38 साल बाद शीतला सप्तमी का दुर्लभ योग, 1983 के बाद अब 2021 में ग्रहों-नक्षत्रों की वही स्थिति
शिवपुरी। (पंडित विकासदीप शर्मा मंशापूर्ण ज्योतिष) जोधपुर और महाकाल पंचांग उज्जैन के अलावा अधिकांश पंचांग में 4 अप्रैल रविवार को शीतला सप्तमी पूजन करने का उल्लेख है। पंचागों में सप्तमी शनिवार को प्रातः 9:52 बजे शुरू होगी, जो रविवार को प्रातः 8:12 बजे तक रहेगी। सूर्योदय के समय सप्तमी तिथि और अष्टमी युक्त होना चाहिए। इसलिए शीतला सप्तमी पूजा रविवार 4 अप्रैल को है। किसी ग्रन्थ में ऐसा नही मिलता कि किसी वार विशेष (रविवार) को शीतला पूजन नही किया जाना चाहिए। सभी अपनी कुल परम्परा अनुसार शीतला सप्तमी का पूजन करें, तिथि के भ्रम में नहीं पड़ें। 4 अप्रैल के दिन ऐसा सयोग 38 वर्षो के बाद आया है। इस प्रकार शीतला सप्तमी रविवार के दिन मनाई जाएगी। 3 अप्रैल को रात खाना बनेगा और 4 अप्रैल को माता जी की पूजा कर ठंडा भोजन करना है।
स्कन्द पुराण के अनुसार शीतला अष्टमी का व्रत चैत्र कृष्ण अष्टमी को किया जाता है। इसमें पूर्व विद्धा अष्टमी ली जाती है। इस दिन शीतल जल से स्नान कर शीतला माता का पूजन किया जाता है। माता को प्रत्येक प्रकार के मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी, दाल - भात, लपसी, रोटी - तरकारी आदि कच्चे-पक्के, सभी शीतल पदार्थ ( पहले दिन बनाए हुए) का भोग लगाया जाता है। इस व्रत को करने से व्रती के कुल में शीतला जनित सर्व दोष दूर होते हैं।
पूजा के दौरान उपरोक्त स्त्रोत का पाठ भी करे
**वन्देऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बराम्* ।
*मार्जनीकल शोपेतां शूर्पालङ्कृत मस्तकाम्* ।।*
शीतला रोग मुक्ति के लिए यह व्रत बहुत हितकारी है।

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