

मेडिकल कॉलेज में एक से बढ़कर एक माहिर डॉक्टरो की फ़ौज शिवपुरी में डेरा डाले हुए है। लेकिन यह निजी अस्पतालों में नोट बटोरने में लगे हुए हैं। या फिर निजी अस्पतालों में खुद की प्रैक्टिस जारी रखी है। जिला अस्पताल की टीम के साथ सोहाद्र की बजाए प्रतिस्पर्धा से न तो जिला अस्पताल के डॉक्टर मुस्कुराकर काम कर पा रहे न ही मेडिकल कॉलेज अब तक लड़ाई के लिए तैयार हुआ। बीते साल सेम्पल टेस्टिंग को महीनों टाला जाता रहा था। मीडिया के शोर के बाद सेम्पल टेस्टिंग शुरू हुई। अब जबकि तत्काल मेडिकल कॉलेज का फ्रंट पर आकर खड़ा होना आवश्यक है ऐसे में आज तक सिर्फ तैयारी के दावे भर किये जा रहे हैं। रात दिन एक कर के कैसे भी मेडिकल कॉलेज को कोरोना की जंग में जुटने तैयार करने की दरकार है। वर्ना जिले के लोग कोरोना की भट्टी में इसी तरह झुलसते रहेंगे। सच्चाई इस बात से भी जाहिर है की जिला कोरोना कर्फ्यू में है फिर भी रोज 200 मरीज सामने आ रहे हैं। यानी तत्काल मेडिकल कॉलेज को लड़ाई में कूदने की आवश्यकता है। गुस्ताखी माफ महाराज।

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