मुरैना पुलिस को सीधे तौर पर चुनौती देते लुटेरे
मुरैना। (अजय दंडोतिया की रिपोर्ट) अभी पिछले कुछ दिनों पहले ग्राम सेवा केन्द्र से तीन लुटेरों ने बन्दूक की नोंक पर दिल दहाडे लगभग 1 लाख रूपये की लूट की वारदात को अंजाम दिया था जिनको राजस्थान पुलिस द्वारा पकडा गया था। यह मामला ठण्डा ही हुआ था कि आज एक बार फिर दो लुटेरों ने बन्दूक की नोंक पर बैंक की कैश वेन को लूटने का प्रयास किया। लेकिन सुरक्षा गार्ड व एक अन्य सहयोगी की के भरसक प्रयास से उक्त लुटेरे लूट करने में नाकाम हुए और वहां से भाग खडे हुए लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में लुटेरों को रोकते समय सुरक्षा गार्ड बुरी तरह घायल हो गए जिन्हें उपचार हेतु जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है। इस सब में यह तो साफ हो गया है कि मुरैना पुलिस को लुटेरे सीधे तौर पर चुनौती दे रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ पुलिस द्वारा समय-समय पर की जा रही बैंक, एटीएम और ग्राहक सेवा केन्द्रों में निरीक्षण की प्रक्रिया पर भी सवाल खडे हो रहे हैं और इससे यह साबित होता है कि पुलिस के निरीक्षण करने व पेट्रोलिंग करने से लुटेरों को जरा सा भी फर्क नहीं पडता। वह जब मन चाहे वारदात को अंजाम दे देते हैं।
जानकारी के अनुसार आज दोपहर करीब 1 बजे पुलिस अधीक्षक कार्यालय के बिल्कुल समीप में बैंकी की एक वैन द्वारा कैश ले जाने का कार्य किया जा रहा था। तभी वहां दो लुटेरे हथियारों से लैस होकर दुपहिया वाहन से आ धमके और कैश लूटने का प्रयास करने लगे। उन दोनों लुटेरों की लूट की वारदात को वहां तैनात एक सुरक्षा गार्ड व उसके एक सहयोगी द्वारा नाकाम कर दिया। काफी देर तक उनसे संघर्ष करने के बाद सुरक्षा गार्ड घायल हो गया उसके बाद भी उसने लुटेरों से संघर्ष जारी रखा। थक हारकर दोनों लुटेरे फायर करते हुए वहां से फरार हो गए। घायल सुरक्षा गार्ड को उपचार हेतु जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है जहां उसकी हालत स्थिर बनी हुई है।
अपराधियों में नहीं रहा पुलिस का जरा सा भी खौफ
मुरैना जिला वैसे तो अपराध के लिये जाना जाता है। वहीं अब वर्तमान में अपराधियों के हौंसले इतने बुलंद हो गए हैं कि उनको पुलिस विभाग का जरा सा भी खौफ नहीं रह गया है। इसका ताजा तरीन उदाहरण आज पुलिस अधीक्षक के बंगले के पास हुई लूट की नाकाम कोशिश करने वाले लुटेरों का सामने आया है। इससे ठीक एक दिन पहले देवगड थाने की पुलिस के साथ भी एक जिलाबदर के आरोपी द्वारा अपने अन्य साथियों के साथ झडप हुई जिसमें अपराधियों द्वारा गाली गलोंच के साथ-साथ पुलिस पर लाठियों से प्रहार किया गया इसके बाद उक्त अपराधी व उनके साथियों ने पुलिस पर फायर भी कर दिये। इन दोनों ही मामलों में यह तो साफ साबित होता है कि अपराधियों में पुलिस का जरा सा भी खौफ नहीं रह गया है। बल्कि अब तो ऐसा लगने लगा है कि पुलिस प्रशासन को इन अपराधियों का खौफ होने लगा है। क्योंकि अभी एक महीने पहले एक तस्कर के आरोपी का बहुमंजिला घर तोडने के लिये पुलिस और प्रशासन पहुंचा था। वहां का नजारा कुछ इस तरह का था कि एक अदने से तस्कर के घर को तोडने के लिये काफी संख्या में पुलिस बल का सहारा लेना पडा इससे तो यही सिद्ध होता है कि पुलिस प्रशासन में अपराधियों का कितना भय है कि वह पहले अपनी सुरक्षा के लिये अच्छा खासा पुलिस बल तैनात करता है फिर कार्यवाही के लिये आगे जाता है लेकिन बावजूद इसके पुलिस के हाथ असफलता ही लगती है।
घटना के काफी देर बाद पहुंचे पुलिस अधीक्षक
पुलिस अधीक्षक बंगले के समीप हुई लूट की नाकाम वारदात का मुआयना करने मुरैना जिले के पुलिस अधीक्षक काफी देर बाद घटना स्थल पर पहुंचे। पुलिस अधीक्षक द्वारा उक्त घटना को कितनी गंभीरता से लिया जा रहा है इससे तो उनके घटना स्थल पर पहुंचने के समय से ही लग रहा है। लेकिन क्या पिछली लूट की वारदात की तरह इस बार भी उक्त लुटेरे जिले की सीमा से बाहर भागने में सफली हो जायेंगे ...? लगता तो कुछ ऐसा ही है क्योंकि घटना के तुरंत बाद पुलिस विभाग द्वारा ज्यादा सर्तकता नहीं दिखाई दी और यही वह कारण है जिसका फायदा अपराधी आये दिन उठा रहे हैं। अपराधी आसानी से अपनी वारदात को अंजाम देने के बाद जिले की सीमा से बाहर चले जाते हैं और मामला ठण्डा होने पर फिर से नई घटना को अंजाम देने के लिये तैयार हो जाते हैं। पिछली लूट की वारदात में तो पुलिस अधीक्षक की किस्मत अच्छी थी कि राजस्थान पुलिस द्वारा उक्त लुटेरों को पकड लिया गया। वरना उक्त लुटेरों को पकड पाना असंभव से प्रतीत होने लगा था।

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