शिवपुरी। अबूझ मुहूर्त यानि अक्षय तृतीया को शुभ मुहूर्त माना गया है। अक्षय तृतीया अपने नाम के अनुरूप शुभ फल प्रदान करती है और अक्षय तृतीया पर सूर्य व चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहते हैं। वैशाख के समान कोई मास नहीं है। इस दिन भगवान की प्रार्थना करके हम अपने जीवन की हर समस्या से मुक्ति पा सकते हैं। अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त 14 मई 2021 को सुबह 5.38 बजे से शुरू होने के बाद 15 मई की सुबह 7.59 बजे तक जारी रहेगा। याद रखिये कोरोना के चलते जिले में विवाह पर रोक है इसलिये शादी टाल दीजिये। धार्मिक आयोजन भी नहीं होंगे इसलिये घर घर पूजा कीजिये। भगवान से जल्द कोरोना संकट दूर करने अर्जी लगाइये।
आइये मिलवाते हैं आपको ख्यातिनाम ज्योतिषाचार्य बृजेन्द्र श्रीवास्तव, से जो विश्वविद्यालय में कॉस्मोलॉजी एस्ट्रोनॉमी ज्योतिष अध्यात्म के ज्ञाता हैं
ग्वालियर। अक्षय तृतीया एक ऐसा पवित्र दिन है कि इस दिन किया गया दान पुण्य परोपकार जप तप का फल कल्प पर्यंत अक्षय रहता है। इसीलिए इसका नाम अक्षय तृतीया है। इसलिए अक्षय तृतीया को यथा शक्ति कुछ दान सेवभावी संस्थानों को करने का उपक्रम रहता है। अन्न दान, वस्त्र दान, औषधि दान भी किसी परोपकारी संगठन से जुड़कर करने का प्रयास रहता है।
अब जब संक्रमण के कारण आने जाने पर प्रतिबंध लगे हों तो ऐसे में हमें अक्षय तृतीया को ही नहीं रोजाना घर बैठ कर मन में यही प्रार्थना सर्व नियंता से, अपने अपने इष्टदेव से करना चाहिए कि
हे ईश्वर, बीमार मित्रों संबंधीजनों को शीघ्र स्वस्थ करें। हे प्रभु विश्व से कोरोना संकट शीघ्र दूर करें
◆आज अक्षय तृतीया मनाने का यही सर्वोत्तम तरीका है - वैसे तो यह प्रार्थना निष्काम भाव से ही करना चाहिए- यह लालच नहीं करना चाहिए कि आज मैंने ये प्रार्थना की है तो मुझे इसका पुण्य मिलेगा - ऐसा विचार मात्र प्रार्थना को निरर्थक कर देगा और ऐसी प्रार्थना करने वाले के अहंकार को ही बढ़ाएगा जो सर्वथा अनुचित होगा।
●एक बात और अक्षय तृतीया को कोई कीमती वस्तु खरीदना चाहिए यह सलाह धर्म शास्त्रसम्मत नहीं है। शुभ दिन होने से शुभ कार्य आयोजन हेतु अक्षय तृतीया एक अबूझ मुहूर्त है अर्थात अक्षय तृतीया के दिन शुभ कार्य के लिए कोई मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं। आयोजन के क्रम में खरीददारी करना तो ठीक पर अकारण खरीदारी का औचित्य नहीं है। इसी प्रकार वर्ष प्रतिपदा भी ऐसा ही अबूझ मुहूर्त है और मतान्तर से विजयादशमी भी।
●आजकल धर्मशास्त्र और ज्योतिष दोनों से विमुख मीडिया प्रेमी ज्योतिषी वर्ग ही ऐसी सलाह देते देखे जाते हैं अक्षय तृतीया के बहुमूल्य वस्तु खरीदना अक्षय तृतीया की मूल भावना के विरुद्ध ही है । इससे अनावश्यक दाम बढ़ते हैं।
●अक्षय तृतीया के दिन बिना मुहूर्त के विवाह करने के पीछे भी कर्मकांडीय दृष्टि से कन्या दान महत पुण्यप्रद मान लेने की भावना ही तो है इसी भावना के कारण बहुत बड़े पैमाने पर विवाह होते हैं। हालांकि इस बार रोक लगी हुई है।
●धर्मशास्त्रों के अनुसार कलियुग में धर्म के चार चरणों में से तीन चरण तो लुप्त हैं, आज धर्म केवल दान के चौथे और एकमात्र चरण के सहारे खड़ा है ।
◆वैसे भी दान व परोपकार के बदले में मिलने वाला पुण्य रूपी धन ही सर्वोत्तम है खास कर जब अक्षय तृतीया के दिन करने से यह कल्प पर्यंत बना रहने वाला हो।
●कल्प से आशय ब्रह्मा जी का एक दिन जो 4 अरब 32 करोड़ मानव वर्ष है । इतने समय तक आपका पुण्य जमा रहेगा जो विभिन्न योनियों में जन्म लेने पर काम आएगा। सोना चाँदी अक्षय तृतीया को खरीदिएगा तो वह सब यहीं रह जाएगा एकाउंट में ट्रांन्सफर नहीं होगा।
●इसलिए अक्षय तृतीया के दिन विशेष कर और नित्य भी आज की परिस्थिति में दूसरों के स्वास्थय व कल्याण की प्रार्थना ही सबसे पहले और सबसे अधिक हमें करना चाहिए
● तृतीया पुराणों के अनुसार सत्य युग आरम्भ की तिथि है।
◆इस दिन दशावतारों में एक भगवान परशुराम जी का अवतरण हुआ था। हय ग्रीव और नर नारायण अवतरण भी इस तिथि से जुड़े हैं।
◆जैन धर्म के अनुसार वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन आदि तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव जी ने कार्तिक से आरम्भ किया। तप एक वर्ष से अधिक समय के बाद आज के दिन ही पूर्ण किया था इसलिए यह एक पवित्र दिन है।
◆ कोरोनाकाल को छोड़ दें तो भारत के सभी प्रदेशों में अक्षय तृतीया अपनी अपनी क्षेत्रीय मान्यताओं के साथ विविध उत्सवों कर्मकांडीय आयोजनों के साथ मनाई जाती है।
●●सम्पूर्ण देश की सब मान्यताओं के मूल में इस दिन के दान पुण्य जप तप को महत पुण्य प्रद माना गया है।

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