शिवपुरी। दोस्तों जीवन में विचार का बड़ा महत्व है। सद विचार जीवन को प्रेरणा देते हैं जबकि ऐसा न हो तो दुख का कारण बन जाते हैं। नगर के जानेमाने ज्योतिर्विद पंडित विकासदीप शर्मा मंशापूर्ण ज्योतिष सदैव सदविचार समाज को देते आये हैं। हाल ही में उन्हें बड़े भाई आकाशदीप शर्मा की अकस्मात मौत का आघात लगा है। फिर भी खुद को संभालते हुए समाज को फिर से जाग्रत करने लगे हैं। ऐसा ही उनका एक विचार आज हम साझा कर रहे हैं। देखिये क्या कहते हैं पंडित विकासदीप।
'दुख और सुख सदैव नहीं रहते'
जब समय और अपने दोनों एक साथ दुख पहुंचाएं तो मनुष्य ऊपर से पत्थर हो जाता है इंसान का सबसे बड़ा गुरु उसका दुख होता है जिसके द्वारा दी गई सीख जीवन भर याद रहती है।
जो मनुष्य खुद दुख बर्दाश्त नहीं कर सकता ऐसा दुख किसी दूसरे को नहीं देना चाहिए किसी के हृदय को दुखी करके सुख और सफलता दोनों ही नहीं मिलती हैं कभी-कभी एक गलत इंसान की वजह से हमें पूरी दुनिया से नफरत हो जाती है मृत्यु से ज्यादा दुख जिंदगी देती है दुख ही एक ऐसी चीज है जो यह महसूस करवाता है कि मनुष्य जिंदा है दुख की वजह से चिंतित होना किसी मनुष्य के नियंत्रण में नहीं है चिंतित होने से सिर्फ समय की बर्बादी होती है। होठों पर हंसी हो तो समझना कि अच्छे कर्म का फल है और जब आंखों में आंसू हो तो समझना अच्छे कार्य करने का वक्त आ गया है समय कितना भी बुरा हो दुख की घड़ी कैसी भी हो लेकिन मुस्कुराना नहीं छोड़ना चाहिए
दुख के समय में समझदार व्यक्ति रास्ता खोजता है और कायर व्यक्ति बहाना खोजता है कभी अपना दुख दर्द होता है और कभी दूसरों का सुख दर्द देता है यही दुनिया का दस्तूर है। दूसरों के दुखों का आनंद न लें कहीं भगवान आपको वही गिफ्ट न कर दे क्योंकि भगवान वही देता है जिस में आपको आनंद मिलता है।

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