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'नाबालिग का गर्भवती होना ही एक गंभीर अपराध'

रविवार, 15 नवंबर 2020

/ by Vipin Shukla Mama

- ई संगोष्ठी में बोले कार्लो, नए गर्भपात कानून 2020 के लिए सुझाव दें आमजन
- चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन की 20 वी ई संगोष्ठी
- संगोष्ठी में देश भर के 12 राज्यों के बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने भाग लिया
दिल्ली। "गर्भपात अधिनियम 2020 "अभी जनविमर्श के लिए उपलब्ध है, इसलिए संबद्ध स्टेकहोल्डर्स औऱ सामाजिक कार्यकर्ताओं को इस प्रस्तावित संशोधन पर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना चाहिये ताकि नया कानून तकनीकी औऱ व्यवहारिक रूप से सुविधाजनक हो।प्रस्तावित संशोधन में 24 सप्ताह से अधिक के गर्भ समापन की अनुमति उन परिस्थितियों में दी जा सकेगी बशर्ते माँ के जीवन को खतरा उत्पन्न हो। यह बात आज सीनियर वकील एनोस कार्लो ने चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन की 20 वी ई संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कही। संगोष्ठी में देश भर के 12 राज्यों के बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
जेजे एक्ट विधायन से जुड़े रहे एडवोकेट एनोस कार्लो ने गर्भपात अधिनियम के विधिक पक्षों को स्पष्ट करते हुए बताया कि नाबालिग श्रेणी में बालिका के गर्भधारण का मतलब संगीन अपराध से कम कुछ भी नही है। इस श्रेणी में बालिका की सहमति का प्रश्न भी बलात संग की श्रेणी में आता है जिसकी व्यापक परिभाषा पॉक्सो कानून में उपलब्ध है। कार्लो ने बताया कि नाबालिग बालिकाओं से जुड़े गर्भपात के मामलों में निर्णय का काम अत्यधिक जटिल होने के साथ संवेदनशील भी है। ऐसे मामलों में बाल कल्याण समितियों को एक अभिभावक की तरह तार्किक औऱ समयानुकूल निर्णय लेना चाहिये। उन्होंने बताया कि गर्भपात अधिनियम 1971 की धारा 03 बाल कल्याण समिति को उन बालिकाओं के बारे में निर्णयन की शक्ति देती है जो मानसिक रूप से कमजोर है। कानून की धारा 04 उन्ही केंद्रों को गर्भपात की अनुमति देता है जो विहित प्रक्रिया अनुरूप पंजीकृत हो। अवैधानिक स्थल पर  गर्भपात एक गंभीर अपराध है जिसमें 2 साल की सजा का प्रावधान है। कार्लो ने बताया कि धारा 05 गंभीर परिस्थितियों में दो चिकित्सकों की सलाह को गर्भपात के समय शिथिलता प्रदान की गई है। उन्होंने बताया कि 2003 संशोधन के बाद अब सरकार ने 2020 में नए संशोधन प्रस्तावित किये है जो अभी लोक विमर्ष के लिए सभी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। 
ई संगोष्ठी को फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ राघवेंद्र शर्मा ने भी संबोधित किया। संचालन सचिव डॉ कृपाशंकर चौबे ने किया। लोकडाउन से आरंभ हुई इस ई संगोष्ठी श्रंखला के 21 वे संस्करण में "महिलाओं की विवाह की उम्र बढाने  सबंधी बहस" पर ओपन चर्चा की जायेगी।

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