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पुलिस पर भारी रेत माफियाचार थानों की पुलिस से लाठियों और पत्थरों की दम पर छुड़ा ले गए अपना ट्रेक्टर

बुधवार, 17 मार्च 2021

/ by Vipin Shukla Mama
घायल ई-रिक्शा चालक जिसकी सूचना पर पुलिस कार्यवाही करने पहुंची
बडा सवाल : मुरैना में पुलिस सुरक्षित नहीं वहां आम जन कैसे रहेंगे सुरक्षित ....?
मुरैना। रेता माफिया पिछले कई दशक से मुरैना में अपना दबदबा बनाये हुये हैं। कई बार इन रेत माफियाओं के विरूद्ध कार्यवाही करने के लिये पुलिस द्वारा प्रयास किया गया लेकिन हर बार पुलिस के हाथ केवल और केवल नाकामयाबी ही हाथ लगी। पुलिस अधीक्षक द्वारा यह बयान दिया जाता है कि हमारे द्वारा रेत माफियाओं द्वारा जो अवैध मण्डी लगाई जाती थी उसे बंद कर दिया गया है। यह सच है! लेकिन इसके ठीक विपरीत रेत माफियाओं को बाजार और तंग गलियों में अपने ट्रेक्टर ट्रॉली को दौडाते हुए आसानी से देखा जा सकता है। अवैध रेत मण्डियां बंद हुई हैं रेत का कारोबार नहीं ! कुछ ऐसा ही एक मामला सिविल लाईन थाना क्षेत्रांतर्गत का सामने आया जहां एक रेत माफिया द्वारा अपने वाहन से पहले तो एक बाईक सवार में टक्कार मार दी गई इसके बाद एक ई-रिक्शा में जोरदार टक्कर मार दी जिससे वह बुरी तरह घायल हो गया। घायल बाईक सवार की हालत गंभीर होने के कारण उसे उपचार हेतु जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया जहां से उसे ग्वालियर रैफर कर दिया गया। घायल ई-रिक्शा चालक द्वारा उक्त ट्रेक्टर को पहचान लिया गया और उसकी सूचना बागचीनी पुलिस को दी। सूचना पर बागचीनी पुलिस के साथ-साथ सिविल लाईन, देवगढ और जौरा पुलिस भी मौके पर पहुंची और टक्कार मारने वाले ट्रेक्टर को ई-रिक्शा चालक द्वारा पहचाने जाने पर अपने कब्जे में ले लिया और उसे सिविल लाईन थाने ले जाने लगे। जब उक्त ट्रेक्टर को पुलिस द्वारा ले जाया जा रहा था तभी कुछ रेत माफिया लाठियों से लैस होकर आ गए और अपने ट्रेक्टर को छुडाने के लिये पुलिस पर ताबडतोड हमला कर दिया। लाठियों के साथ-साथ रेत माफिया दनादन पत्थरों की बारिश पुलिस फोर्स पर किये जा रहे थे जिसकी चपेट में एक थाना प्रभारी भी आ गए। रेत माफियाओं के हमले से घबराई चारों थाने की पुलिस ने वहां से भागकर अपनी जान बचाई और रेत माफिया अपना ट्रेक्टर ले जाने में सफल हो गए। इस पूरे मामले में शर्मनाक पहलू यह रहा कि पुलिस प्रशासन को रेत माफियाओं से भागकर अपनी जान बचानी पड़ी। अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन पूरे मुरैना में केवल और केवल रेत माफिया और दबंगों का राज होगा। क्योंकि पुलिस तो केवल अपनी जान बचाने में लगी रहेगी और यह माफिया अपना कारोबार इसी तरह संचालित करते रहेंगे और पुलिस प्रशासन में अपना खौफ व दबदबा बनाये रखेंगे। 
रेत माफियाओं के वाहन से कई लोगों की जा चुकी है जान
उल्लेखनीय है कि रेत माफियाओं द्वारा अपने ट्रेक्टर ट्रॉली से कई बार लोगों को कुचला है जिससे छोटे बच्चों से लेकर बडे बूढे तक को अपनी जान गवानी पडी है। जिसमें सबसे ज्यादा दुर्घटना बडोखर स्थित ऐरिया में हुई हैं जहां रेत माफियाओं द्वारा अपने वाहन को फिल्मी स्टाइल में स्टंट करते चलाया जाता है और दुर्घटना को अंजाम दे दिया जाता है। इसके अलावा उक्त रेत माफियाओं के वाहन पर लाउड स्पीकर लगा रहता है जिसमें इतने तेज ध्वनी में गाने चलाये जाते हैं कि उक्त रेत माफियाओं के वाहन चालकों को न तो पीछे का सुनाई देता है और न आगे का। यही कारण है कि उनके वाहन से आये दिन कोई न कोई दुर्घटना का शिकार हो जाता है। कई बार तो रेत माफियाओं के वाहन की चपेट में आकर मृत्यु होने पर फरियादी के परिजनों द्वारा चक्काजाम भी किया गया लेकिन पुलिस प्रशासन कार्यवाही का आश्वासन देकर परिजनों को शांत कर देता है और दो तीन दिन बाद मामला ठण्डा होने पर फिर से रेत माफियाओं का कारोबार संचालित हो जाता है।
क्या माफियाओं और आरोपियों पर है ऐलियन टेक्नॉलोजी ...?
अभी हाल ही में माफियाओं और आरोपियों के कुछ मामले सामने आये हैं जहां पुलिस प्रशासन द्वारा यह बताया गया है कि आरोपी अंधेरे का फायदा उठाकर भाग निकलने में कामयाब हो गए। इस सवाल पर ज्यादातर लोगों द्वारा यह कहा गया कि क्या इन माफियाओं और आरोपियों के पास कोई ऐसी ऐलियन टेक्नॉलोजी है कि केवल इन्हें ही रात में दिखाई देता है और पुलिस को नहीं। शायद यही वह कारण रहे होंगे जिससे ज्यादातर आरोपी अंधेरे का फायदा उठाकर भाग खडे हो जाते हैं और पुलिस प्रशासन इस अंधेरे का फायदा नहीं उठा सकता। पुलिस के इन बयानों पर तो हैरानी तब होती है जब 6 से 7 पुलिस बल मौजूद होने के बावजूद भी एक आरोपी अंधेरे का फायदा उठाकर भाग खडा हो जाये। क्या उक्त पुलिसकर्मी आरोपी की ही तरह अंधेरे का फायदा नहीं उठा सकते। इसमें एक और विचारणीय पहलू यह भी है कि जो आरोपी अंधेरे का फायदा उठाकर वहां से भागने में सफल हो जाते हैं वह हथियारों से लैस रहते हैं और अपने हथियार से किसी भी पुलिसकर्मी पर हमला करने से नहीं चूकते शायद यही वह टेक्नॉलोजी है जिस वजह से आरोपी अंधेरे का फायदा उठा लेते हैं।
पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सामने से निकलते हैं रेत वाहन
सूत्रों द्वारा कथित तौर पर बताया गया है कि रेत माफिया के हौंसले और बुलंदी को अगर देखना हो तो सुबह 6 से बजे ही पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सामने जाकर खडे हो जायें। क्योंकि सुबह 6 बजे से लेकर रात्रि लगभग 10 बजे तक करीब 100 से 150 रेत वाहन में अवैध रेत लेकर बेखौफ अंदाज में वहां से निकलते हैं जो पुलिस के लिए एक शर्मनाक पहलू होना चाहिए लेकिन अपने वरिष्ठ अधिकारियों तक रेत मण्डी बंद करने की सूचना देकर वाहवाही लूटने तक ही पुलिस प्रशासन की कार्यवाही सिमटकर रह जाती है। बाद बांकी शहर में रेत माफिया क्या कर रहे हैं इससे पुलिस प्रशासन को कतई फर्क नहीं पडता। इसी का जीता जागत सबूत है पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सामने से होकर निकलरे वाले रेत माफियाओं का। अभी हाल ही में कलेक्टर द्वारा एक प्रेसवार्ता में यह बताया गया था कि रेत माफियाओं पर अंकुश लगाने के लिये कई जगह अस्थाई बैरियर लगाए जाऐंगे जिससे शहर में इन रेत माफियाओं को प्रवेश न मिले ऐसा हुआ भी लेकिन दो या तीन दिन इसके बाद न तो अस्थाई बैरियर दिखे और ना ही इन रेत माफियाओं का शहर में प्रवेश प्रतिबंधित हुआ। 
प्रशासन की ज्यादातर कार्यवाही सिर्फ डम्प रेत पर
पुलिस और प्रशासन द्वारा उच्च स्तर पर अपनी वाह वाही लूटने के लिये मुरैना में रेत माफियाओं की केवल डम्प रेत को नष्ट किया। रेत माफियाओं के खिलाफ तो कुछ ही कार्यवाही की गई। आपको जानकार हैरानी होगी कि मुरैना शहर से लेकर जिले भर में करीब 500 से 600 रेत माफिया अपने वाहन से अवैध रेत की सप्लाई करते हैं और पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही में 2 या तीन रेत माफिया ही शामिल होते हैं। पुलिस अधीक्षक और जिला कलेक्टर के पदस्थ होते ही उन्होंने केवल रेत माफियाओं की डम्प रेता (एक जगह जमा रेत) को नष्ट करने में अपने वरिष्ठ अधिकारियों से खूब वाहवाही लूटी और उक्त रेत को करोडों रूपये की भी बताया गया जिसकी सूचना समाचार पत्रों में प्रेसनोट के माध्यम से भी दी गई। लेकिन यहां पर यह सवाल उठता है कि केवल डम्प रेत को नष्ट कर देने से क्या रेत माफियाओं पर अंकुश लग सकता है ...? अगर रेत माफियाओं पर वाकई में कार्यवाही करनी है तो उन्हें शहर के अंदर प्रवेश करने से रोकना होगा। जिस स्थाना से रेत माफिया अवैध रेत का भण्डारण करते हैं वहां पर पुलिस को अस्थाई नहीं बल्कि स्थाई चौकी स्थापित करनी होगी जिससे उन्हें तुरंत पकडा जा सके। लेकिन ऐसा हो नहीं सकता! इसका मुख्य कारण यह है कि जब भी किसी रेत माफिया के विरूद्ध कार्यवाही की जाती है तो उक्त रेत माफिया अपने अन्य साथियों के साथ आकर पुलिस पर हमला कर देते हैं और अपनी ताकत को नमूना दिखाकर अपने वाहन को छुडाकर वहां से चले जाते हैं।
कैप्शन - माफियाओं द्वारा किए गए पथराव में क्षतिग्रस्त पुलिस वाहन

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