6 दिन के बाद भी आवश्यक वस्तुओं की होम डिलीवरी की व्यवस्था नहीं करा सका प्रशासन
( नासिर खान की रिपोर्ट)
बैराड़। नगर परिषद बैराड़ में इन दिनों "अंधेर नगरी चौपट राजा" वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. यहां पदस्थ प्रशासनिक अधिकारियों का पूरा ध्यान इस समय कोरोना कर्फ्यू के नाम पर गरीब लोगों से जुर्माना वसूलने पर लगा हुआ है. लॉक डाउन के चलते जहां गरीब आदमी पहले से ही परेशान है वही प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता का खामियाजा लोगों को आवश्यक वस्तुओं के ज्यादा दाम चुका कर उठाना पड़ रहा है.यहां 16 अप्रैल शुक्रवार से 21 अप्रैल बुधवार तक करीब 1 सप्ताह गुजरने के बाद भी बैराड़ नगर में प्रशासन द्वारा आवश्यक वस्तुओं जैसे आटा,तेल
दाल,नमक मिर्च आदि वस्तुओं की किराना दुकानों से होम डिलीवरी की व्यवस्था नहीं कराई जा सकी है. जिस कारण रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली आवश्यक वस्तुओं के लिए यहां के लोगों को परेशानी उठाना पड़ रही है. मजबूरी में लोगों को चोरी छुपे गली मोहल्ले की दुकानों से अधिक दाम चुका कर आटा तेल दाल जैसी आवश्यक वस्तुएं खरीदना पड़ रही है.
शिवपुरी जिले में 30 अप्रैल तक लागू कोरोना कर्फ्यू में आम जनता को रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं के लिए परेशान न होना पड़े और कालाबाजारी को बढ़ावा न मिले इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा अलग-अलग जगहों पर आवश्यक वस्तुओं की किराना दुकानों से होम डिलीवरी की व्यवस्था की है.लेकिन बैराड़ नगर परिषद में आवश्यक वस्तुओं की होम डिलीवरी की व्यवस्था कराने के लिए प्रशासनिक अधिकारी कतई गंभीर नहीं है. इसे यहां पदस्थ दो बड़े प्रशासनिक अधिकारियों के विरोधाभासी बयानों से ही समझा जा सकता है. बैराड़ नगर परिषद में किराना दुकानों से होम डिलीवरी के संबंध में पोहरी एसडीएम जेपी गुप्ता से पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि "बैराड़ में कुछ किराना दुकानदारों के होम डिलीवरी के लिए आवेदन आए हैं. दुकानदारों की सूची तहसीलदार के पास उपलब्ध है. हम होम डिलीवरी की व्यवस्था करा रहे हैं. जब इस संबंध में बैराड़ तहसीलदार विजय शर्मा से पूछा गया तो उनका कहना था कि कुछ किराना दुकानदारों के आवेदन तो आए हैं लेकिन ज्यादातर दुकानदार होम डिलीवरी करने में इंटरेस्टेड नहीं है.फिर भी हम लोग व्यवस्था कर रहे हैं. नगर में कोरोना कर्फ्यू के चलते लॉकडाउन लगे हुए 6 दिन हो चले हैं और प्रशासन अभी तक होम डिलीवरी की व्यवस्था करने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है. जिसका खामियाजा लोगों को आवश्यक वस्तुओं के अधिक दाम चुका कर उठाना पड़ रहा है.

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