मुरैना। (अजय दंडोतिया की रिपोर्ट) जिला कांग्रेस द्वारा महंगाई के विरोध में ट्रेनों को रोकने का आंदोलन किया गया था। इसकी शुरूआत तो बहुत अच्छी हुई कांग्रेसी नेता बडे जोरों शोरों ने नारे लगाते हुए मुरैना रेलवे स्टेशन पहुंचे लेकिन वहां पर पहले से तैनात पुलिस बल द्वारा किसी भी नेता की गाडी को स्टेशन के अंदर जाने नहीं दिया गया और फिर नेताजी और उनके साथ पैदल चलकर ही रेलवे स्टेशन पर पहुंचे। काफी देर तक नारेबाजी करने के बाद एक भी ट्रेन आती नहीं दिखाई दी तो फिर नेताजी द्वारा खाली पटरियों पर ही लोटपलोट होकर अपनी अच्छी सी फोटो खिंचवा ली। इसी बीच एक मालगडी भी आई जो अपने स्टोपेज के चलते थोडे समय रूककर वहां से चल दी। कुल मिलाकर कांग्रेस का रेल रोका आंदोलन खाना पूर्ति के साथ पूरी तरह विफल रहा। वहीं एक अन्य दल भी बडी सरगर्मी के साथ मुरैना रेलवे स्टेशन पर रेल रोकने के लिये आया लेकिन उक्त दल का जोश भी थोडी देर बाद शांत हो गया और नारेबाजी के साथ वह भी चल दिये। इससे पहले भी कांग्रेस द्वारा महंगाई के विरेाध में शहर के वैरियर चौराहे पर चक्काजाम का आयोजन किया गया था लेकिन वहां पर भी इस आंदोलन को कार्यकर्ताओं के हवाले छोडकर बडे नेताजी अपने लक्जरी गाडियों में बैठकर चलते बने। इससे पहले भी कई आंदोलन कांगे्रेसियों के द्वारा किये गये लेकिन हर आंदोलन में कार्यकर्ताओं की संख्या धीरे-धीरे घटती जा रही है। वैसे तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं की शहर में काफी अधिक संख्या है लेकिन जैसे ही कांग्रेस द्वारा किसी आंदोलन को अंजाम दिया जाता है वैसे ही उक्त कांग्रेसी कार्यकर्ता गायब हो जाते हैं।
नेताओं से ज्यादा मौजूद रहा पुलिस बल
कांग्रेस की ठण्डी पडती जा रही राजनीति के तहत विगत दिवस रेल रोका आंदोलन पूरी तरह विफल रहा। मजे की बात तो तब हुई जब कांग्रेसी अपने कार्यकर्ताओं के साथ मुरैना रेलवे स्टेशन पर पहुंच तो वहां पर कांगे्रेसियों से ज्यादा पुलिस बल मौजूद था। कहने का तात्पर्य यह है कि जब टिकिट लेने की बारी आई तो कांग्रेसी कार्यकर्ता बढ चढकर अपनी दावेदारी जताने के लिये ग्वालियर विधायक पाठक के पास पहुंचे लेकिन जब आंदोलन की बारी आई तब सभी दावेदार अपने-अपने कामों में व्यस्त रहे और कांग्रेस का कल का आंदोलन खानापूर्ति तक समिटकर रह गया और लोगों के बीच यह बात दिनभर चर्चा का विषय रही कि कांग्रेसियों के आंदोलन में इतने कार्यकर्ता नहीं थे जितनी वहां मौजूद पुलिस थी।
सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव नेता
आंदोलन से गायब नेताओं को कई वीर पुरूषों और त्यौहारों की बधाई देते सोशल मीडिया पर ज्यादातर देखा जा सकता है। अधिकतर कांग्रेसी नेता अपने आंदोलन को अब सोशन मीडिया पर ही चलाने लगे हैं। इसका खामियाजा कांग्रेसियों को यह हुआ कि कल हुए आंदोलन में ज्यादातर कार्यकर्ता मौजूद ही नहीं रहे। गायब नेताओं का आंदोलन सिर्फ सोशल मीडिया तक ही रहता है अपनी बडी बडी बातें फोटो के साथ शेयर करना या फिर त्यौहारों और वीर पुरूषों की जयंती व पुण्यतिथि पर अपने फोटो लगाकर लोगों तक पहुंचाना आदि कार्य नेताओं द्वारा ज्यादा किये जाने लगे हैं। जिससे यह साफ दिखाई देता है कि नेताजी केवल सोशल मीडिया पर ही ज्यादा एक्टिव दिखाई देते हैं।
कांग्रेस के बडे नेता आंदोलन से गायब
कांग्रेस द्वारा जब कल रेल रोको आंदोलन किया गया था उनमें कांग्रेस के बडे चेहरे पूरी तरह से गायब दिखाई दिये। और उन चेहरों में तीन चार चेहरे ऐसे भी हैं जो कांग्रेस के बैनर तले चुनाव तो जीत गए लेकिन कांग्रेस की एक भी एक्टीविटी में शामिल होते दिखाई नहीं देता। कहने सुतने में आ रहा है कि इसका मुख्य कारण कांग्रेस की घरेलू कलह है और यही कारण है कि कांग्रेस के कुछ बडे और नामीग्रामी नेता ज्यादातर आंदोलनों से गायब रहते हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले निकाय चुनाव में कांग्रेस का निश्चित ही हार का सामना देखना पडेगा, ऐसा लोगों में चर्चाओं का विषय बना हुआ है।

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