- पिछोर की श्री राम कथा में कहा संत शंकराचार्य ने
- जिसके घर पुत्र का जन्म होता है वह भाग्यशाली और जिसके घर बेटी जन्म लेती है वह परम सौभाग्यशाली होता है
पिछोर। (राजेश राजौरिया की रिपोर्ट) श्री सिद्ध शक्तिपीठ श्री टेकरी सरकार हनुमान मंदिर पर सात दिवसीय श्रीराम कथा आरम्भ हुए दो दिन हुए। द्वितीय दिवस नारद चरित्र की कथा का भक्तों को रसो पान कराते हुए कथा व्यास सम्मानीय जगतगुरु शंकराचार्य आत्मानंद सरस्वती ने भक्तजनों को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया। उन्होंने कहा जिसके घर पुत्र का जन्म होता है वह घर भाग्यशाली होता है परंतु जिसके घर बेटी का जन्म होता है वह घर निश्चित रूप से परम सौभाग्यशाली होता है, क्योंकि बेटा एक कुल को तारता है, तो बेटियां दो दो कुल का तारण करती हैं। इसलिए हमें कभी भी बेटी और बेटों में भेदभाव नहीं करना चाहिए। हमें बेटी और बेटों की एक समान परवरिश करना चाहिए जो व्यक्ति ऐसा नहीं करते वह निश्चित रूप मां जगदम्बा का अपमान करते हुए पाप के भागी होते हैं। उन्होंने श्रद्धालुओं को अपने जीवन में कभी विपरीत समय आने पर परमात्मा को ना कोसने की बात कही। उन्होंने कहा कि हमें जब तक उपलब्धियां हासिल होती रहती हैं, तब तक सब कुछ ठीक रहता है और जब हमारे जीवन में विपरीत परिस्थितियों आती हैं, तब हम परमात्मा को कोसने में लग जाते हैं, लेकिन हम खुद के अंदर कभी नहीं झांकते हम अच्छे समय तो संतोष करते हैं परंतु विपरीत समय पर ईश्वर को दोष देने लगते हैं इसलिए हमें सुख में और दुख में हरदम परमात्मा को सच्चे मन से याद करना चाहिए। क्योंकि हम जो बीज अपने जीवन रूपी खेत में डालते हैं उसका फल हम को ही भोगना पड़ता है। उन्होंंने नारद जी का उदाहरण देते हुए संत जनों को सचेत करते हुए कहा कि जो संत रूपी जीवन जीना चाहते हैं उन्हें संसार के सौंदर्य से दूर ही रहना चाहिए क्योंकि जब संसार का सौंदर्य नारद जी जैसे ज्ञानी को भ्रमित कर सकता है तो और कौन ऐसा है इस जगत में जो संसार के सौंदर्य से भ्रमित ना हो। इसलिए संत जनों को हमेशा सांसारिक सौंदर्य से दूर ही रहना चाहिए यह एक सच्चे संत की निशानी होती हैं।

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