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मध्यप्रदेश शिक्षक संघ ने अपनी मांगों को लेकर सौंपा ज्ञापन

सोमवार, 1 फ़रवरी 2021

/ by Vipin Shukla Mama
रैली की सूरत में पहुंचे शिक्षक कलक्ट्रेट
शिवपुरी। मध्यप्रदेश शिक्षक संघ जिला इकाई शिवपुरी ने अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन सीएम, मंत्री के नाम है जिसे कलक्टर को संबोधित किया है। संघ के कोषाध्यक्ष सुशील कुमार अग्रवाल ने ज्ञापन पढ़कर सुनाया जिसे डिप्टी कलक्टर को भेंट किया। ज्ञापन में लिखा है कि, प्रदेश की शिक्षा, शिक्षण एवं शिक्षकीय व्यवस्थाओं की जमीनी वास्तविकता से अवगत करा रहे हैं। उपर्युक्त विषयांतर्गत म.प्र. शिक्षक संघ जिला इकाई शिवपुरी का अनुरोध है कि मिडिया रिपोर्ट्स एवं प्रशासनिक आदेश निर्देशों से ज्ञात हो रहा है कि प्रदेश की शिक्षा, शिक्षण एवं शिक्षकीय व्यवस्थाओं को वास्तविक रूप से आपको अवगत नही कराया जा रहा है। कुछ बिन्दुओं में वास्तविकता विचार हेतु आपकी ओर कप्रेषित है।
1)  30-35 साल से  सेवा दे रहे योग्यताधारी   सहायक- शिक्षकों, शिक्षकों, प्रधानपाठकों, व्याख्याताओ एवम प्राचार्यो को पदोन्नती व पदनाम नहीं दिया गया है। जिससे शिक्षकों में निराशा बढ़ती जा रही हैं। अतःनिवेदन है कि आपके द्वारा दो बार की गई घोषणानुसार  इन्हें अपग्रेड करते हुए शीघ्र पदनाम आदेश जारी किए जाए।
2) कोरोना महामारी के कारण लंबित वेतन वृद्धि व मंहगाई की किश्तों का शीघ्र भुगतान किया जाए।
3) प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षकों शिक्षकों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए।साथ ही अनुकंपा नियुक्ति के समय पात्रता परीक्षा एवम बीएड, डीएड की शर्त को शिथिल करते हुवे नियुक्ति पश्चात तीन वर्ष में करने का प्रावधान सुनिश्चित किया जावे।
4) एमडीएम में 73 दिन का सुखा भोजन वितरित करना एक ऐतिहासिक निर्णय है, इससे स्कुलो में दर्ज संख्या बड़ी है। बच्चों को पहली बार वास्तविक लाभ हुआ। यह भोजन वितरण की डीबीटी योजना साबित हुई है।इससे वास्तविक लाभार्थी को लाभ पहुँचा है तथा सरकार की लोकप्रियता बड़ी है। जबकि प्रशासन द्वारा इस योजना में कई दोष, घोटाले बताकर बिचौलियो को लाभ पहुँचाने के लिए तथा इसे बन्द कराने के लिए षड्यंत्र किया जा रहा है।
5) यह विश्लेषण गलत है कि दक्षता आकलन परीक्षा से 10 वीं एवं 12 वीं के परीक्षा परिणाम में कोई सुधार हुआ है। पूर्व अधिकारियो द्वारा प्रदेश की शिक्षा गुणवत्ता के लिए शिक्षक- समाख्या, सीखना-सिखाना, एएलएम्, दक्षता, शाळा सिद्धि जैसी कई योजनाए बनाई गई, उनमे अरबो रुपए खर्च हुए फिर भी अपेक्षित परिणाम नही मिले है। क्या इन अधिकारियों की परीक्षा या इनके विरुद्ध कोई कार्यवाही  नहीं होनी चाहिए ?
6) आयुक्त लोक शिक्षण, म. प्र. के एक आदेश से सत्र 2020-21 के लिए परीक्षा परिणाम के लिए कक्षा-9 वीं के लिए 59% कक्षा 10वीं-64% कक्षा 11वीं -81% और कक्षा 12 के लिए 73% परीक्षा परिणाम का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह एकदम अव्यवहारिक एवं स्थिति-परिस्थिति के प्रतिकूल है। इस अन्यायपूर्ण, अव्यवहारिक आदेश से शिक्षकों  में शासन के प्रति आक्रोश पैदा करने का षड्यंत्र है। क्या आज तक इन अधिकारियों द्वारा बनाई गई किसी योजना से 90% सफलता प्राप्त हुई है ?  वास्तव में इन अधिकारियों के कारण शिक्षकों  में भय, असमंजस, भ्रम की स्थिति है। आप जानते है कि कोविड-19 के संकट के चलते विद्यालयों में छात्र उपस्थिति 30% से भी कम है अभिभावकों की सहमति ना मिलने से छात्रों को विद्यालय उपस्थित करा पाना संभव नहीं हो पा रहा है। छात्रों की न्यून उपस्थिति के चलते परीक्षा परिणाम के निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर पाना संभव नहीं है। प्रदेश के अनेक ग्रामीण अंचलों के विद्यालयों में शिक्षकों की अत्यंत कमी बनी हुई है।पोर्टल पर शिक्षकों के पद रिक्त ना दर्शाए जाने के कारण उन पदों के विरुद्ध अतिथि शिक्षक रख पाना भी संभव नहीं हो पा रहा है। इस स्थिति में विद्यालयों में सभी विषयों की पढ़ाई सही ढंग से नहीं हो पा रही है।
कई विद्यालय ऐसे भी हैं जो या तो शिक्षक विहीन है या एक शिक्षकीय हैं यहां गणित, अंग्रेजी और विज्ञान विषय के अतिथि शिक्षक भी उपलब्ध नहीं हो पाए हैं ऐसी स्थिति में विद्यालय का परीक्षा परिणाम निर्धारित लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकेगा ? यह एक विचारणीय प्रश्न है। जिन विद्यालयों में शिक्षकों की अत्यंत कमी है वहां जिला स्तरीय ज्ञानपुंज दल के विषय विशेषज्ञ शिक्षक शैक्षिक भ्रमण कर अध्यापन कार्य कराते थे इस वैकल्पिक व्यवस्था के चलते उक्त विद्यालयों में शैक्षणिक कार्य विधिवत संचालित हो पा रहा था लेकिन लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा वर्तमान में ज्ञानपुंज दल को भी समाप्त कर दिया गया है, इससे ऐसे विद्यालय जहां शिक्षकों की कमी है अब पढ़ाई के लिए कोई दूसरा विकल्प उपलब्ध नहीं रह गया है।
7) वास्तव में गैर शैक्षणिक कार्यो से शिक्षा गुणवत्ता में आमूलचूल सुधार सम्भव है परन्तु विभागीय अधिकारी राजस्व के अधिकारियों के सामने मूकदर्शक बनकर इस ओर सदैव अनदेखी करते है। वास्तव में प्रत्येक स्कुल में कहीं एक शिक्षक है कहीं दो शिक्षक है उसमे से एक सदा गैर शैक्षणिक कार्यो में संलग्न रहते है। अतः वर्तमान परिस्तिथियों को देखते हुए  इस प्रकार के आदेशों पर रोक लगाकर परिणाम दायीं आदेश जारी किया जावे।

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