यदि आमजनों को बच्चे के समर्पण की जानकारी हो तो बच्चे कचरे के ढ़ेर पर नहीं मिलेंगे
- आशा कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण में बाल संरक्षण अधिकारी ने कहा
शिवपुरी। आपने सुना होगा कि कई बार कुछ माताएं अपने नवजात बच्चों को कचरे के ढेर पर,सुनसान स्थानों पर या झाड़ियों में फेंक जातीं है। हालांकि उसके पीछे निश्चित ही कोई बड़ी बजह रहती होगी,परंतु उसका वैधानिक हल भी निकाला जा सकता है। बाल देखभाल और सुरक्षा कानून में अनचाहे बच्चों को समर्पित करने का प्रावधान किया गया है। जिसकी जानकारी आमतौर पर लोगों को नहीं होती है। यदि आमजन तक हम यह जानकारी पहुंचा दें,तो कोई भी अनचाहा बच्चा हमें कचरे के ढेर नहीं मिलेगा। यह बात आशा कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम में बाल संरक्षण अधिकारी राघवेंद्र शर्मा ने कही। उन्होंने कहा कि अनचाहे बच्चे के समर्पण के बाद निसंतान लोगों को गोद दिया जाता है। समर्पण करने के लिये किसी भी प्रसव केंद्र पर या महिला बाल विकास कार्यालय में संपर्क किया जा सकता है। चाइल्ड लाइन नंबर 1098 पर भी समर्पण के लिये संपर्क किया जा सकता है। इसमें समर्पणकर्ता का नाम और पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी जाती है। ममता संस्था की समन्वयक कल्पना रायजादा ने बाल विवाह से बालिकाओं के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव के विषय में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बाल विवाह किशोर और किशोरियों के सभी अधिकारों को प्रभावित करता है। बच्चों में कुपोषण एवं महिलाओं में एनीमिया को बढ़ावा देने के साथ ही बाल विवाह मातृ शिशु मृत्यु दर को भी बढ़ावा देता है। इसकी हर स्तर पर खिलाफत की जरूरत है। कार्यक्रम में जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ संजय ऋषीश्वर एवं डीसीएम आनंद माथुर ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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