मुरैना। छौंदा टोल प्लाजा इन दिन शहर और मुरैना ग्रामीण अंचल के कृषि क्षेत्र उद्योग व स्कूल संचालक छात्रों तथा आरटीओ ऑफिस तक जाने वालों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। पिछली 16 फरवरी से फास्ट टैग चालू होने के कारण लोकल के वाहनों का छौंदा टोल से निकलना मुश्किल हो गया है। टोल पर हर वाहन से 140 रूपए एक तरफ से मांगते हैं। दोनों तरफ से 280 रूपये देकर लोग कैसे चार चक्कर लगा सकते, यह एक आम सवाल छौंदा टोल के व्यवस्थापकों और जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों पर खडा होता है जो इस अव्यवस्था को देखकर भी कुंभकरणीय नींद में सो रहे हैं। बताते है कि कुछ दिन पूर्व छौंदा टोल पर तीन-तीन किमी तक जाम लगने के कारण कलेक्टर बी कार्तिकेयन अपनी प्रशासन टीम के साथ छौंदा टोल पर पहुंचे थे और उन्होंने टोल व्यवस्थापकों को लोकल के लिए एक टेक अलग से बनाने के लिए निर्देश दिये गए थे जो अभी तक नहीं बनाया गया है, इस कारण से लोकल वाहनों का आना जाना छौंदा टोल व्यवस्थापकों के बीच रोज विवाद खडा कर रहा है। कर्मचारी वाहन को निकलने नहीं देते इस कारण विवाद की स्थिति बन जाती है। दिन में लगभग एक सैकडा से अधिक लोग छौंदा टोल के कर्मचारियों से हुज्जत करते हैं कोई निकल जाता है और कोई बेइज्जती समझकर पैसा भी दे जाता है, यहां बता दें कि निगम क्षेत्र में टोल प्लाजा का स्थापन नियमानुसार गलत है और फिर यदि स्थापित कर दिया गया है तो स्थानीय वाहन कृषि क्षेत्र और स्थानीय कार्यालयों और उद्योग धंधों पर जाने आने वालों को टोल पर टैक्स देने का राइट नहीं है। लेकिन फिर भी टोल के व्यवस्थापक सरकार का हुकुम मानकर स्थानीय लोगों को परेशान करने में जुटे हैं। उन्हें फास्ट टैग से निश्चित ही बडा फायदा आसान हुआ है लेकिन स्थानीय वाहनों की परेशानी भी एक बडी समस्या है जिसे यदि हल नहीं किया जाता है तो किसी न किसी दिन टोल प्लाजा फिर पुलिस के हवाले होगा। जिला प्रशासन से यह अपील है कि स्थानीय नागरिकों की इस समस्या पर विशेष ध्यान देकर हल कराये जिससे आम नागरिक अपने निजी कार्यें के लिए नजदीक जाने पर भी टोल से बच सके।

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