जाइयेगा
लोगों को रियल स्टेट कारोबारी अपने मकड़ जाल में फंसाने के लिए ऊंचे सपने दिखा रहे हैं। आज 1 लाख में लीजिये प्लाट, कल बनिये लाखों के मालिक। मेडिकल कॉलेज के पास, फोरलेन के पास, पुराने वायपास के पास आदि जगहों के आसपास सपने बेचकर खेतो में कॉलोनियों काटी जा रही हैं। कारोबारी इन जगहों पर सुविधाओं का ऐसा बखान करते हैं, जैसे सारे सपने पूरे करके ही देंगे। लेकिन हकीकत में रियल स्टेट कारोबार में ठगी का खेल लंबे समय से खेला जा रहा है। जिला प्रशासन आंख बंद किये बैठा है। कारोबारियों पर वैध दस्तावेज, पंजीयन जैसी औपचारिकताएँ पूरी नहीं हैं। कोरोना के बाद फिर शतरंज की विसात रियल स्टेट में बिछाई जा चुकी है। ठगी का खेल शुरू हो गया है। खेत से लेकर सरकारी भूमि तक को नहीं छोड़ा जा रहा। बीते समय नगर के बीच बायपास नाले किनारे पर सरकारी भूमि कब्जाने के चलते तत्कालीन एसडीएम अतेंद्र गुर्जर को बुलडोजर चलाना पडा था। अब वहीं फिर कब्जे की होड़ लग गई है, नाला तक बन्द किया जा रहा है। 
कुछ तो हद ही कर रहे कारोबारी
रियल स्टेट में कुछ कारोबारी तो नियम, कायदों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। उनके द्वारा जनता को लुभाने के लिये जो प्रचार प्रसार या विज्ञापन दिये जाते हैं, उनमें आकर्षण की तो लंबी फेहरिस्त होती है, लेकिन कॉलोनी किसके द्वारा काटी जा रही, किससे संपर्क किया जाये, ये नाम पता तक उल्लेखित नहीं होता। आप खुद समझ सकते हैं, की किस तरह आपकी मेहनत की कमाई को आकर्षक प्लाट या घर दिलाने के नाम पर ठिकाने लगा रहे ये कारोबारी खुद रातोरात कौंन बनेगा करोड़पति का खेल खेल रहे हैं। जबकि रेरा में जो नियम तय किये गए हैं, उसके अनुसार रजिस्ट्रेशन से पहले किसी तरह का लॉन्च या विज्ञापन नहीं किया जा सकता। प्रोजेक्ट प्लान, लेआउट, सरकारी मंजूरी और लैंड टाइटल स्टेटस और उप-ठेकेदारों की जानकारी साझा करना जरूरी है। साथ ही  प्रोजेक्ट तय मापदंडों के अनुसार पूरा कर ग्राहकों को देना होगा।
ब्राण्ड नाम वालों पर भी उठ रहीं उंगलियां
कहते हैं, पांचों उंगलियां एक जैसी नहीं होतीं ठीक वैसे ही रियल स्टेट कारोबार में भी सभी एक जैसे सेठ नहीं हैं। कुछ ने टाउन कंट्री प्लानिंग से परमिशन लेकर कॉलोनी काटी है।  सब्जबाग दिखाकर प्लाट विक्रय किए हैं। लोगों ने सपनों के महल बना भी लिये हैं, लेकिन नियम कायदे से काटी कॉलोनी में भी लोगों को दी जाने वाली सुविधाएं आज तक नहीं मिल सकी हैं। 
न पक्की सड़क, न बिजली चालू, न सीवर के गड्ढे खुदे
नगर के नए फोरलेन स्थित मामा रियल स्टेट  कॉलोनी के मालिक लवलेश जैन के अनुसार उनकी कॉलोनी रेरा में पंजीयत है, टीपीसी में भी ये कोलोनी पंजीयत बताई जा रही है। तब भी इस कोलोनी के मालिक पर सहूलियत उपलब्ध न कराने के आरोप की शिकायत जिला प्रशासन से वहां भूखंड लेकर मकान बना चुके कुछ पीड़ितों ने की है। जिनका कहना है, कि वे 3 साल पहले उक्त स्टेट में प्लाट लेकर बहुत खुश थे। वे सरकारी कर्मचारी हैं, कॉलोनी नियम पास थी इसलिए मकान बनाने आसानी से लोन भी मिल गया था। मकान बनकर 2 साल पहले तैयार हो चुके हैं, लेकिन सुविधाओं के पूरा न होने से यह लोग कॉलोनी में शिफ्ट नहीं हो सके और 2 साल से ब्याज भरना पड़ रहा है। उनको मकान पर लोन के बदले सब्सिडी तक नहीं मिली। क्योंकि ग्राम सिंहनिवास इलाके में मामा रियल स्टेट ने जो कॉलोनी काटी है। इसमें प्लाट खरीदने वाले दिनेश बंसल, केके मिश्रा, सक्सेना, राजेश शर्मा, सीआर परमार, अनिल भार्गव, राकेश मुदगल आदि का कहना है, की हमसे किये वादे पूरे नहीं किये गए हैं। सड़क कच्ची पड़ी है, बिजली के पोल, तार तो 2 साल से तैयार हैं, लेकिन उनमें करंट नहीं दौड़ा। जिससे आज तक वे मकान में न तो रहने जा पा रहे और न ही किराये पर दे पा रहे। नतीजे में बैंक के लोन की किश्त और ब्याज भर भर के परेशान हैं। कॉलोनी में सभी सुविधाओं को मालिक को पूरा करना था। ऐसा राजेश शर्मा आदि का कहना है, लेकिन सीवर के गड्ढे तक उन्हीं से खुदवाने को कहा जा रहा है। लोगों का ये भी कहना है, की उनको प्लाट देते समय कहा गया था कि लोन पर पीएम आवास की 2 लाख से ज्यादा राशि सब्सिडी के तौर पर मिलेगी लेकिन बाद में पता चला कोलोनी ग्राम पंचायत अंतर्गत है, नगरीय इलाके में नहीं। इसलिये सब्सिडी भी नहीं मिली। कुल मिलाकर नामचीन रियल स्टेट कारोबारी पर लोगों को सुविधाएं न देने के आरोप लग रहे हैं। 
ये बोले स्टेट के मालिक
इधर मामा रियल स्टेट के मालिक लवलेश जैन का कहना है, कि उन्होंने नगर को एक पूर्ण विकसित स्टेट डवलप करके देने का प्लान किया। टीसीपी, रेरा में पंजीयत हमारी स्टेट में बगीचे से लेकर सड़क, पानी सब सुविधाओं को दिया है। कोलोनी निर्माणाधीन है। नया वायपास निर्माण  बन्द था इसलिये कुछ देरी हुई। अब जल्द बिजली सप्लाई देने जा रहे हैं। अन्य सुविधाएं न देने के आरोप निराधार हैं। 
तो फिर इनका तो भगवान मालिक
 अंदाज लगाया जा सकता है, कि बिना नाम, मोबाइल नम्बर के आकर्षक दामों पर  प्लाट विक्रय का नारा बुलंद करने वाले कारोबारी लोगों को किस तरह लगातार ठग रहे हैं। क्योंकि जिले के चंद रियल स्टेट कारोबारी ही वैध काम कर रहे हैं, बाकी कारोबारियों की जांच जिला प्रशासन को करनी होगी। जो पूरी तरह नियमों को धता बताकर काम करने में जुटे हैं। 
जिला प्रशासन की टेड़ी नजर की दरकार
रियल स्टेट कारोबार में लोगो के साथ ठगी को रोकने के लिये जिला प्रशासन को आगे आना होगा। नियमों के स्प्ष्ट उल्लेख और भूमि की परमिशन होने या न होने की पड़ताल करनी होगी। तभी लोगों के साथ ठगी को रोका जा सकता है।
हम हैं आपकी आवाज
 हम लगातार रियल स्टेट की कमियों को आगे लाने की कोशिश करते रहेंगे। आप भी अगर कहीं ठगी का शिकार हुए हैं, या किये गए वादों या दावों पर प्लाट या भूमि लेने के बाद अमल नहीं किया गया है, तो 98262 11550 पर जानकारी वाट्सएप कीजिये या फिर 500vip@gmail. com पर भी जानकारी दे सकते हैं। जिसकी खबर mamakachanak.com पर ऑनलाइन पढ़ी जा सकेगी। अच्छी और सच्ची खबरों के लिये करते रहिये हमारी लिंक क्लिक।
रेरा के दायरे में लेने की दरकार 
बता दें कि रेरा रियल एस्टेट सेक्टर की तरक्की के हिसाब से बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें सेक्टर को प्रत्येक स्तर पर पारदर्शी करने की ताकत है। आजकल नए-नए बिल्डर बाजार में  उतर रहे हैं। ऐसे में सावधानी जरूरी है। क्योंकि घर खरीदने का मतलब जीवन भर की कमाई को इसमें लगा देना है। इस वजह से ग्राहक कीमत पर नजर रखते हैं, और बिल्डर के ब्रांड पर दांव लगाते हैं। इसके बाद वे प्रोडक्ट क्वालिटी, लोकेशन और प्रोजेक्ट के क़ानूनी पहलू के बारे में विचार करते हैं। अधिकतर मामलों में ग्राहक बिल्डर के जाल में फंस जाते हैं। बिल्डर को एक प्रोजेक्ट में घर बेचकर मुनाफा कमाना होता है, उसका ब्रांड और वैल्यू चेन से कोई लेना देना नहीं होता। इस वजह से इसमें पारदर्शिता, जिम्मेदारी, अच्छे बिजनेस प्रैक्टिस का अभाव होता है। वे घटिया मटेरियल लगाकर, विवादित टाइटल पर कंस्ट्रक्शन, बिना परमिशन के कंस्ट्रक्शन और कानून की परवाह किये बिना  लचर तरीके अपनाते हैं।
रेरा के आने के बाद इस तरह की कमियां दूर होने की उम्मीद जागी है। सरकार की मानें तो ग्राहक अब निश्चिंत होकर निवेश कर पाएंगे। छोटे बिल्डर अब उनके साथ धोखा नहीं कर पाएंगे और बड़े बिल्डर भी ग्राहकों के प्रति जवाबदेह बनेंगे। इसमें ब्रोकर भी कवर्ड हैं। ग्राहकों को विवादित या गलत संपत्ति बेचने वाले ब्रोकर पर भी शिकंजा कसा जा सकेगा। डील पूरी होने के बाद अगर कोई ऐसी स्थिति आई तो ब्रोकर कानून के दायरे में होगा। उसे सजा का भी प्रावधान है। रेगुलेटर नियम के दायरे में ब्रोकर और एजेंट गड़बड़ी नहीं कर सकते। बशर्ते रेरा के तहत इन सबका रजिस्ट्रेशन होना चाहिये। वे ग्राहकों को होने वाली परेशानी के लिए जिम्मेदार होंगे। 
क्या है, कानून
रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डवलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। इसका मकसद घर ग्राहकों के हितों की रक्षा करना और रियल इस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ाना है। राज्य सभा ने रेरा को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को पास कर दिया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए।
अनिवार्य है, पंजीयन
केंद्रीय कानून के मुताबिक सभी रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स (जहां विकसित होने वाला कुल क्षेत्रफल 500 स्क्वेयर मीटर से ज्यादा है, या किसी भी चरण में 8 से ज्यादा अपार्टमेंट बनने अनिवार्य हैं) उसका अपने राज्य व जिले, तहसील के रेरा में पंजीयन होना अनिवार्य है। जिन मौजूदा प्रोजेक्ट्स को कंप्लीशन सर्टिफिकेट (सीसी) या आक्युपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) जारी नहीं हुआ है, उन्हें भी इस कानून के तहत रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। रजिस्ट्रेशन कराते वक्त प्रोमोटर्स को प्रोजेक्ट की जानकारी जैसे-जमीन की स्थिति, प्रोमोटर की जानकारी, अप्रूवल, पूरे होने का समय इत्यादि बतानी होगी। जब रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और सभी मंजूरियां मिल जाएंगी, तब प्रोजेक्ट की मार्केटिंग की जा सकती है।
ये बोले कलक्टर शिवपुरी
रियल स्टेट व्यापार विश्वास पर आधारित होता है, नियम शर्ते जो भी पूरे करता है, ग्राहक उस पर भरोसा करते हैं। ऐसा सभी कॉलोनाइजर को करना चाहिये। अगर बिना नियम शर्तो के पालन किये जिले में कुछ लोग कोलोनी खेतों में काट रहे हैं, तो यह गलत है। पूरे मामले की पड़ताल करवाता हूँ। जो कारोबारी टीपीसी, रेरा में पंजीयत नहीं होगा उसके विरुद्ध कारवाई की जाएगी। ग्राहक से किये गए वादे तो हर हालत में पूरे करने चाहिये।
अक्षय कुमार सिंह, कलक्टर, शिवपुरी।
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 इन व्यापारियों पर ग्राहकों को है, कुछ यकीन
1. बात करें तो नगर में सबसे पहले टीपीसी, रेरा का पंजीयन कर भूमि कारोबार की शुरुआत सत्येंद्र सिंह सेंगर ने की। उनकी मानें तो उनकी दो फर्म एसएस ग्रुप और सतेंद्र सेंगर ग्रुप दोनों ही पंजीयत हैं। अब तक कई बड़े प्रोजेक्ट सेंगर फर्म के बैनर तले पूरे भी हुए हैं। 
2. बालाजी कॉलोनाइजर अमन गोयल की फर्म के भी पंजीयत होने की जानकारी मिली है। अमन गोयल ने नगर के बड़ोदि पर बालाजीपुरम कॉलोनी काटी। सर्वसुविधायुक्त इस कॉलोनी में 25 आवास तैयार किये। पीएम आवास योजना से लिंक इस कॉलोनी में स्विमिंग पूल, मन्दिर, बगीचा, सुरक्षा के इंतजाम किये गए हैं।
3. गैलेक्सी कंस्ट्रक्शन और मालती कंस्ट्रक्शन फर्म भी बड़े प्रोजेक्ट हाथ मे लेती है।  संचालक हेमन्त ओझा और उनके बड़े भाई गिर्राज ओझा हैं। हेमन्त
के मुताविक टीपीसी में उनका पंजीयन है, रेरा में नहीं। ये भी कई कॉलोनी विकसित कर चुके हैं। इसके अलावा कुछ अन्य कारोबारी भी रियल स्टेट में कायदे से काम करने प्रयासरत हैं। 
4. नगर के एक और बड़े व्यवसायी विनोद राठौर ने भी विधिवत कोलोनी विकसित की हैं। दरोनी रोड पर एपीजे अब्दुल कलाम कॉलोनी इस बात का उदाहरण है। जिसमे बेहद कम कीमत पर मकान बनाकर लोगो को बेचे। नल, बिजली 24 घण्टे होने के चलते यहां एक नया शहर बस गया है। 
इन पर हो कार्रवाई
जबकि कुछ अन्य कारोबारी लोगों को टोपी पहनाने में जुटे हुए हैं। भूखंड का विक्रय जमीन का व्यना पकडाने के साथ शुरू कर देते हैं। समझा जा सकता है किस तरह पूर्ण विकसित कॉलोनी काट सकेंगे। 
करैरा में इसी तरह का मामला
करैरा मैं हाउसिंग बोर्ड कालोनी के नाम पर लोगो के साथ धोखा 
आज से करीब 4 साल से ज्यादा समय पूर्व लोगो को हाऊसिंग विभाग ने मकान देने के नाम पर 1 -1 लाख रुपया जमा कराया लेकिन ना तो आज तक मकान मिले ना ही रुपया मिला ना ही allotment किया। वकील गिरीश गोयल कहते हैं कि जब शासकीय योजनाओं के अंतर्गत ही लोगो के साथ धोखा हो रहा है फिर प्राइवेट कॉलोनियों मैं क्या होता होगा आप सोच सकते है। 

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