आचार्य श्री कुलचंदसूरिश्वर जी महाराज ने प्रवचन में बताया पुरातत्व इतिहास
सुनाया विजय धर्मसूरी महाराज का जीवन चरित्र
जल्द होगा समाधीमंदिर का जीर्णोद्धार
शिवपुरी। शास्त्र विशारद जगत पूज्य आचार्य श्रीविजयधर्मसूरी जी महाराज साहब के समाधी स्थल के जीणोद्धार करने का संकल्प लेने वाले आचार्य श्रीविजय कुलचंदसूरीश्वर केसी महाराज ने आज प्रवचनों में कडक शब्दों का प्रयोग करते हुये समाज की धरोहर पर निगाह गढ़ाने वाले और उसके जीणोद्धार में अडंगा लगाने वालों को आडे हाथों लेते हुये यह तक कह डाला की यदि किसी ने भी निगेटिब बात करने की कोशिश करी तो उसका अमंगल ही अमंगल होगा। श्री विजयधर्मसूरी समाधी मंदिर की करोडों रूपये की इस जमीन पर नये मंदिर प्रतिष्ठा के साथ गुरूमंदिर के जीर्णोद्वार कर कायाकल्प करने का निर्णय गुरूभगवंत द्वारा लिया गया साथ ही स्कूल, कॉलेज, और हॉस्पिटल निर्माण जैसी योजनाओं पर भी समाज के प्रवुद्धवर्ग के साथ बैठकर निर्णय लिये गये।
जैसा की सर्व विदित है आचार्य श्रीविजय कुलचंदसूरीश्वर केसी महाराज ठाणा तीन विगत दिवस 21 जनवरी को जयपुर से पदविहार कर शिवपुरी पधारे। महाराज जी के द्वारा समाधी मंदिर पर क्षेत्रपालदेव पूजन का
आयोजन किया गया। अगले दिन भव्य प्रवेश जुलूस के साथ उनका शिवपुरी प्रवेश हुआ 23 जनवरी को श्री गौतम लब्धि अनुष्ठान एवं 24 जनवरी को श्री वर्धमान शक्रस्तव अभिषेक महाविधान रखा गया महाराज जी के सानिध्य में किये गये इन कार्यक्रमों में जैन समाज ने बढचढकर हिस्सा लिया। उन्होने कहा कि 98 वर्ष पूर्व श्रीविजय धर्मसूरीश्वर महाराज जी ने शिवपुरी की पावन नगरी पर देहत्याग किया था और भक्तों द्वारा उनकी समाधी बनवाई गई थी जिसे आज विजयधर्मसूरी समाधी मंदिर के नाम से जाना जाता है। उक्त स्थल पर रहकर गुरूदेव ने कई सैकडा किताबे रचित की जिनमें से कुछ कितावों तो अलग अलग गुरूभगवन्तों द्वारा अपने उपयोग के लिये ले जाया जा चुका है इसी संदर्भ में अपने प्रवचनों में आचार्य श्री ने विजयधर्मसूरी महाराज के व्यक्तिव की कहानी सुनाते हुये कहा कि उनकी दीक्षा बचपन में ही हो गई थी उनकी विडम्वना यह थी कि उन्हे कुछ याद नहीं रहता था जिसके चलते वे अपने अन्य सहपाठियों से पीछे रह जाते थे तब गुरू आशीर्वाद से उन्होनें निर्णय लिया कि वे रात में भक्ति करेंगे और जब तक गुरू विश्राम की नहीं बोलेगे वे भक्ति करते रहेगे प्रतिदिन होने वाली इस भक्ति में गुरू के रोकने के बाद ही वे विश्राम करते थे। एक दिन जब वे भक्ति कर रहे थे तो गुरूदेव की आंख लग गई और वे सुबह तक भक्ति करते रहे जब गुरूदेव ने देखा की वे गुरूभक्ति में इस तरह रम जाते है कि उन्हे रात दिन का पता ही नहीं चलता तो गुरूकृपा से उन्हे ऐसी लब्धी प्राप्त हुई कि आज उनके कई ग्रन्थ जगह जगह पर उनके अनुयायी उपयोग कर रहे है इसके अलावा आज भी समाधी मंदिर पर सैकडों ग्रन्थ और किताबे रखी हुई है। उक्त इतिहास की बात बताते हुये आचार्य श्री कि आंखों से आंसू तक आ गये उन्होंने कहा कि पुराना वक्त अब हम भूल जाते है परन्तु आगे आने वाले 2 सालों में हम इस शिवपुरी नगर को पूज्य गुरूदेव के नाम से तीर्थ बनाकर ही भव्य 100 वी पुण्यतिथी को स्मृति दिवस मनायेंगे, और इसके लिये सभी को तन, मन धन से सहयोग करना है।
आयोजन किया गया। अगले दिन भव्य प्रवेश जुलूस के साथ उनका शिवपुरी प्रवेश हुआ 23 जनवरी को श्री गौतम लब्धि अनुष्ठान एवं 24 जनवरी को श्री वर्धमान शक्रस्तव अभिषेक महाविधान रखा गया महाराज जी के सानिध्य में किये गये इन कार्यक्रमों में जैन समाज ने बढचढकर हिस्सा लिया। उन्होने कहा कि 98 वर्ष पूर्व श्रीविजय धर्मसूरीश्वर महाराज जी ने शिवपुरी की पावन नगरी पर देहत्याग किया था और भक्तों द्वारा उनकी समाधी बनवाई गई थी जिसे आज विजयधर्मसूरी समाधी मंदिर के नाम से जाना जाता है। उक्त स्थल पर रहकर गुरूदेव ने कई सैकडा किताबे रचित की जिनमें से कुछ कितावों तो अलग अलग गुरूभगवन्तों द्वारा अपने उपयोग के लिये ले जाया जा चुका है इसी संदर्भ में अपने प्रवचनों में आचार्य श्री ने विजयधर्मसूरी महाराज के व्यक्तिव की कहानी सुनाते हुये कहा कि उनकी दीक्षा बचपन में ही हो गई थी उनकी विडम्वना यह थी कि उन्हे कुछ याद नहीं रहता था जिसके चलते वे अपने अन्य सहपाठियों से पीछे रह जाते थे तब गुरू आशीर्वाद से उन्होनें निर्णय लिया कि वे रात में भक्ति करेंगे और जब तक गुरू विश्राम की नहीं बोलेगे वे भक्ति करते रहेगे प्रतिदिन होने वाली इस भक्ति में गुरू के रोकने के बाद ही वे विश्राम करते थे। एक दिन जब वे भक्ति कर रहे थे तो गुरूदेव की आंख लग गई और वे सुबह तक भक्ति करते रहे जब गुरूदेव ने देखा की वे गुरूभक्ति में इस तरह रम जाते है कि उन्हे रात दिन का पता ही नहीं चलता तो गुरूकृपा से उन्हे ऐसी लब्धी प्राप्त हुई कि आज उनके कई ग्रन्थ जगह जगह पर उनके अनुयायी उपयोग कर रहे है इसके अलावा आज भी समाधी मंदिर पर सैकडों ग्रन्थ और किताबे रखी हुई है। उक्त इतिहास की बात बताते हुये आचार्य श्री कि आंखों से आंसू तक आ गये उन्होंने कहा कि पुराना वक्त अब हम भूल जाते है परन्तु आगे आने वाले 2 सालों में हम इस शिवपुरी नगर को पूज्य गुरूदेव के नाम से तीर्थ बनाकर ही भव्य 100 वी पुण्यतिथी को स्मृति दिवस मनायेंगे, और इसके लिये सभी को तन, मन धन से सहयोग करना है।
जैन समाज के गौरव मजिस्ट्रेट राजेश पारख का हुआ सम्मान
कार्यक्रम के दौरान शिवपुरी के गौरव राजेश पारख का सम्मान समाज द्वारा किया गया। इस मौके पर मजिस्ट्रेट राजेश पारख ने कहा कि अपने माता पिता और गुरू की तपस्या का ही नतीजा है कि वे आज इस पद पर है, समाज द्वारा समाधी मंदिर पर होने वाले जीर्णोद्वार के लिये जो वीडा उठाया गया है उसमें जो संभव मदद होगी वे अवश्य करेंगे। आज हुये इस सम्मान के अवसर पर समाज द्वारा उनके पिता उम्मेदमल पारख का भी शॉल श्रीफल भेट कर सम्मान किया गया।

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