रूबी शेल्डक पर्यटक को हमेशा अपनी ओर आकर्षित करती है क्योंकि यह पक्षी प्रेम के प्रतीक माने जाते हैं
मुरैना। (यदुनाथ सिंह तोमर) चंबल नदी में पाए जाने वाली ब्राह्मणी बताख को स्थानीय निवासी चकई चकवा के नाम से जानते और उनका कहना होता है कि यह दिन में नर और मादा पक्षी साथ साथ रहते हैं और जैसे ही रात्रि काल में यह अलग हो जाते हैं इन्हें प्रेम का प्रतीक माना जाता है। अगर हम पक्षी विशेषज्ञों की बात करें तो वह इन्हें रुबी शेल्डक (तडोर्ना फेरुगिनिया), जिसे भारत में ब्राह्मणी बतख के रूप में जाना जाता है, एनाटिडे परिवार का एक सदस्य है। यह 110 से 135 सेमी (43 से 53 इंच) के पंखों के साथ 58 से 70 सेमी (23 से 28 इंच) लंबाई में एक विशिष्ट जलपक्षी है। इसमें एक हल्के सिर के साथ नारंगी-भूरे रंग के शरीर के पंख होते हैं, जबकि पंखों में पूंछ और उड़ान पंख काले होते हैं, जो सफेद पंख-आवरण के विपरीत होते हैं। यह एक प्रवासी पक्षी है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में सर्दियों में और दक्षिणपूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में प्रजनन करता है, हालांकि उत्तरी अफ्रीका में छोटी निवासी आबादी है। इसमें एक जोरदार हॉर्निंग कॉल है।
चंबल बोटिंग क्लब पर तैनात सतीश शर्मा ने जानकारी में बताया की यह पक्षी पहले तो सर्दियों के मौसम में ही देखे जाते थे मगर कुछ वर्षों से इन्हें चंबल का वातावरण पसंद आने लगा है तो यह यही के स्थाई निवासी होकर रह गए हैं जब चंबल अभ्यारण में पर्यटक आते हैं तो वह सुर्खाब मगर घड़ियाल या अन्य जलीय जीवो को देखकर आनंदीत हो जाते हैं उनका आना चंबल नदी पर सार्थक हो जाता है।

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