शिवपुरी। कहते हैं जीते जी कुछ ऐसा कर जाओ की लोग जाने के बाद याद करें। शायद इस बात की मिसाल थे चेतराम खटीक। उन्होंने जीते जी जो नरसेवा की वही उनकी याद दिलाने काफी है। नगर के मानवता संस्था के सदस्य चेतन खटीक आज भले ही हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनको करीब से जानने वाले उन्हें भुला नहीं सकेंगे। दरअसल रोटरी, लायंस जैसे चकाचोंध और खर्चीले कार्यक्रम कर के मानवता संस्था सुर्खियां नहीं बटोरती बल्कि जब दुनिया सोती है, तो पीड़ित मानवता की सेवा करने इस संस्था के सदस्य निकल पड़ते हैं। कुछ सदस्य मुक्तिधाम जाकर बगीचे, लकड़ी की टाल आदि पर सेवा देते हैं। तो कुछ
जिला अस्पताल जाते हैं, यहां मरीजो की सेवा करते हैं। मुक्तिधाम जहाँ लोग जीते जी जाना न पड़े ऐसा प्रयास करते हैं वहीं चेतन खटीक इन दोनों ही जगह अपनी निशुल्क सेवा दिया करते थे। सुबह मरीजों को चाय, दूध गर्म उपलब्ध कराते तो दिन में कल्याणी धर्मशाला में अन्तयेष्टि के लिये बांस की डंडियां तैयार करते। जो म्रत देह पर झंडी लगाने के काम आती थी। यहाँ तक कि अस्थि संचय के लिए लकड़ी की टिकती भी अपने हाथों से तैयार करते थे। लंबे समय उन्हीं के साथ
मानवता संस्था में जुड़े रहे कपिल भाटिया को उनकी ये सेवा आज भी याद है। इस मानवता संस्था की खूबी ये है कि इसमें कोई पदासीन पदाधिकारी कभी नहीं रहा। सभी सदस्य बतौर जुड़कर काम करते हैं। दिखावे से दूर रहकर काम करने के फेर में संस्था के सदस्य 22 तक जुड़ पाए थे। इनमे से कुछ समय पहले एक और ऐसे ही सेवा भावी सदस्य राजीव ढींगरा को कैंसर ने हमसे छीन लिया था। आज एक ओर वरिष्ठ साथी चेतन नहीं रहे। बता दें कि चेतन खटीक खटीक समाज के सरपंच थे। साथ ही नगर की हनुमान गली स्थित साधना स्टूडियो के मालिक दिनेश रहोरा, संजय रहोरा के पिता और देवीलाल, रामदयाल, मुन्नालाल रहोरा के भाई थे। 19 नवंबर को सुबह 9 बजे उनकी अंतिम यात्रा उनके घर से मुक्तिधाम रवाना होगी।

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