- स्वर्गीय गुरबख्श सिंह ढिल्लन की पन्द्रहवी पुण्यतिथि आज 6 फरवरी को
- ग्राम हातोद झाँसी रोड स्थित आजाद हिंद पार्क में श्रधांजलि एवम सर्वधर्म प्रार्थना सभा सुबह 11.30 बजे
शिवपुरी। 'शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा...। ' एक कविता की यह पंक्तियां हर साल 6 फरवरी आते ही जिले के हर देश प्रेमी की जुबान पर दोहराई जाने लगती हैं। देश की आजादी के यूं तो अनेक दीवाने रहे जिन्होंने अपने खून से हमें आजादी दिलाई लेकिन उन्हीं वीरों में अगर शिवपुरी की माटी का भी योगदान रहा तो उसे कैसे भुलाया जा सकता है। यही वजह है कि हर साल 6 फरवरी को शहर से चंद फांसले पर स्थित ग्राम हातोद में जिला प्रशासन और लोग जमा होते हैं। यहां भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के परमवीर योद्धा नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आजाद हिंद फौज के महानायक पद्म भूषण स्वर्गीय कर्नल गुरबख्श सिंह ढिल्लन की पन्द्रहवी पुण्यतिथि पर आज श्रद्धाजलि देकर सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन रखा गया है।
डाक टिकिट भी हुआ जारी
आजाद हिंद फौज के महानायक पद्म भूषण कर्नल ढिल्लन नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आजाद हिंद फौज के कर्नल रहे। भारत सरकार ने पदम भूषण से सम्मानित कर्नल ढिल्लन पर डाक टिकिट भी जारी किया है। जहाँ तक शिवपुरी से उनके गहरे लगाव की बात है तो सेना से सेवानिवृति के बाद शहर से 10 किमी दूर स्थित हातौद को उन्होंने अपनी कर्मस्थली बनाया। जिसके पीछे कहा जाता है कि गोरिल्ला युद्ध के प्रणेता अमर शहीद तात्याटोपे की बलिदान स्थली शिवपुरी थी और गोरिल्ला युद्ध में ढिल्लन भी माहिर थे इसलिए वे शिवपुरी में बस गए। इतिहासकार अरुण अपेक्षित के अनुसार शिवपुरी में कर्नल ढिल्लन को बसाने का श्रेय जाने माने कवि घासीराम जैन को जाता है। जिन्होंने उन्हें प्रेरित किया, इसके बाद जब 1951 में वह शिवपुरी आए तो उनकी आजाद हिंद फौज की वीरता के किस्से सुनकर शहरवासी दंग थे। उनसे मिलने आतुर थे। इसी बीच जब वह समाजसेवी और कवि घासीराम जैन के साथ शायर हाफिज निसार साहब से मिले तो उन्होंने शहर से 10 किमी दूर ग्राम कोटा में स्थित हातौद की जमीन को मात्र 1 रुपए में कर्नल ढिल्लन को दे दिया था और इसके बाद उन्होंने यहां ढिल्लन फार्म विकसित कर इसे अपना स्थाई निवास बना लिया था। आज यही उन्हें याद किया जाएगा।

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