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'व्यायाम और प्राणायाम स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी'

गुरुवार, 4 मार्च 2021

/ by Vipin Shukla Mama
रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है योग से 
करैरा। (युगल किशोर शर्मा की रिपोर्ट) स्थानीय गायत्री मंदिर पर निरंतर चलने वाले योग शिविर में कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए बढ़ती संख्या अब यह बात सिद्ध करने लगी है कि लोग अब अपने स्वास्थ्य के प्रति अत्यधिक जागरुक हो रहे हैं। योग शिक्षक श्री वेद प्रकाश के द्वारा योग शिविर में प्रतिदिन योग और प्राणायाम कराये जाते हैं साथ ही नियमित प्राणायाम भी कराया जाता है जिससे निरंतर संख्या बढ़ती जा रही है। योग शिविर में श्री वेदप्रकाश  ने  बताया कि प्राण वह शक्ति है जो हमारे शरीर को ज़िंदा रखती है और हमारे मन को शक्ति देती है। तो 'प्राण' से हमारी जीवन शक्ति का उल्लेख होता है और 'आयाम' से नियमित करना। इसलिए प्राणायाम का अर्थ हुआ खुद की जीवन शक्ति को नियमित करना।
प्राण शरीर की हज़ार सूक्ष्म ऊर्जा ग्रंथियों ( जिन्हें नाड़ि कहते है ) और ऊर्जा के केंद्रों (जिन्हें चक्र कहते है ) से गुज़रती है और शरीर के चारो ओर आभामंडल बनाती है। प्राणशक्ति की मात्रा और गुणवत्ता मनुष्य की मनोस्थिति निर्धारित करते हैं। अगर प्राणशक्ति बलवान है और उसका प्रवाह निरंतर और सुस्थिर है तो मन सुखी, शांत और उत्साहपूर्ण रहता है। पर ज्ञान के आभाव में और सांस पर ध्यान न रखने की वजह से मनुष्य की नाड़िया, प्राण के प्रवाह में रूकावट पैदा कर सकती है। ऐसी स्थिति मन में आशंका, चिंताएं, और डर उत्पन्न करती है। हर तकलीफ पहले सूक्ष्म में उत्पन्न होती है। इसलिए कोई बीमारी पहले प्राणशक्ति में उत्पन्न होती है।
प्राणायाम के फायदे बताते हुए कहा कि प्राणायाम शक्ति की मात्रा और गुणवत्ता बढ़ाता है। रुकी हुई नाड़ियां और चक्रों को खोल देता है। आपकाआभामंडल फैलता है।मानव को शक्तिशाली और उत्साहपूर्ण बनाता है ।मन में स्पष्टता और शरीर में अच्छी सेहत आती है ।शरीर, मन, और आत्मा में तालमेल बनता है।
प्राणायाम के प्रकार और उपयोग पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि प्राचीन भारत के ऋषि मुनियों ने कुछ ऐसी सांस लेने की प्रक्रियाएं ढूंढी जो शरीर और मन को तनाव से मुक्त करती है । इन प्रक्रियाओं को दिन में किसी भी वक़्त खाली पेट कर सकते हैं।
अगर आपका मन किसी बात को लेकर विचलित हो या आपका किसी की बात से अपना मन हठा ही नहीं पा रहे हो तो आपको भ्रामरी प्राणायाम करना चाहिए। यह प्रक्रिया उक्त रक्तचाप से पीड़ित लोगो के लिए बहुत फायेदमंद है। नाड़ियों की रुकावटों को खोलने हेतु कपालभारती  प्राणायाम  उपयुक्त है। यह प्रक्रिया शरीर के विषहरण के लिए भी उपयुक्त है। अगर आप कम ऊर्जावान महसूस कर रहे हैं तो भस्त्रिका प्राणायाम के तीन दौर करें - आप खुद को तुरंत शक्ति से भरपूर पाएंगे। अगर आप अपने कार्य पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे तो नाड़ी शोधन प्राणायाम के नौ दौर करे और उसके पश्चात दस मिनट ध्यान करें । नाड़ी शोधन प्राणायाम दिमाग के दाहिने और बाएं हिस्से में सामंजस्य बैठाती है मन को केंद्रित करती है।
ध्यान दे - प्राणायाम हमारी सुक्ष्म जीवन शक्ति से तालुक रखती है। इसलिए इनको वैसे ही करना चाहिए जैसे आपकी योग कक्षा में सिखाया गया हो। शिविर में विशेष रूप से जनपद पंचायत करैरा के पूर्व अध्यक्ष नारायण गेड़ा,  सतीश श्रीवास्तव, वेद प्रकाश भार्गव, विमलेश गुप्ता, देवेन्द्र कुमार दुबे, विजय कुमार गुप्ता,  अशोक कुमार तिवारी सहित बड़ी संख्या में योग प्रशिक्ष उपस्थित रहते हैं ।

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