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3 महीने में पाठकों आपने कर दिया वाकई 'धमाका', '9 लाख 16 हजार पार' हुए व्यू, बहुत शुक्रिया

शनिवार, 23 जनवरी 2021

/ by Vipin Shukla Mama
एक खत आप सभी पाठकों के नाम
शिवपुरी। 'मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया' मजरूह सुल्तानपुरी की यह शायरी हर किसी के जहन में है। वैसे 'मैं' से सदैव 'बचना' चाहिये क्योंकि 'अहम' का 'जन्म' हो सकता है, लेकिन जिसने जीवन में हमारी तरह 'हर उतार चढ़ाव' देखा है उससे 'अहम' दूर ही रहता है। 
खैर 'मामा का धमाका डॉट कॉम' अच्छी और सच्ची खबरों के स्टेशन, की तरफ से ये पैगाम आप सभी के नाम। 
आज 23 जनवरी 2021 है। यानि ठीक तीन महीने पहले 20 अक्टूबर 2020 को खबरों के इस नायाव स्टेशन की शुरुआत हुई। शुरुआत के पीछे आप सभी का सदैव मिलता रहा साथ, सहयोग, लाड़, प्यार, अपनत्व ही रहा है। जिसके बूते हमने 1984-85 में पत्रकारिता की शुरुआत वरिष्ठ पत्रकार हरिशंकर शर्मा के लोकप्रिय साप्ताहिक 
'नवयुग' में करते हुए कलम हमारी बात तुम्हारी कॉलम लिखना शुरू किया। बाद में दैनिक आचरण का मानसेवी प्रतिनिधि 1989-90 तक रहा। तब सर्कुलेशन की गली करीब से देखीं। इन दिनों ब्यूरो चीफ नहीं मानसेवी चलन में था। फिर 1992 में ग्वालियर से यूपी का 'आज अखबार' लॉन्च हुआ जिसमें कलम का सफर आगे बढ़ा। 1998 में वह वक्त आया जब दैनिक भास्कर से बुलावा आया। 7वे क्रम के रिपोर्टर रहते पहलीबार अल्प वेतन की शुरुआत हुई। 2000 में ब्यूरो चीफ शिवपुरी रहने के बाद 2002 में विज्ञापन से जुड़ने का सौभाग्य भी मिला। कलम चली लेकिन मालिको को साल के 40 लाख कमाकर देने वाली। फिर साल 2010 आया जब राजस्थान पत्रिका के अंग पत्रिका ने ब्यूरो चीफ का मौका दिया। यह अभिनव प्रयोग रहा। शायद, यकीन न आपको कि पत्रिका उन दिनों एक नया नाम था। बहुत कम पाठक परिचित थे। तब ये जुमले हर दिन सुनने मिलते रहे कि पत्रिका क्या 15 दिन या मासिक प्रकाशित होती है। सच कहूं तो मन मे डर था कि आकाश चूम रहे दैनिक भास्कर को छोड़कर कोई भूल तो नहीं कर दी। लेकिन खबरों को बुनते, गढ़ते गढ़ते सफर चलता रहा। तब भी आपने मेरे उस सफर में मेरे दिल पर वो हस्ताक्षर किये जिसे जीवन भर भुला नहीं सकूंगा। क्योंकि आपने पत्रिका को जिले में नम्बर 1 तक पहुंचाया। अब एक समय फिर आया जब 2015 में कानपुर के दैनिक जागरण के अंग नईदुनिया में ब्यूरो चीफ बना। साथियों की कुछ कमी के रहते भी इस अखबार में दम लगाई। नई ऊंचाइयों तक आप सभी लेकर गए। लेकिन कम्पनी की कोस्ट कटिंग से जब कुछ महत्वपूर्ण साथी अलग कर इस्तीफे ले लिए गए और 2020 सितंबर में खुद को लगा कि पाठकों के साथ न्याय नहीं कर सकूंगा तो अपने एक ऒर साथी मनोज भार्गव के साथ अखबार से हमने इस्तीफा दे दिया। अब फिर खुला आकाश सामने था और कठिन चुनोती भी। तब आप सभी की तस्वीर जहन में आई जिन्होंने हमारे हर बदलाव को हमेशा स्वीकार किया है। हर नए सफर में सदा आप हमेशा साथ खड़े रहे हैं। पूरी ईमानदारी, लगन के रास्ते से सफर को पूरा करते कई साल बीत गए लेकिन आपका साथ, सहयोग, लाड़, प्यार का रंग और भी गहरा हो गया है। आपको लगेगा यह हम कैसे कह सकते हैं, लेकिन यह गूगल ने कहा है। उसी ने बताया है कि आप सभी विपिन शुक्ला मामा को कितना प्यार करते हैं। तभी तो महज 3 महीने 20 तारीख को पूरे करने के बाद जब 3 तीन दिन और निकले हैं तो आज हमारे आपके इस खबर स्टेशन 'मामा का धमाका डॉट कॉम' के व्यू 9 लाख 16 हजार के पार हो गए हैं। किस तरह आप सभी का शुक्रिया अदा करूँ समझ नहीं आ रहा। बस इतना कहूंगा इसी तरह अपना प्यार लुटाते रहिये। हम आपकी आवाज बने रहेंगे। लगातार बने रहिये साथ हमारे। 
शब्बा खैर.....
सदैव आपका
विपिन शुक्ला, मामा, 
प्रधान संपादक, 
'मामा का धमाका डॉट कॉम' 
जिला शिवपुरी।
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