ग्वालियर। कौड़ियों वेतन पर अखबार समूह में जीवन गुजार देने वाले कर्मचारी अपने हक की लड़ाई मजीठिया के रास्ते सुप्रीम कोर्ट से जीत तो गए लेकिन मध्यप्रदेश की नोकरशाही कोर्ट के वसूली आदेश पर एक साल में भी अमल नहीं करा सकी है। जब पीड़ित कर्मचारियों ने सीएम हेल्पलाइन 181 पर शिकायत दर्ज कराने का प्रयास किया तो शिकायत दर्ज करने से इंकार कर दिया गया। यह ताजा मामला ग्वालियर का है। जहाँ के कर्मचारियों ने सारा जीवन अल्प वेतन पर अखबार समूहों के नाम किया। इसी बीच जब मजीठिया के माध्यम से अखबार समूहों की घेराबंदी की गई। कर्मचारी कोर्ट गए और तारीख पर तारीख के बाद जब उन्हें कोर्ट से तो राहत मिल गई। जिसमें कोर्ट ने ग्वालियर श्रम न्यायालय क्रमांक 1 में सुनवाई के बाद कर्मचारियों के पक्ष में अवार्ड पारित कर वेतन अंतर राशि की वसूली के लिए प्रकरण राज्य सरकार को भेजा। बाद में यह ग्वालियर आया जहां कलक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के यहां अटक गया है। क्योंकि कलक्टर ने तहसीलदार को इस पर अमल कराने नियत किया लेकिन तहसीलदार एक साल में भी वसूली नहीं करा सके हैं। बता दें कि यूपी से सम्बद्ध एक नामचीन समाचार पत्र समूह से सम्बद्ध यह राशि की वसूली नहीं हुई तब कर्मचारियों ने सीएम हेल्पलाइन 181 का द्वार खटखटाया लेकिन शिकायत दर्ज नही की जा सकी। इसे लेकर कर्मचारी खासे नाराज हैं। उन्होंने सीएम को लेकर पत्रकार और गैर पत्रकारों के लिये कोर्ट के आदेश के बाद भी मजीठिया की वसूली न कराने की बात कही।

बहुत मुश्किल से सुप्रीम कोर्ट से अपने वेतन की लड़ाई जीत कर आर्डर एवं सुप्रीम कोर्ट के मार्गदर्शन मे लेबर कोर्ट से भी जीत के आर्डर लेने के उपरान्त सरकारी अधिकारी यदि पैसा नहीं दिलवा पा रहे हैँ तो यह निंदनीय अवहेलना हैँ.
जवाब देंहटाएंऔर CM Helpline मे शिकायत दर्ज न होना घोर अंधेर हैँ. *कथनी और करनी सामने हैँ*
जो लोग सुप्रीम कोर्ट से जीत का आर्डर लेकर उसी के मार्गदर्शन मे लेबर कोर्ट से भी लड़ाई जीत कर वसूली आर्डर हाथ मे लिये खड़े हैँ.2-2 आदेशों की अवहेलना हमारी सरकार के नुमाइंदे कर रहे हैँ. इसकी शिकायत यदि नहीं लिखी जा रही हैँ तो यहाँ Help किनकी होती हैँ.?
जवाब देंहटाएंसरकार कारपोरेट की गुलामी में पूरी तरह बेशर्म हो गयी है
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