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वसंत उत्सव के उपलक्ष्य में बच्चो को नवीन पीले वस्त्र वितरित किए

मंगलवार, 16 फ़रवरी 2021

/ by Vipin Shukla Mama
आदिवासी वस्ती बड़ौदी में बसंत प्रचमी उत्सव एवं सरस्वती पूजन समारोह का आयोजन 
पालक  अपनी बेटियों की  शिक्षा को बीच में न छोड़े - अतुल त्रिवेदी, सभांगीय समन्वयक स्वच्छ भारत मिशन ग्वालियर सभांग
शिवपुरी। इस साल बसंत पंचमी का त्योहार 16 फरवरी मंगलवार को मनाया । इस दिन को सरस्वती पूजा के नाम से भी जानते हैं। बसंत पंचमी वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है। हिंदू पंचांग के अनुसारए बसंत पंचमी का त्योहार माघ महीने के पांचवें दिन यानी पंचमी को पड़ता है। मान्यता है कि इस दिन ही मां सरस्वती प्रकट हुई थीं। इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व है।  शिवपुरी जिले में बसंत उत्सव एवं सरस्वती पूजा समारोह का आयोजन शक्तिषाली महिला संगठन शिवपुरी द्वारा आदिवासी वस्ती बड़ौदी के खुले परिसर में  बसंत उत्सव 2021 में सरस्वती पूजा का महत्व एवं बालिका शिक्षा को हर हाल में बढ़ावा देने हेतु आयोजित किया गया । सर्वप्रथम कार्यक्रम का प्रारंभ माॅ सरस्वती देवी के समक्ष दीपप्रज्वलित करने के अपराॅत वहाॅ उपस्थित सभी अतिथियों एवं सभी छात्राओं द्वारा माॅ सरस्वती को पुष्पार्पित किये। तदोपराॅत कार्यक्रम संयोजक शक्तिशाली महिला संगठन के रवि गोयल ने  बताया कि  बसंत पंचमी का उत्सव हमारे हिन्दी साहित्य के लेखक श्री सूर्यकाॅत त्रिपाठी निराला जी के जन्म दिवस पर सरस्वती पूजन के साथ हमारे भारत देश बसंत उत्सव के रुप में मनाया जाता है।जिसमें कि संस्था द्वारा जरुरतमंद बच्चों को नवीन पीले वस्त्र वितरित किए एवं बालिका शिक्षा को कैसे बढ़ाया जाए इस विषय पर केन्द्रित था।  कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  संभागीय समन्वयक स्वच्छ भारत मिशन ग्वालियर संभाग अतुल त्रिवेदी ने समुदाय को संबोधित करते हुये कहा कि जो पालक अपनी बेटियों को शिक्षा के लिए प्रेरित करते है उनकी बेटियां गांव व प्रदेश का नाम रोशन करती है एवं उन्होने अनुरोध किया कि पालक अपने बेटियों की शिक्षा को बीच में न छोड़े क्योकि बीच में पढ़ाई छोड़ देने से बेटियां शिक्षा से बंचित हो जाती है जिसका प्रभाव समाज पर पड़ता है उन्होने इसके साथ बच्चो को साफ सफाई एवं हाथ धुलाई के टिप्स भी बच्चों को दी।  कार्यक्रम में संयोजक रवि गोयल ने कहा कि हैं ये हमारे लिये भी और आपके लिये भी सौभाग्य कि बात है, आपको आपके लक्ष्य निर्धारित करते हुये अपनी शिक्षा के साथ-साथ अपने संस्कारों को भी साथ लेकर चलना है, क्यों कि शिक्षा और संस्कार ही होते है जोकि मनुष्य और जानवर के बीच के भेद को बताते है। और जो आपको संस्कार देने वाले है जो आपको शिक्षा देने वाले है, जो कि आपके माता पिता गुरु और जाने कितने ही जाने अनजाने में आपके सहयोगी होते है जो कि अपना कार्य समय पर सही तरीके से करते है और आपकी अनजाने में ही मदद करते है,  उन्हें हमें भूलना नहीं चाहिये बल्कि उन्होने हमारी मदद की है इसके लिये हमें उनका धन्यवाद देना चाहिये। कार्यक्रम में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता  रजनी सेन ने कहा कि आंगनवाड़ी केन्द्र पर 0 से 5 साल तक के बच्चों के लिए पोषण , स्वास्थ एवं शिक्षा तीनो दी जा रही है एवं गर्भवती किशोरी एवं धात्री माताओं के लिए भी योजना चलाई जा रही है इसका आपको लाभ लेना है कार्यक्रम में संस्था द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्र पर नंदनी आदिवासी, ज्योति, सुमन, रबीना, ,खुशी , रीना,   रोहन, सोमनाथ , परम आदिवासी को पीले रंग के नवीन वस्त्र वितरित किए। अंत में बच्चों में केक का प्रसाद वितरण कर कार्यकंम का समापन करते हुये सुपोषण सखी विमला जाटव ने सभी अतिथियों एवं समुदाय का आभार व्यक्त करते हुये  नीम के सात पौधे लगाकर एवं उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते कार्यक्रम का समापन किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में आंगनवाड़ी संचालिका सुश्री रजनी सेन, सहायिका रानी जाटव, सुपोषण सखी विमला जाटव, ज्योति आदिवासी, एसबीएम के संभागीय समन्वयक अतुल त्रिवेदी,   शक्तिशाली महिला संगठन के रवि गोयल एवं उनकी पूरी टीम, दानवती जाटव, कलावती जाटव, सपना ओझा, वंसिका यादव मिली ऋषिश्वर ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।

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