दिल्ली। देश भर में वाट्सएप को लेकर बहस छिड़ी हुई है। डेटा सुरक्षित है या नहीं लोग अलग अलग तर्क दे रहे हैं। इस बीच सोमवार को याचिकाकर्ता एडवोकेट मनोहरलाल की तरफ से
वॉट्सएप की नई पॉलिसी को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता एडवोकेट मनोहरलाल ने कहा कि उन्होंने इस बारे में केंद्र सरकार को लिखा है मगर कोई जवाब नहीं मिला। इस संबंध में कोई कानून होना चाहिए। तब न्यायालय ने पूछा कि कौन सा डेटा खतरे में है तो मनोहरलाल ने कहा कि 'सबकुछ' क्योंकि वॉट्सएप उनके व्यवहार का एनालिसिस करती है। जिस पर जस्टिस संजीव सचदेवा की बेंच ने कहा कि सभी प्लेटफॉर्म ऐसा करते हैं। 'मैं आपकी परेशानी समझ नहीं पा रहा हूं। अगर आपको लगता है कि वॉट्सएप आपका डेटा सुरक्षित नहीं रखेगी तो उसे डिलीट कर दीजिए।' न्यायालय ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या आप गूगल मैप्स इस्तेमाल करते हैं ? जब हां में जवाब मिला तो न्यायालय ने कहा कि गूगल मैप्स भी डेटा शेयर करता है। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल वॉट्सएप की तरफ से जबकि मुकुल रोहतगी फेसबुक की तरफ से पेश हुए थे। रोहतगी ने कहा कि प्राइवेट चैट पूरी तरह एनक्रिप्टेड होती हैं, जो बदलाव हुए हैं वह बिजनस वॉट्सएप के लिए हुए हैं। रोहतगी ने कहा कि दोस्तों व रिश्तेदार और बाकी निजी चैट पूरी तरह एनक्रिप्टेड होती हैं। इस पर न्यायाधीश ने कहा कि उन्होंने पढ़ा है कि पॉलिसी को लागू करना टाल दिया गया है। तब सिब्बल ने कहा कि अगर यूजर्स नहीं चाहते तो उन्हें बिजनेस अकाउंट्स को मैसेज करने की जरूरत नहीं है। इसके बाद अदालत ने सुनवाई को 25 जनवरी तक टाल दिया। अब 25 जनवरी को सुनवाई होगी। साथ ही याचिकाकर्ता से यह भी कहा है कि न्यायालय को नहीं लगता कि वे जिन ऐप्स का यूज करते हैं, उसके प्रयोग की शर्तें पढ़ चुके हैं।

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