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3 को कार्य का बहिष्कार तो 7 फरवरी को चलो भोपाल

सोमवार, 1 फ़रवरी 2021

/ by Vipin Shukla Mama
म.प्र. यूनाइटेड फोरम फ़ॉर पावर एम्पलाई एवं इंजीनियर्स
फोरम का क्षेत्रीय सम्मेलन ग्वालियर में  संपन्न हुआ विद्युत अधिकारी कर्मचारियों ने निजीकरण व अन्य पांच मांगों को लेकर हुंकार भरी
ग्वालियर। ग्वालियर में बीते रोज क्षेत्रीय सम्मेलन संपन्न हुआ। जिसमें मुख्य अतिथि यूनाइटेड फोरम के प्रदेश संयोजक व्ही.के.एस.परिहार उपस्थित हुए। 
ग्वालियर क्षेत्रीय सम्मेलन में ग्वालियर, भिण्ड, मुरैना, श्योपुर, दतिया, शिवपुरी, गुना,अशोकनगर,के विद्युत अधिकारी कर्मचारी भारी संख्या में उपस्थित हुए। यूनाइटेड फोरम द्वारा बिजली कंपनियों के निजीकरण का विरोध एवं 5 सूत्री मांगों पर आंदोलन किया जा रहा है समस्त विद्युत अधिकारी कर्मचारियों ने सम्मेलन में उपस्थित होकर अपने अपने क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने की शपथ ली एवं सभी विद्युत अधिकारी कर्मचारियों ने यूनाइटेड फोरम के आवाहन पर 7 फरवरी 2021 को भोपाल होने वाली विशाल रैली में सभी नें सम्मिलित के लिए एक सुर में समर्थन किया। सम्मेलन में  प्रमुख रूप से अपने विचार व्यक्त किये इंजी. आर.के.खरे, इंजी. नितिन मांगलिक, इंजी. आर.एस.कुशवाह ने सम्बोधन में कहा कि विद्युत निजीकरण होने के बाद प्रमुख रूप से संविदा व आउटसोर्स कर्मचारी प्रभावित होगें विड डाक्यूमेंट में कही भी इन कर्मचारियों का उल्लेख नही है, साथ ही नियमित विद्युत अधिकारी कर्मचारियों की भी सेवाएं प्रभावित क्यों की कर्मचारियों के सेवासर्तों के सम्बंध स्पसष्ट उल्लेख नही है,एवं किसानों के सामने बहुत गम्भीर समस्या हो जाएंगी क्यों कि जहां आज किसान को कृषि हेतु 66 हजार के लगभग सब्सिडी मिल रही है वही निजीकरण होने के बाद उद्योगपतियों द्वारा सब्सिडी नही दिया जायेगा किसानो के लिए किसी प्रकार का उल्लेख नही है, सभी ने अपने अपने वक्तव्य में निजीकरण के दुस्परिणाम को बताया  कर्मचारियों, किसानों, आम गरीब नागरिकों के हित में नही है। कार्यक्रम का संचालन फोरम रीजनल संयोजक एल.के.दुबे ने किया। कार्यक्रम का आभार व्यक्त अधीक्षण यंत्री शहर ग्वा. इंजी. विनोद कटारे ने किया।
प्रमुख मांगे :- 
(1). केंद्र शासन द्वारा विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण हेतु जारी स्टैंडर्ड बिट डॉक्यूमेंट को मध्य प्रदेश मे लागू नहीं किया जाए एवं मध्यप्रदेश शासन द्वारा ट्रांसमिशन कंपनी के निजीकरण हेतु शुरू टी.वी. सी.वी.  को वापस लिया जाए।
(2). मध्य प्रदेश में कार्यरत सभी विद्युत संविदा अधिकारी कर्मचारियों को आंध्र प्रदेश एवं बिहार शासन की तरह नियमित किया जाए क्योंकि सभी कर्मचारियों की भर्ती नियमित भर्ती के विज्ञापन के माध्यम से की गई है.
(3). मध्यप्रदेश में कार्यरत सभी वर्गों के बाह्य स्रोत कर्मचारियों की सेवाओं को सुरक्षित रखते हुए तेलंगाना, दिल्ली एवं हिमाचल प्रदेश के शासन की तरह सीमाएं सुरक्षित की जाएं।
(4) मध्य प्रदेश रा.वि.म. के कर्मचारियों की पेंशन की सुरक्षित व्यवस्था करते हुए उत्तर प्रदेश शासन की तरह गारंटी लेकर पेंशन ट्रेजरी से शुरू की जाए.
(5). (अ) विद्युत अधिकारी ,कर्मचारियों के सभी वर्गों की वेतन विसंगति जैसे O3* एवं अन्य को समाप्त किया जाए।
(ब) कंपनी कैडर के नियमित एवं संविदा कर्मचारियों को भी 50% विद्युत छूट एवं सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पूर्व की भांति 25% विद्युत छूट की जाए।
(स) मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थगित किए गए दिए एवं वार्षिक वेतन वृद्धि को चालू कर बकाया राशि का भुगतान किया जाए। कार्यक्रम में अलग-अलग क्षेत्रों से आए हुए निम्न पदाधिकारी शामिल हुए। इंजी. सुनील खरे, इंजी.हरीश मेहता, इंजी. पी.आर.पाराशर, इंजी.अमरेश शुक्ला,इंजी.पी.के.शर्मा,इंजी.पी.के.हजेला, डॉ.पी.के.वर्मा, इंजी.संजय निगडेकर, एच.आर. मैनेजर हिमांशू शर्मा, मोहित अग्रवाल, विद्याकान्त मिश्रा, अमरेश शर्मा, प्रतीक द्विवेदी, मनोज भार्गव, महावीर सिंह, हरीओम द्विवेदी, शिवदयाल द्विवेदी, अशोक श्रीधर, सुमित शुक्ला, सुशील मिश्रा, अभिषेक राजपूत, रामवीर शर्मा, शुभकरण सिंह सेखावत,सहित लग भग तीन सौ अधिकारी कर्मचारी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सम्मेलन में भाग लेते हुए निजीकरण के विरोध में हुंकार भरी।

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