बच्चों का मोबाइल प्रेम समुदाय के लिये जोखिमपूर्ण
शिवपुरी। बच्चे हमारी पूंजी है और बच्चों का धन है उनकी विद्या, इस समय पूंजी और धन दोनों गड़बड़ा रहे है। अब स्कूल सामान्य रूप में खुलेंगे यह दूर तक नजर नहीं आ रहा और जो शिक्षा के साधनों में बदलाव आया है,वह ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था बच्चों के लिए तनाव का कारण बनती जा रही है। बच्चे मोबाइल एडिक्शन के कारण डिप्रेशन के शिकार होते जा रहे है। जिसके घातक परिणाम भी दिखाई देने लगे है। बाल संरक्षण अधिकारी राघवेंद्र शर्मा ने बताया कि मोबाइल का नशा बच्चों को चिड़चिड़ा बनाकर उनके व्यवहार में बदलाव ला रहा है। चिड़चिड़ेपन के साथ ही बच्चों में नींद की कमी, बेचैनी, खाने के समय में बदलाव से पाचन शक्ति भी कमजोर हो रही है। इन सबसे अधिक गंभीर विषय यह है कि मोबाइल के अधिक स्तेमाल से बच्चे क्रूर और खतरनाक होते जा रहे है।अधिकारी शर्मा के अनुसार घर से बाहर नहीं निकलने से बच्चों के व्यवहार में बदलाव आ रहा है,उनमें अनेक मानसिक समस्याएं पैदा हो रहीं है। ऑनलाइन होना बक्त की जरूरत है,लेकिन उसके दायरे खींचना भी जरूरी है। अब माता-पिता को अतिरिक्त सावधानी रखने की आवश्यकता है कि बच्चे का बचपन कहीं इस धुंध में खो न जाए। इस बात का ध्यान रखना होगा कि मोबाइल सिर्फ उनकी जरूरत रहे, लत न बने। बच्चे मोबाइल का उपयोग जरूरत के लिये ही करें,गैर जरूरी एप्स के उपयोग एवं सर्चिंग पर नजर रखने की बेहद आवश्यकता है।
बचपन के लिये जोखिम बना मोबाइल- इंटरनेट
बाल संरक्षण अधिकारी ने बच्चों पर मोबाइल और इंटरनेट के दुष्प्रभाव के कुछ उदाहरण भी बताए कि कैसे बचपन की कोमलता क्रूरता में तब्दील होती जा रही है।
केश नंबर-1
ग्वालियर निवासी एक पिता ने जब बच्चे को मोबाइल फोन चलाने से मना किया तो 14 वर्षीय पुत्र ने फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।
केश नंबर- 2
हाल ही में ग्रेटर नोएडा में एक 16 वर्षीय लड़के ने अपनी मां और बहन की हत्या कर दी क्योंकि बहन ने शिकायत कर दी थी कि भाई दिन भर मोबाइल फोन पर खतरनाक गेम खेलता रहता है, इसलिए मां ने बेटे की पिटाई की, उसे डांटा और उसका मोबाइल फोन ले लिया। मोबाइल पर मारधाड़ वाले गेम खेलते रहने के आदी लड़के का गुस्सा इससे बढ़ गया और उसने अपनी मां और बहन की हत्या कर दी और घर से भाग गया।
केश नंबर- 3
पब्जी गेम के चेलेंज पूरे करने के चक्कर में अनेकों बच्चों ने आत्महत्या तक कर ली है। कई बच्चों की आंखों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा,बच्चों की दृष्टि कमजोर हुई और कई बच्चे भोंगेपन के शिकार भी हुए।
केश नंबर- 4
भिंड जिले के मेहगांव निवासी एक किशोर ने अपने स्कूल टीचर की डांट का बदला लेने के लिये यूट्यूब पर बम बनाने की तकनीक सीखी और नकली बम बनाकर स्कूल में रख दिया,जिससे क्षेत्र में अशांति का माहौल बना और पुलिस प्रशासन को अनावश्यक परेशानियों का सामना करना पड़ा।
केश नंबर- 5
मोबाइल में सोशल मीडिया पर सगे भाई- बहन ने अश्लील वीडियो देखा फिर भाई- बहन का रिश्ता शर्मसार हुआ। मोबाइल और इंटरनेट से यौन शोषण की घटनाओं को बढ़ावा मिला है।
- एक हकीकत यह भी है
ऑनलाइन कक्षाओं के आगमन के साथ, गोपनीयता का हनन,साइबर अपराध और दुरूपयोग के नए मुद्दे सामने आए है। अनाधिकृत लोगों के ऑनलाइन कक्षाओं में प्रवेश करने,छात्राओं की तस्वीरें लेने के अलावा गोपनीयता संबंधी चिंताओं को सामने लाने के अलावा सीखने के प्लेटफार्मों पर अनुचित सामग्री अपलोड करने के कई उदाहरण सामने आए है।
- कैसे छुड़ाएं मोबाइल की आदत
बच्चों को डांटने के बजाय उन्हें मोबाइल से दूर करने के लिये उन्हें आउटडोर- इनडोर गतिविधियों से जोड़ें। उन्हें मोबाइल से दूर रखने के लिये उन्हें दूसरे कार्यों में व्यस्त रखने के प्रयास करें। मोबाइल पर उम्र के अनुपात से ही एप्लिकेशन के उपयोग की सलाह दें। समय- समय पर जांच करें कि बच्चे मोबाइल में क्या देख रहे है,क्या चला रहे है।

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