अजय दण्डौतिया
मुरैना। निकाय चुनावों की घोषणा कभी भी हो सकती है ऐसे में इस चुनाव में अध्यक्ष और पार्षद की दौड में शामिल होने के लिये एक वार्ड से लगभग 6 से 7 प्रत्याशी अपनी दावेदारी दिखाने से पीछे नहीं हट रहे हैं। अपनी दावेदारी और पार्टी से टिकिट को पक्का करवाने के लिये ज्यादातर प्रत्याशी अपने-अपने आकाओं की घोर चरणवंदना में जुट गए हैं। इसका अंदाजा उस दिन लग गया जब एक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का आगमन मुरैना शहर में हुआ। उक्त अध्यक्ष के स्वागत में कई दावेदारों ने अपनी जगह बनाने के लिये पूरे शहर को बैनर और पोस्टरों से पाट दिया। जहां देखो वहां अध्यक्ष व बडे नेताओं के साथ अपनी छोटे से फोटो को लगवाकर अपना चेहरा चमकान में दावेदार लगे हुए थे। इसी बीच राह चलते एक व्यक्ति ने एकदम से कहा कि अगर इतने पोस्टरों की वजाये ये नेता लोग गरीबों को खाना खिलाते तो वोट तो उनको मिल ही जाते लेकिन पता नहीं काहे बडे नेता के आगे अपना फोटो चमकाते रहते हैं। उक्त व्यक्ति की इस बात से तो अंदाजा लगाया ही जा सकता है कि पार्टी के टिकिट के लिये दावेदारों को अपने-अपने आकाओं को खुश करना ही होगा। इसके ठीक विपरीत बडे नेता अपने भाषाणों में यह कहते नहीं थक रहे हैं कि पार्टी से टिकिट तो उन्हीं दावेदारों को मिलेगा जो ईमानदार, स्वच्छ छवि और मेहनतशील होगा। लेकिन इतिहास गवाह है ऐसे किसी भी प्रत्याशी को पार्टी द्वारा टिकिट नहीं दिया जायेगा। अब हम बताते हैं कि टिकिट पाने के लिये क्या प्रतिभाऐं एक प्रत्याशी में होना चाहिए जैसे ही इतिहास गवाह है एक दावेदार को टिकिट के लिये बाहूबली होना चाहिए, अच्छा खासा पैसा होना चाहिए, शहर में उसका दबदबा होना चाहिए और चापलूसी में पूरी तरह से निपूर्ण होना चाहिए। इन्हीं खासियतों के चलते ही ज्यादातर पार्टी के नेता अपने प्रत्याशियों को टिकिट देते थे, देते हैं और आगे भी शायद देेंगे। आपने कभी सुना है क्या कभी किसी गरीब व्यक्ति को पार्टी द्वारा टिकिट दिया गया हो। नहीं! क्योंकि पार्टी को ऐसे प्रत्याशी चाहिए जो उनके नगर आगमन पर पूरे शहर में उनके बैनर पोस्टर लगवा सके, कई जगह उनका स्वागत करवा सके। अब इसके ठीक उलट एक गरीब व्यक्ति यह सब नहीं करवा सकता। यही वह वजह है कि पार्टी द्वारा टिकिट केवल संपन्न लोगों को ही दिया जाता है। मेहनती और कर्मठशील दावेदारों को तो पतली गली का रास्ते नेता नगरी के बडे आकाओं द्वारा दिखा ही दिया जाता है। अच्छा अब बात करते हैं कि नेता नगरी में नया क्या होने जा रहा है। तो आपकी जानकारी के लिये हम बता दें कि नेता नगरी में अभी कुछ उठा पटक हुई है जिसने पूरी सरकार को ही बदलकर रख दिया। चलो यहां तक तो ठीक ही था। सरकार बदलने के बाद एक पार्टी छोडकर दूसरी पार्टी में गए दिग्गज नेता और उनके समर्थकों का आये दिन कुछ न कुछ विवाद होता ही रहता है। जिसमें एक ताजा तरीन मामला देखने को मिला। अपने नेता के कट््टर समर्थक जब नई पार्टी में आयोजित एक कार्यक्रम में अंदर जाने के लिये हुए तो नई पार्टी के नेताजी द्वारा उसे जाने से रोक दिया गया जिस पर वह कट््टर समर्थक भडक गया और बात गाली गलोंच तक उतर आई। आप लोगों को यह बात आम लग रही होगी लेकिन भविष्य में इस तरह के वाक्या होने का अंदेशा इसी घटना से लगाया जा सकता है। किसी दूसरी पार्टी की मानसिकता को लेकर नई पार्टी में आये नेता और समर्थकों को असमंजस बिठाने में काफी समय तो लगेगा ही लेकिन विवाद की स्थिति भी आयेगी। ऐसा इसलिये क्योंकि नई पार्टी के नेता और उनके समर्थकों को हमेशा इसी बात का रोष रहता है कि दूसरी पार्टी से आये नेता और उनके समर्थकों को कहीं हमारी जगह न दे दी जाये। वहीं दूसरी पार्टी से आये नेताओं के समर्थक भी इसी बात पर अडे रहते हैं कि हमें भी पार्टी में पद और प्रतिष्ठा चाहिए। जब दोनों पार्टियों के समर्थकों व नेताओं के विचार नहीं मिलते तो वह झगडे का स्वरूप ले लेते हैं। जैसा कि बिजली के तारों में होता है अगर दोनों तार आपस में मिल जायें तो धमाका ही होता है कुछ इसी तरह का धमाका विगत दिनों देखने को मिला। खैर निकाय चुनाव अब बहुत ही नजदीक आ गए हैं और सभी दावेदार अपने नेताओं की जी हजूरी कर उनकी चरण वंदना में जुट गए हैं।

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