दिल्ली। रेमडिसिवर बस रेमडिसिवर ही चाहिये। हर तरफ शोर के बीच एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया के बयान से रेमडिसिवर की हवा निकल गई है। उनका साफ कहना है की यह कोई मैजिक बुलेट नहीं है। यह सिर्फ बेहद गंभीर कई रोगों से ग्रसित मरीजों को दिया जा सकता है। न कि हर कोविड मरीज को। अगर सामान्य कोविड मरीज जो महज घर रहकर ठीक हो सकते हैं उन्होंने रेमडिसिवर लगवाया तो फायदा नहीं नुकसान हो सकता है। डॉक्टर ने कहा कि कोरोना से घबराए बिना घर अकेले रहिये। जगह नहीं है तो पास के किसी कोरनटाईन सेंटर में चले जाइये। यहां आप बिना परेशानी डॉक्टरों की सलाह से मिलने वाली दवाई लेकर कोरोना से आसानी से ठीक हो सकते हैं।उन्होंने बताया कि 94 प्रतिशत से ऊपर ऑक्सीजन लेवल वालों को रेमडिसिवर की जरूरत नहीं है। कोविड के माइल्ड केस में कोई जरूरत नहीं है। रेमडिसिवर मध्यम से गम्भीर मरीजों को ही दी जा सकती है।
जिन्हें जरूरत उन्हें लगने दें
डॉक्टर ने कहा कि वेबजह रेमडिसिवर लगने से आपको नुकसान तो होगा ही बल्कि जिसे वास्तव में यह लगना चाहिये वह नहीं लग रहा। इसलिये पीछे न भागें बल्कि डॉक्टरों की उचित सलाह के बाद ही रेमडिसिवर लगवाये।
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तो समझ गए न घबराइयेगा न होइये ब्लेक या परेशान
डॉक्टर गुलेरिया के खुलासे के बाद रेमडिसिवर का भूत दिमाग से उतार लीजिये। न भटकिये, न ब्लकमेल होइये। बल्कि जिसे जरूरत है उसे लगने दीजिये। इससे मारामारी भी नहीं होगी आज से ही रेमडिसिवर आसानी से मिल सकेगा।

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