Responsive Ad Slot

Latest

latest

गोदान से अधिक कार्तिक में तुलसी पूजा का फल

शनिवार, 21 नवंबर 2020

/ by Vipin Shukla Mama
कार्तिक मास में होता तुलसी शालिग्राम का विवाह
व्रन्दावन। ऐसी मान्यता है कि इस माह में तुलसी की पूजा करने से कई तरह के सकारात्मक बदलाव आते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण को पाने के लिए गोपिकाओं ने भी यमुना स्नान के साथ ही माता तुलसी की आराधना की थी। यही कारण है कि आज भी कन्याएं मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए विधि-विधान के साथ तुलसी की पूजा करती हैं। ज्योतिषाचार्य के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक महीने की व्याख्या करते हुए कहा है कि पौधों में तुलसी, महीनों में कार्तिक, दिवसों में एकादशी तथा तीर्थों में द्वारिका मेरे हृदय में निवास करते हैं।
कार्तिक मास में तुलसी की पूजा करने का विधान है। वैसे तो साल भर तुलसी की पूजा की जाती है, लकिन कहा जाता है कि कार्तिक मास में तुलसी के सामने दीपक जालने से मंनवांछित फल मिलता है। कार्तिक के महीने में तुलसी की नियमपूर्वक पूजा करने व दीपक जलाने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है। 
ऐसी मान्यता है कि कार्तिक महीने में भगवान श्री हरि को तुलसी चढ़ाने का फल गोदान के फल से कई गुना अधिक हो जाता है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में एकादशी के दिन यानी देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह भी किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं। इसलिए देव के उठने पर तुलसी विवाह को पवित्र मुहूर्त माना जाता है।  इस साल तुलसी विवाह  गुरुवार 26 नवंबर को किया जाएगा।
ऐसी मान्यता है कि जिस घर में तुलसी जी होती हैं  ऐसे घर में यमदूत प्रवेश नहीं करते। तुलसी जी का विवाह शालिग्राम से हुआ था, इसलिए कहा जाता है कि जो तुलसी जी की भक्ति करता है, उसको भगवान की कृपा मिलती है। एक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने तुलसी जी को वरदान दिया था कि  मुझे शालिग्राम के नाम से तुलसी जी के साथ ही पूजा जाएगा और जो व्यक्ति बिना तुलसी जी मेरी पूजा करेगा, उसका भोग मैं स्वीकार नहीं करुंगा। इस महीने में तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है। कहते हैं कि तुलसी विवाह करने से पुण्यफल की प्राप्ति होती है। तुलसी विवाह से घर में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन तुलसी के पौधे का गमला सजाकर उसके चारों ओर ईख का मण्डप बनाकर उसके ऊपर ओढ़नी या सुहाग प्रतीक चुनरी ओढ़ाते हैं। तुलसी पूजन से पहले तुलसी पूजा के नियमों को भी जान लेना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि तुलसी पत्र को बिना स्नान किए  नहीं तोड़ना चाहिए। कभी भी शाम को तुलसी के पत्तों को शाम के समय तोड़ना नहीं चाहिए।  पूर्णिमा, अमावस्या, द्वादशी, रविवार व संक्रान्ति के दिन दोपहर दोनों संध्या कालों के बीच में तथा रात्रि में तुलसी नहीं तोड़ना चाहिए। (साभार)

कोई टिप्पणी नहीं

एक टिप्पणी भेजें

© all rights reserved by Vipin Shukla @ 2020
made with by rohit Bansal 9993475129