Responsive Ad Slot

Latest

latest

'जिले के सेहरिया आदिवासियों में 60 प्रतिशत तक टीबी के रोगी', 'पीएम मोदी ने कहा इसे जड़ से मिटाना है'

शनिवार, 6 मार्च 2021

/ by Vipin Shukla Mama
नेशनल स्ट्रेटजी प्लान 2017 से 2025 लागू
- जिले में प्रति लाख पर 250 मरीज जिन्हें हम सभी को मिलकर 40 प्रति लाख लाना है
- टीबी रोग बढ़ने के पीछे शराब, तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट दोषी
- मीडिया कार्यशाला में बोले जिला क्षय एवं नियंत्रण अधिकारी डॉक्टर आशीष व्यास 
शिवपुरी। शहर के एएनएम सेंटर में राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन अभियान के क्रम में लोगों को जागृत करने के लिए एक कार्यशाला आयोजित की गई। 
क्षय रोग रोकथाम के लिए क्या क्या कदम उठाए जाने जरूरी हैं और किस तरह क्षय रोग से पीड़ित लोगों को स्वस्थ रखना है, किस तरह क्षय रोग पीड़ित व्यक्तियों का उपचार करना है, उन्हें कैसे सामने लाना है। इस विषय को लेकर मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिला क्षय एवं नियंत्रण अधिकारी डॉ आशीष व्यास ने मीडिया को बताया कि क्षय रोग एक गंभीर बीमारी है और इस पर नियंत्रण पाना बेहद जरूरी है। जिले में प्रति लाख 250 मरीज सामने आ रहे हैं यह आंकड़ा चौंकाने वाला है। सरकार की मंशा के अनुसार प्रति लाख 40 मरीज तक यह आंकड़ा नीचे लाना है, अब तक जो देखने में आया है उसके अनुसार सबसे अधिक मरीज सहरिया आदिवासियों के बीच 60% तक सामने आए हैं। यह अच्छी बात नहीं है और हम इस बीमारी के नियंत्रण के लिए गांव के लोगों को जागृत करना होगा। उन्हें बताना होगा कि यह रोग बेशक संक्रमित बीमारी है लेकिन इससे घबराने की कतई जरूरत नहीं है क्योंकि अब इतनी बेहतर दवाएं आ चुकी है कि सामान्य टीवी रोग 6 माह की दवाई लेने पर ठीक हो जाता है और यदि गंभीर क्षय रोग हो तो वह साल भर में ठीक हो सकता है। उन्होंने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि 2017 से 2025 तक नेशनल स्ट्रेटजी प्लान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने शुरू किया है और इस पर अधिक से अधिक फोकस करते हुए ज्यादा से ज्यादा मरीज ढूंढे जाने हैं जिससे समय रहते बीमारी पर काबू पाया जा सके। देश में 217000 एक्टिव केस हैं और इसमें विशेष रूप से काम करने की योजना तैयार की गई है। इंडियन मेडिकल काउंसिल ऑफ रिसर्च का बड़ा योगदान है। उन्होंने बताया कि जिले में 2018 से अधिक 3350 मरीज 2020 में मिले हैं। अब राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत एक लाख की आबादी पर 40 मरीज लाने का लक्ष्य रखा गया है जिससे इस बीमारी को फैलने से रोका जा सकेगा। वर्तमान में यह बीमारी महामारी के रूप में देश में मौजूद है। देश में हर साल 24 से 26 लाख नए मरीज मिलते हैं। 1400 लोग प्रतिदिन मौत को गले लगाते हैं।
उन्होंने संतोष जाहिर किया कि शिवपुरी में प्रति लाख ढाई सौ मरीज भले ही सामने आ रहे हैं लेकिन मौत का प्रतिशत 5% है। हम सभी विभागों के समन्वय से इस बीमारी पर काबू पा सकते हैं। डॉक्टर व्यास ने जानकारी देते हुए बताया कि 2016 से देश में प्रत्येक जिले में सीवी नेट मशीन आरटी पीसीआर टेस्ट की सुविधा उपलब्ध हो गई है। जो 2 घंटे में यह बताती है कि व्यक्ति को टीबी है या नहीं। 2 घंटे में 4 केस का परीक्षण हो जाता है। उन्होंने खास तौर पर बताया कि यूरिन, ब्लड और मल को छोड़कर दिमाग सहित शरीर के किसी भी अंग में टीवी हो तो इस मशीन की जांच में सामने आ जाता है। अब तक जिले में 13641 जांच मशीन से की जा चुकी है। यह जांच सरकार को प्रति जाँच 8000 पड़ती है। जिले में जो 13641 मरीजों की जांच की गई उसमें 273 मरीज मिले। ट्रू नेट मशीन पर 3537 मरीज जबकि जिला अस्पताल में मशीन के माध्यम से जो जांच की उसमें केवल 45 दिनों के अंदर यह मरीज मिले हैं। डॉ व्यास ने बताया कि सहरीया बाहुल्य जिले के 689 गांव में हमारी टीम पहुंची और 2883 प्रकार की जांच कराई गई जिसमें से 467 मरीजों के एक्सरे कराए गए। विभिन्न माध्यमों से मरीजों को शहर तक लाकर 3350 मरीजों के एक्सरे हुए। इनमें से 89 एमडीआर, 3 एसडीआर मरीज पाए गए। जिनका इलाज शुरू किया गया है। डॉ व्यास ने बताया कि 99 डॉट आने के बाद यह सुविधा भी मिल गई है कि व्यक्ति को नियमित रूप से दवा लेने के दौरान दवा के साथ अंकित टोल फ्री नंबर पर मिस कॉल देना होती है। जिससे उक्त मरीज का इलाज के दौरान बनाया गया खाता सेल्फ एक्टिव होता है और दवा लेने के संबंध में जानकारी फीड हो जाती है। यदि कोई मरीज दवा नहीं लेता तो इसकी जानकारी भी स्टाफ को मिलती रहती है। उन्होंने दवाई लेने के विभिन्न तरीकों के बारे में बताया और कहा कि भले ही क्षय रोग संक्रमित बीमारी है लेकिन यह किसी भी व्यक्ति के संपर्क में 1 माह 15 दिन रहने के दौरान ही हो सकती है। इसलिए यह कहना गलत है कि क्षय पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आते ही संक्रमण हो जाता है। उन्होंने आधुनिक दवाओं के आने के बाद छह रोग पर तत्परता से नियंत्रण की बात कही और लोगों से अपील की कि बिना किसी घबराहट और बात को छुपाये तत्काल सामने आना चाहिए जिससे संबंधित व्यक्ति का इलाज किया जा सके और वह जल्द ही क्षय रोग से निजात पा सके। डॉ व्यास ने बताया कि टीवी अस्पताल में जिला अस्पताल से भी बेहतर एक्सरे मशीन आ गई है और वह जल्दी ही इंस्टॉल होने के बाद काम करना शुरू कर देगी जिसके बाद मरीजों का एक्सरे टीवी अस्पताल में ही संभव हो जाएगा। डॉ व्यास ने बताया कि कांटेक्ट ट्रेसिंग का टीबी रोग में भी बड़ा महत्व है क्योंकि यदि किसी घर में टीवी का मरीज मौजूद है और उसी घर में 6 साल से छोटे बच्चे हैं तो उन्हें टीवी होने की संभावना रहती है लेकिन मरीज की जानकारी समय रहते मिलने के बाद अगर बच्चे को हमारे द्वारा जो एक गोली दी जाती है जिससे उसे इस रोग से बचाया जा सकता है। डॉ व्यास ने बताया कि अब एनआरसी सेंटर में  कुपोषित बच्चों को लाए जाने पर मांडू टेस्ट होगा 12 साल से कम बच्चों का यह परीक्षण होते ही ही पता लग जाएगा कि वह बच्चा कहीं क्षय रोग से पीड़ित तो नहीं। उसमें यदि लक्षण पाए जाएंगे तो तत्काल इलाज भी शुरू किया जाएगा। उन्होंने लोगों से कहा कि 2 सप्ताह से ज्यादा खांसी, वजन कम, जुकाम के लक्षण दिखाई दें तो हल्के में ना लें और तत्काल परीक्षण कराएं। उन्होंने जिला अस्पताल की डॉ मेघा प्रभाकर की तारीफ करते हुए कहा कि बच्चों के गले में गठान होने पर हम जिला अस्पताल भेजते हैं जहां डॉक्टर मेघा पानी निकाल कर उसकी जांच तत्काल करा देती हैं। यदि बच्चा क्षय रोग से पीड़ित होता है तो हम उसका इलाज समय रहते शुरू कर देते हैं। इसी तरह उन्होंने पैथोलॉजिस्ट शिल्पा मोडगरे का भी हवाला दिया और बताया कि वह भी एक अन्य पैथोलोजिस्ट के साथ इस लड़ाई में महती भूमिका अदा कर रही है।
 चलाना होगा नशा मुक्ति अभियान 
डॉ व्यास से जब पूछा गया कि सरकार के लगातार प्रयासों के बावजूद जिले के आदिवासियों में क्षय रोग
 क्यों बढ़ रहा है, उस पर नियंत्रण कैसे पाया जा सकता है। तब डॉ व्यास में जो कारण बताए  उसमें पहली वजह मरीजों द्वारा बीच में ही दवाई छोड़ देना प्रमुख वजह बताई वहीं शराब का सेवन दूसरी बड़ी वजह बताई। यही कारण है कि उन्होंने नशा मुक्ति अभियान चलाने पर जोड़ दिया। दीपक फाउंडेशन भी जुटा अभियान में 
डॉ व्यास ने बताया कि इस जिले में क्षय रोग पर नियंत्रण पाने के लिए एक एनजीओ को भी जोड़ा गया है। दीपक फाउंडेशन के माध्यम से जिले में मरीजों को ढूंढा जा रहा है। साल 2019 में 55, 2020 में 45 मरीज मिले, सितंबर महीने से दीपक फाउंडेशन ने जिले में काम शुरू किया है। उसे सितंबर में 20, अक्टूबर में 40, नवंबर में 50, दिसंबर में 86, जनवरी में 97 जबकि फरवरी में  75 मरीज मिले। पीड़ित मरीज तक पहुंचने का लक्ष्य इस एनजीओ को दिया गया है। एनजीओ के शशांक साहू ने बताया कि हम और हमारे साथ ही लगातार मरीजों की खोज में जुटे हुए हैं और हमने पूरा डाटा कंप्यूटर में फीड कर रखा है।
 निजी डॉक्टरों को भी कर रहे अभियान से जोड़ने की कोशिश
 जिले के निजी डॉक्टरों को भी इस अभियान से जोड़ने के लगातार प्रयास किये जा रहे है। डॉक्टर व्यास ने बताया कि मरीज, सरकारी इलाज की बजाय निजी डॉक्टरों के पास जाता है उसे वहां भी क्षय रोग का इलाज मिल सके इसके लिए 7 मार्च को मातोश्री में निजी डॉक्टरों की कार्यशाला आयोजित की गई है। जिसमें उन्हें छह रोग नियंत्रण के संबंध में जानकारी दी जाएगी। उन्होंने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और परिवार के सदस्यों द्वारा मरीज को दवा दिए जाने के एवज में सरकार से मिलने वाली राशि के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 6 माह के इलाज के दौरान मरीज के खाते में सरकार 3000 रुपये जमा कराती है। इस बीमारी का इलाज पूरी तरह से निशुल्क किया जाता है। सरकारी अस्पताल में छह रोग के इलाज का कोई पैसा नहीं लगता। उन्होंने जिले के लोगों से जागरूक रहकर क्षय रोग से मुक्ति पाने की अपील भी की। उन्होंने बताया कि जिले के कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह के साथ मिलकर सीएमएचओ डॉ एएल शर्मा और पूरी टीम इस अभियान पर नियंत्रण पाने में जुटी हुई है।

कोई टिप्पणी नहीं

एक टिप्पणी भेजें

© all rights reserved by Vipin Shukla @ 2020
made with by rohit Bansal 9993475129