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नहीं रहे उस्ताद पदम् विभूषण गुलाम मुस्तफा, कवि डॉक्टर विश्वास ने ये कहा

मंगलवार, 19 जनवरी 2021

/ by Vipin Shukla Mama
दिल्ली। देश की जानी मानी हस्ती और उस्ताद पदमविभूषण गुलाम मुस्तफा खान नहीं रहे। अनेक लोगों ने उनके निधन पर शोक प्रकट किया। देश के जाने माने कवि डॉक्टर कुमार विश्वास भी उनके बेहद करीबी रहे। उनके निधन पर उन्होंने क्या कहा आइये देखते हैं।
मन्ना डे, गीता दत्त, लता मंगेशकर, आशा भोंसले से लेकर सोनू निगम, शान, हरिहरन व ए०आर० रहमान तक लगभग तीन सुरीली पीढ़ियों के उस्ताद ए मोहतरम और हमारे रामपुर घराने की शान उस्ताद पद्मविभूषण ग़ुलाम मुस्तफ़ा खान साहब परम-स्वर में लय हो गए ! मुझ बेसुरे पर उस्ताद जी की अपने बेटे जैसी ममता व लाड़ था ! दिल्ली आएँ और मुझे याद न करें यह उनके लिए संभव न था ! अपने आख़री दिनों तक भी वे बाक़ायदा रियाज़ करते रहे और संगीत मर्मज्ञों का सत्संग व मार्गदर्शन भी करते  रहे ! उनके बेटे हमारे छोटे भाई गायक रब्बानी हमारे घर खाने के वक़्त अक्सर उन्हें कम व चुना हुआ खाने की हिदायतें देते थे तो वे बड़े लाड़ से उन्हें डपट देते “अरे खाने दो ! बेटे के साथ दस्तरख़ान पर हूँ और हमारी बहू परोस रही है तो मेरी तबीयत को कुछ नहीं हो सकता !” ❤️
उस्ताद जी से एक बार मैंने कहा “बाबा ! आप ने इतने सुरीले लोगों को सिखाया है मुझ जैसे बेसुरों का तो आप से सीखने तक का भी हक़ नहीं है !” तो उन्होंने बड़े प्यार से सर पर हाथ रखकर कहा “शायर के लफ़्ज़ों से मौसिकी ज़िंदा होती है, मौसिकी से लफ़्ज़ नहीं ! बेटा तुम्हारी ज़बान पर ऊपर वाले का नूर है तो ज़मीन वाले तुम्हें क्या सुर सिखायेंगे, पर फिर भी अगर तुम्हें सीखना ही है तो मुम्बई आकर मेरे पास कुछ महीने साथ रहो !”
उस्ताद जी आपके जाने से भारतीय संगीत का जो नुक़सान हुआ उसका आकलन तो आपके योग्य शिष्य ही कर सकते हैं पर हमारे जैसे कानसेनों के रसलोक का एक छायादार तानसेन दरख़्त जाता रहा ! ईश्वर आपको अपनी रसरंग सभा में योग्य स्थान दे ! ॐ शांति ॐ 🙏🇮🇳

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