दूर प्रदेशों से जिला अस्पताल में लड़ रहीं कोरोना से जंग
- दीपा महाराष्ट्र, लक्ष्मी बालाघाट से तो अन्य साथी नर्स मरीजों को दे रहीं जीवनदान
शिवपुरी। भले ही कोविड से धीरे धीरे स्वास्थ्य लाभ की ओर अग्रसर हूँ लेकिन जिला अस्पताल में जीवन संघर्ष के दिन इस जन्म भूल पाऊं मुश्किल है। उन दिनों जब सांसे ठहरने पर आमादा थीं। तब डॉक्टरो की देखरेख, आप सभी की मंगल कामनाओं से तो ठीक हुआ ही लेकिन उन सेवा भावी नर्सों का शुक्रिया कैसे न अदा करूँ जिन्होंने कोविड पॉजिटिव मेरे जैसे सैकड़ों मरीजों की जान बचाने खुद को झोंक रखा है। मुझे याद आता है किस तरह उन्होंने रात, दिन मुझे समय पर इंजेक्शन लगाये। कभी बोतल चढ़ाई, कभी बन्द ब्रानुला बदला। दर्द से विचलित हुआ तो दो बोल धीरज के भी बोलकर समय पर दवाई दी। इन असल कोरोना योद्धाओं को दिल से सलाम।
नाम किसलिये भैया
इन नर्सों ने जब मेरे जीवन की रक्षा की तो मुझे फर्ज याद आया। लगा कलम के जरिये इनके मनोबल को बढाने चंद अल्फाज लिखूंगा। लेकिन उन्होनें यही कहा नाम किसलिये भैया हम तो अपनी ड्यूटी कर रहे हैं।
दो ने बताए नाम, देखरेख की 12 नर्सों ने
जिला अस्पताल की इन नर्सों में दीपा महाराष्ट्र, लक्ष्मी बालाघाट ने तो अपने नाम बताए लेकिन 12 नर्सों ने अलग अलग ड्यूटी के दौरान मेरे प्राणों की रक्षा की। कहते हैं बड़े लोग अपना फर्ज भले भूल जाएं लेकिन छोटे कर्मचारियों के दिल संवेदनशील होते हैं। उन सभी को दिल से सलाम और दूसरी पारी भी उन सभी के नाम जिन्होंने किसी भी रूप में मुझ नाचीज़ की जान बचाई।
सादर विपिन शुक्ला मामा
एडिटर इन चीफ, मामा का धमाका डॉट कॉम।

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