अशोक वाटिका के पास जुटे जानकी भक्त
शिवपुरी। गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरितमानस के सुंदरकांड में करि सोइ रूप गयउ पुनि तहवाँ बन असोक सीता रह जहवां चौपाई के माध्यम से अशोक वाटिका का उल्लेख किया गया है लंका में स्थित अशोक वाटिका वह स्थान था जहां पर माता जानकी को रावण ने अपहरण करने के बाद रखा हुआ था। यानी जानकी जी का अशोक वाटिका से सीधा संबंध है, बीते रोज 3 अप्रैल शनिवार को शिवपुरी में स्थित अशोक वाटिका जो पटेल पार्क में स्थित है के पास ही जानकी सेना ने सुंदरकांड पाठ के लिए अपना डेरा जमाया, डॉक्टर देवेंद्र पांडे के निवास पर बीते रोज 346 वां सुंदरकांड का पाठ का आयोजन कराया गया था। यहीं पर होली मिलन समारोह भी धूमधाम से मनाया गया यहां उपस्थित लोगों द्वारा एक दूसरे पर रंग की जगह पुष्प की वर्षा की गई। कोविड-19 के संक्रमण के चलते संगठन द्वारा लगातार शासकीय गाइडलाइन का पूरी तरह पालन किया जा रहा है सभी सदस्य मास्क लगाते हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी करते हैं। आपको बता दें कि जानकी सेना संगठन एकमात्र ऐसा संगठन है जो पूरी तरह धार्मिक होकर समाज में धर्म चेतना की भावना को जागृत करने का कार्य कर रहा है, इसके साथ ही समाज सेवा के क्षेत्र में अग्रणी हैं पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी संगठन द्वारा लगातार कार्य किए जा रहे हैं, गौ सेवा और रक्तदान के माध्यम से जानकी सेना संगठन ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है।
यह हैं जानकी सेना की शान मिलिए इनसे
सर्दी गर्मी हो या बरसात यह सुंदरकांड करने से कभी नहीं चूकते और इन्हें जानकी सेना संगठन के सदस्यों से पहले पहुंचकर तैयारी करना पड़ती है। और यदि यह कहा जाए कि यह जानकी सेना संगठन के नवरत्नों में से एक हैं तो भी अतिशयोक्ति नहीं होगी, यह तीन लोग राधेश्याम जो व्यास गद्दी पर बैठकर सुंदरकांड का पाठ करते हैं दूसरे हैं धनेश शर्मा सुंदरकांड मैं राधेश्याम जी का कोरस सहयोग तो करते ही हैं इसके साथ ही पांडित्य कर्म भी करते हैं और तीसरे व्यक्ति है संजय शर्मा जो तबले पर थाप देकर कार्यक्रम में चार चांद लगाते हैं इन तीनों की टीम पिछले कई सालों से लगातार जानकी सेना संगठन का सुंदरकांड करती आ रही है और कभी भी इनके द्वारा सुंदरकांड को छोड़कर छुट्टी नहीं मनाई गई है। आगे भी हम आपको जानकी सेना संगठन के नवरत्नों से मिलाते रहेंगे। जिनके बारे में पढ़कर आप आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह सकेंगे।

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