शिवपुरी। पोहरी रोड, पंचमुखी हनुमान जी मंदिर के सामने अमृत विहार कालोनी स्थित माता के मंदिर पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा में आज तीसरे दिन, कथा व्यास पं. वाल योगी वासुदेव नंदिनी भार्गव ने ध्रुव चरित्र की आध्यात्मिक चर्चा में बताया कि उत्तानपाद की दो पत्नियां थी सुनीति और सुरुचि। वास्तविकता में देखें तो हम सब की दो पत्नियां हैं या यों माना जाए कि विचार है । सुनीति जो नीति मार्ग का दर्शन कराती है और सुरुची जो रुचि के अनुरूप गलत पथ दर्शन करवाती है किंतु ध्रुव का कल्याण सुनीति के बताए हुए मार्ग से हुआ क्योंकि जीवन की सर्वोच्च पराकाष्ठा तक केवल नीति ही ले जा सकती है। अतः ध्रुव ने सुनीति जैसी माँ पाकर नाशवान शरीर से भी अविनाशी पद को प्राप्त किया। संसार के पदों का तो एक निश्चित अवधि के बाद नाश हो जाता है किंतु ध्रुव ने अचल पद प्राप्त किया और ख्याति भी तब ही है जब चल देह से अचल लक्ष्य प्राप्त किया जाए।

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