- शिक्षा से लेकर कला, खेल आदि में भी लिख रहे स्कूली छात्र छात्रायें इतिहास
शिवपुरी। बहुत कम देखने मिलता है कि हम जिस स्कूल में शिक्षा ग्रहण करें और होनहार निकलने के बाद नाम, शोहरत, पैसा बनाएं लेकिन उस स्कूल के लिए भी कुछ कर गुजरे जिसने हमारी मंजिल तय की। नगर में कुछ साल पहले शासकीय महाविद्यालय में एक उदाहरण जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष रहे अजय खेमरिया ने पेश किया था जब उन्होंने इस कॉलेज की सूरत बदली। कॉलेज के पूर्व छात्र छात्राओं के माध्यम से कॉलेज के विभिन्न क्लास रूम और फर्नीचर से लेकर लाइब्रेरी की तस्वीर बदलकर लोगों से वाहवाही बटोरी थी। अब कुछ उसी तरह की नजीर नगर के उत्क्रष्ट विद्यालय में देखने को मिल रही है। एक समय मल्टीपर्पज नम्बर 1 के नाम से पहचाना जानेवाला आजकल का उत्कृष्ठ विद्यालय किसी परिचय का मोहताज नहीं। सदियां गुजर चुकीं और यहां के होनहार भी देश नहीं अपितु विदेश तक नाम रोशन कर रहे हैं। इन्हीं में से एक काबिल होनहार छात्र हैं विवेक श्रीवास्तव जिन्होंने उत्क्रष्ट विद्यालय कोतवाली रोड से शिक्षा हासिल की। कई विधाओं में माहिर मिलनसार, योग्य, दक्ष विवेक शरुआत से ही लगनशील हैं। किस्मत से उन्हें उत्क्रष्ट विद्यालय के प्राचार्य का गुरोतर भार मिला। जब उन्होंने स्कूल का चार्ज संभाला तो एक समय का हिस्टॉरिकल स्कूल दुर्दशा का शिकार हो चुका था। विवेक से ठीक पहले के चंद सालों में स्कूल की देखरेख नहीं हुई थी। यह देख विवेक ने स्थानीय व्यय फंड की जानकारी ली। वरिष्ठ अधिकारियों से मार्गदर्शन लिया और फिर स्कूल के उन्नयन में जुट गए। उन्होंने स्कूल के 35 कक्ष में से आज कई कमरों की सूरत बदल डाली है। स्कूल का बड़ा हॉल नया आकार ले रहा है। टॉयलेट अत्याधुनिक बना दिये गए हैं। रंगीन उपकरण से प्रकाश प्रबंध ऐसा किया है जो देखते ही बन रहा है। स्कूल के बाहर स्थापित माता सरस्वती की प्रतिमा अब खुले में नहीं बल्कि उसे कांच के मंदिर सी सूरत दे दी गई है। स्कूल के बाहर की दीवारें गुलाबी रंग में खिल उठी हैं और एक दूसरे से बातें करती सी नजर आ रही हैं। राह चलते लोगों के कदम ठिठक रहे हैं। वास्तव में किसी ने सच ही कहा है विद्या दान करने वाले गुरुओं और पाठशाला का सदैव सम्मान होना ही चाहिए। शायद इसी बात की मिसाल इस स्कूल से पढ़कर निकले आज के प्राचार्य विवेक श्रीवास्तव ने पेश की है।
स्कूल में एक ओर जहां शिक्षा पर खास फोकस किया जाता है तो वहीं खेल गतिविधियों से लेकर वाद विवाद, रंगमंच के आयोजन भी लगातार होते हैं।
तीन साल से प्रदेश भर में 'उत्क्रष्ट' रिजल्ट
विद्यालय सिर्फ चमकने दमकने तक ही सीमित नहीं है बल्कि इस स्कूल ने अपने नाम के अनुरूप उत्क्रष्ट परिणाम भी दिए हैं। सरकारी स्कूल में जाहिर तौर पर गरीब किसान परिवार के बच्चे शिक्षा हासिल करते हैं। जिनका भविष्य सवारने विवेक कृतसंकल्पित रहते हैं। प्राचार्य विवेक ने टीम को प्रेरित कर शिक्षा के प्रति एक अलख जगाई है। क्लास में नियमित अध्ययन के बलबूते पर यहां के छात्र छात्राओं ने लगातार तीन सालों से प्रदेश की टॉप टेन सूची में स्थान बनाकर कीर्तिमान बनाया है। इसका श्रेय भी विवेक को जाता है। इन्हीं विशेष उपलब्धियों के कारण मध्य प्रदेश सरकार ने श्री विवेक श्रीवास्तव को साउथ कोरिया सियोल की शैक्षणिक गतिविधियां का अध्ययन करने एवं साउथ कोरिया के विद्यालयों को देखने हेतु विदेश भी भेजा था।
प्रवेश के लिए साल दर साल होड़
निजी स्कूलों को पीछे छोड़ते हुए उत्क्रष्ट स्कूल में हर साल प्रवेश की होड़ देखी जा रही है। छात्र छात्राएं ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा के माध्यम से कक्षा 9 में सिलेक्ट होते हैं। जिन्हें जगह नहीं मिलती वे निराश हो जाते हैं। 3 वर्ष में विद्यालय में लगभग नामांकन में 500 छात्र छात्राओं की वृद्धि हुई है विद्यालय में लगभग 400 छात्र-छात्राएं अंग्रेजी माध्यम में अध्ययनरत हैं। यह सब सतत अध्ययन, बेहतर रिजल्ट और लगातार प्रयास से विवेक ने संभवः कर दिखाया है। कल के एक छात्र की अपने ही स्कूल के लिए गुरुदक्षिणा का ऐसा अनूठा उदाहरण कम ही देखने की मिलेगा। हम और हमारी टीम अच्छी और सच्ची खबरों के स्टेशन मामा का धमाका डॉट कॉम टीम की तरफ से प्राचार्य विवेक श्रीवास्तव को इस नायब कदम की बधाई देते हुए उनकी उन्नति की कामना करते हैं। साथ ही कहँगे कि उनसे सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए।

बहुत बहुत साधुवाद विवेक श्रीवास्तव जी
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