शिवपुरी। हम भगवान का सुख में सुमिरन नही करते लेकिन दुःख में अवश्य करते है। यदि हम सुख में सुमिरन करे तो दुःख आएगा ही नही। उक्त पाठ शहर की छत्री रोड स्थित स्वर्ण बाटिका में खेमरिया परिवार द्वारा चल रही श्रीमद्भागवत कथा का रसपान कराते हुए आचार्य ऋतुराज ने कही ।
आचार्य श्री ने आगे कहा कि हमारे जीवन में सुख और दुख बहने वाली नदि माया होती है जो दोनों किनारे से टकराती है। उन्होंने आगे गज और ग्रहा की कथा सुनाते हुए कहा कि त्रिकुट पर्वत पर गजेंद्र हाथी रहता था उसकी 50 पत्निया और 150 पुत्र थे। अपने पूरे परिवार के साथ वह सरोवर में नहाने की क्रीड़ा कर रहा था तभी एक विशाल ग्रहा ने उसका पैर पकड़ लिया। उसने मुसीबत में परिवार के पूरे सदस्यों से छुड़ाने का प्रयास किया। धीरे धीरे परिवार के सदस्य भी थक गए उसे छोड़ने लगे। तभी उसे पछतावा हुआ उसने जब संकट में भगवान विष्णु को याद किया तभी वह गरुण पर सवार होकर आए और गजेंद्र को पकड़कर जल से खींच लिया और ग्रहा को सुदर्शन चक्र से मारकर गजेंद्र को मुक्त कराया। आचार्य श्री ने बताया कि गाय के शरीर में 33 करोड़ देवी देवता निवास करते है। इसके आगे उन्होंने समुद्र मंथन , गंगा जी की बह्म लोक से धरती पर अवतरण व भगवान बामन , भगवान श्रीराम के जन्म की कथा के साथ साथ भगवान श्रीकृष्ण जन्म की कथा सुनाई। श्रीकृष्ण जन्म होने पर सभी श्रद्धालुओं ने जमकर नृत्य किया।

कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें