भोपाल। आरिफ अंजुम, अन्य विरुद्ध मध्यप्रदेश शासन द्वारा दायर की गई याचिका पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा 11 जनवरी 2021 को जो अंतरिम आदेश जारी किया गया है तथा 3 मार्च को जो इसका फाइनल आदेश जारी होना है कुछ फाइनल आदेश में ऐसे शिक्षा कर्मी जिन्होंने अध्यापक संवर्ग से शिक्षक संवर्ग स्वीकार नहीं किया है के बारे में निर्णय आना शेष है। उपर्युक्त याचिका जो उच्च न्यायालय में दायर की गई थी इसमें पुरानी पेंशन , शिक्षाकर्मी संवर्ग में नियुक्ति दिनांक से शिक्षा विभाग के कर्मचारी मान्य किया जाना व ग्रेच्युटी आदि के बारे में किसी प्रकार की मांग नहीं की गई है अतः हमारे जीवन अर्थात बुढ़ापे के तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर उच्च न्यायालय जबलपुर के 3 मार्च के आदेश में निर्णय नहीं होना है।तथाकथित कुछ लोगों द्वारा इस पुरानी पेंशन प्राप्त करने वाली हमारी वर्तमान कार्यवाही पर तैयारी को रोकने के लिए यह दुष्प्रचार किया जा रहा है हां अगर वरिष्ठता मिलती है तो 20 वर्ष की सेवा उपरांत पेंशन ,ग्रेच्युटी की पात्रता होती है तो पात्र जरूर हो जायेंगे पर पुरानी पेंशन नही मिलेगी यह गलत प्रचार किया जा रहा है कि हमें 3 मार्च वाले आदेश में यह सब प्राप्त होने वाला है तथा शिक्षा कर्मी भर्ती 1998-99 की सेवा शर्तों तथा नियमित भर्ती तथा तीन वर्ष की परिवीक्षा अवधि उपरांत 2001 में नियमितीकरण का आदेश हुआ है इसलिए ये पुरानी पेंशन के लिए पात्र है सरकार ने भ्रमित कर इन कर्मचारियों को NPS में 2011 से जोड़ दिया जबकि पेंशन की कार्रवाई 1998 से ही करनी थी।इस मुद्दे को लेकर शिक्षाकर्मी 1998-99 वाले कोर्ट जा रहे है।कोर्ट जाने से पूर्व सभी प्रमुख अधिकारी गण को अभ्यावेदन रजिस्ट्री कर अवगत भी करा दिया है। वर्तमान न्यायालय मुहिम हेतु वकीलों की फीस 2500/-निश्चित है किसी भी शिक्षाकर्मी से यह जबरदस्ती नहीं ली जा रही है सब अपनी स्वेच्छा से अधिवक्ता को देने हेतु फीस इस मिशन के सहयोग कर्ताओं को प्रदान कर रहे हैं कुछ तथाकथित लोगों द्वारा झूठा प्रचार किया जा रहा है की 4000 चंदे वसूली जा रहे हैं यह बहुत ही गलत लोगों द्वारा गलत प्रचार है ! शिक्षाकर्मी विधिक समिति इस प्रकार के गलत प्रचार का खंडन करती है।

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