राग का भाव ही बंध का कारण है, राग के आगे विराग लगाएं
बामौरकला। कस्बे के पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर पीपल चौक में आयोजित धार्मिक प्रवचन के दौरान आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री अभय सागर जी, मुनि श्री प्रभात सागर जी व मुनि श्री निरीह सागर जी महाराज ने धर्म सभा को उपदेश देते हुए कहा कि गुरु का धर्मोपदेश सुनना बहुत ही पुण्योदय से प्राप्त होता है। उपदेश सुनकर उसे आचरण में उतारें। उन्होंने कहा कि भक्त कभी भगत बन जाते हैं। (यानि की भाग जाते है)। आम में बोर आते हैं। लेकिन निश्चित नहीं कि कितने में फल आने तक बोर बचेंगे फल भी कितने शेष बचेंगे। अनेकों प्रकार के कारण आयेंगे। जो फल के रूप में आकर शेष बचें वही सार्थक है। गुरु का उपदेश सुनने, बुलाने से नहीं पुण्योदय से मिलता है, उपदेश सुनकर, ग्रहण कर आचरण में उतारें। सिद्धांत सुनने के बाद अभ्यास करें। संसार की असारता का सही बोध करें। मनुष्य संसार की आपधापी में उलझा है।राग भाव ही बंध का कारण होता है। राग भाव से बचने का प्रयास करें। राग के आगे विराग लगाये, विरागता को कम करें। आत्म कल्याण की भावना भाये। लोग व्यसन ( बीड़ी सिगरेट ) को छोड़ने के उपाय पूछते हैं। सरल उपाय है कि ऊंगली को ढीला कर दो छूट जायेगी। इस अवसर पर मुनि श्री को जिनवाणी (शास्त्र) जी अर्पित करने का सौभाग्य संतोष कुमार प्रमोद कुमार मोदी, कुंदनलाल अकलंक कुमार मोदी, राजेंद्र कुमार धरणेन्द कुमार मिश्रा व रमेश चन्द्र अमित कुमार बड़कुल परिवार को प्राप्त हुआ। द्धीप प्रज्वलन करने का सौभाग्य नवयुवक संघ खनियांधाना को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर मुनि संघ की आगवानी आर्यिका मां विज्ञान मति माता जी ससंघ के साथ क्षेत्रीय जैन समाज ने दो किलोमीटर दूर पहुंच कर भब्य तरीके से की। रंगोली, पाद प्रक्षालन, डी.जे तथा बड़े बाबा दिब्य घोष बामौरकलां ने की। आर्यिका संघ का बिहार राजघाट की ओर हुआ जबकि मुनि संघ का चंदेरी की ओर हुआ।
सुरक्षा व्यवस्था हेतु बामौरकलां पुलिस सक्रिय रही।

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