शिवपुरी। जिले में कोरोना काबू में आता नजर आने लगा यह शुभ शगुन है लेकिन ब्लेक फंगस की जिले में इंट्री ने हैरान कर दिया है। मुख्य रूप से शुगर के मरीजों को होने वाली यह बीमारी अब तक जिले के 3 मरीजों में नोटिस हुई है। 2 मरीजों में प्राथमिक लक्षण यानि संदिग्ध होने पर उन्हें ग्वालियर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है जबकि नगर के एक इलेक्ट्रॉनिक व्यवसायी परिवार की महिला की ब्लेक फंगस ने जान भी ले ली है।
देश में अब तक ब्लेक फंगस
देश में कोरोना महामारी के बीच अब ब्लैक फंगस का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है। अब तक 500 से ज्यादा लोग इसके चपेट में आ चुके हैं। कोरोना को हराने के 14 से 15 दिन बाद ब्लैक फंगस के मामले देखे जा रहे हैं। हालांकि, कुछ मरीजों में पॉजिटिव होने के दौरान भी यह पाया गया है। यह बीमारी सिर्फ उन्हें होती है जिनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। अनियंत्रित मधुमेह वाले लोगों, स्टेरॉयड के इस्तेमाल से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाने तथा लंबे समय तक वेंटिलेटर में रहने तथा वोरिकोनाजोल थेरेपी से इस फंगस का संक्रमण होता है। देश के 11 राज्यों में यह फैल चुका है।
जानिए इसके लक्षण क्या हैं
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन सिंह ने ट्वीट कर बताया कि नाक जाम होना, नाक से काला या लाल स्राव होना, गाल की हड्डी में दर्द होना चेहरे पर एक तरफ दर्द होना या सूजन, दांत या जबड़े में दर्द, दांत टूटना, धुंधला या दोहरा दिखाई देना, सीने में दर्द और सांस में परेशानी, आंखों में लालपन या दर्द, बुखार, खांसी, सिरदर्द, सांस में तकलीफ, साफ-साफ दिखाई नहीं देना, उल्टी में खून आना या मानसिक स्थिति में बदलाव ब्लैक फंगस के लक्षण हो सकते हैं।
सीएमएचओ डॉक्टर शर्मा बोले जल्द परामर्श से टाले खतरा
जिले में ब्लैक फंगस की एंट्री को लेकर सीएमएचओ डॉक्टर एएल शर्मा ने कहा कि घबराएं नहीं। इस बीमारी का प्राथमिक इलाज जिले में है, अगर गंभीर हो तब सरकार द्वारा चयन किये गए ग्वालियर मेडिकल कॉलेज में हम रेफर कर मरीज का इलाज कराएंगे। लेकिन यह ध्यान रखे कि उपरोक्त लक्षण नजर आने पर तत्काल जिला अस्पताल में आकर परीक्षण कराए जिससे इलाज समय रहते शुरू हो सके। यह भी ध्यान रखें कि नीम, हकीम के चक्कर मे न पड़ें। अगर कोरोना हो तो सेम्पल कराकर डॉक्टर से दवाई लें। सभी सरकारी अस्पताल 24 घण्टे सेवा में लगे हुए हैं।
बताया किस वजह से होती बीमारी
डॉक्टर शर्मा ने बताया कि अभी तक जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार आमतौर पर पांच से 10 दिन तक ही कोरोना मरीज को स्टेरॉयड की जरूरत पड़ती है, इससे ज्यादा दिनों तक मरीज को यह दवाएं दी जाएं तो ब्लैक फंगस की आशंका काफी बढ़ जाती है। स्टेरॉयड दे रहे हैं तो मरीज की पूरी निगरानी करना भी डॉक्टर की जिम्मेदारी है। ब्लैक फंगस से बचने के लिए मरीज की निगरानी बहुत जरूरी है। लक्षण मिलने पर स्टेरॉयड की मात्रा कम करने या इसे बंद करने का भी सुझाव है। एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवाओं का इस्तेमाल डॉक्टर के परामर्श से ही करें।
करैरा में 1 तो दूसरे संदिग्ध दीदार सिंह रैफर
जिले में 3 में से एक मरीज की मौत हो गई जबकि नगर के सुखदेव अस्पताल में कोरोना का इलाज कराने आये दीदार सिंह को 4 दिन में ऑक्सीजन की जरूरत न होने और कोरोना से मुक्ति के बीच जब डॉक्टर सुखदेव गौतम ने मरीज की आंख लाल देखी और आंख के नीचे निशान नजर आया तो दीदार ने बताया कि उसके साथ ऐसा तो अस्पताल आने के पहले से था। जिस पर डॉक्टर गौतम ने उसे संदिग्ध मानते हुए मेडिकल कॉलेज ग्वालियर में परीक्षण कराने रेफर किया और जिला स्वास्थ्य अधिकारी को अवगत कराया।
ठीक इसी तरह करैरा के एक अन्य मरीज को प्राथमिक लक्षण पर संदिग्ध मानते हुए डॉक्टर एएल शर्मा ने उसे मेडिकल कॉलेज ग्वालियर रेफर किया। यह झाँसी में कोरोना का इलाज कराकर आया है।
'श्लेष्मा या म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस क्या है?'
म्यूकोरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) एक दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है। लेकिन ये गंभीर इंफेक्शन है, जो मोल्ड्स या फंगी के एक समूह की वजह से होता है। ये मोल्ड्स पूरे पर्यावरण, हवा में जीवित रहते हैं। ये साइनस या फेफड़ों को प्रभावित करता है। इससे बचने के लिए शुगर नियंत्रण में रखने का प्रयास होना चाहिए।

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