शिवपुरी। बुजुर्ग कहते थे साइकिल के ट्यूब में 4 पँचर हो जाये तो उसे नया डलवा लेना चाहिए वरना बार बार पँचर होता रहेगा और जुड़वाने में इतना ख़र्च कर डालोगे की नए ट्यूब से ज्यादा जेब से चले जायेंगे। शायद मड़ीखेड़ा पेयजल परियोजना के कर्णधारों ने इस कहावत को नहीं सुना और यदि सुना भी है तो उनको यह योजना कमाई का जरिया लगती है। नतीजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। करीब 114 करोड़ फूंकने के बाद भी नगर की आवाम को पेयजल मिल सकेगा या नहीं कहा नहीं जा सकता। फरवरी अंत की तरफ है और मार्च लगने वाली है। लोग पानी की कटियाँ निकालने लगे हैं। ड्रम साफ होने लगे। टेंक भी वाटर स्टोर की तैयारी में हैं। इधर मड़ीखेड़ा भरोसे के काबिल नहीं रही। इसकी मुख्य लाइन जिसे हम टाट की पैबंद लगी लाइन कहते हैं। आज फिर ठाकुर बाबा की टेक थीम रोड पर फुट गई। सड़क पर पानी भर गया। सड़क बनने को है अगर मड़ीखेड़ा की लाइन बार बार फूटी तो सड़क कैसे बनेगी। यह तो एक सवाल है ही लेकिन आने वाली गर्मी में लोगों की प्यास मड़ीखेड़ा नहीं बुझा सकी तो क्या होगा।
टैंकर नगर बनेगी शिवपुरी
लोगों को डर है कि मड़ीखेड़ा लाइन बेदम है। बार बार फूट रही है। नतीजे में फिर टैंकरों पर आश्रित रहना पड़ेगा। मेंहंगा टैंकर लोगो का बजट बिगड़ेगा।
नलकुपो का जल स्तर उतरा
नगर में पेयजल संकट 12 महीने रहता है। नलकुपो का जलस्तर नीचे चला गया है। कुछ नलकूप सुख गए हैं। ऐसे में मड़ीखेड़ा की लाइन के पैबंद लोगों की परेशानी बढाते नजर आ रहे हैं।
लोग बोले नई लाइन बिछवाई जाए
लोगों का कहना है कि मड़ीखेड़ा की मुख्य लाइन को नए सिरे से डलवाया जाए तभी पार पड़ सकती है। लोहे की लाइन डलेगी तभी ओवरहेड टैंक भरे जा सकेंगे।

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