शिवपुरी। एक अजीब घटनाक्रम में पतंजलि योगपीठ के बाबा रामदेव ने इस महामारी के नियंत्रण में दिन रात लगे एलोपैथी के चिकित्सकों और विधा का मजाक उड़ा कर सिरे से खारिज कर दिया। सोशल मीडिया में वायरल हुई इस वीडियो के विरुद्ध इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने स्थानीय, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अपना पुरजोर विरोध दर्ज कराया और परिणामस्वरूप पतञ्जलि योगपीठ को अपना पक्ष प्रस्तुत होने के लिए आना पड़ा और वे वाकई हंसी का पात्र बन गए जब उनके 2011 के आईसीयू में भर्ती होकर उपचार लेने के 2011 के चित्र भी वायरल हो गए और आज देश के स्वास्थ्य मंत्री ने भी एक पत्र के माध्यम से रामदेव का आव्हान किया गया कि इस प्रकार के वक्तव्यों के द्वारा उन्होंने न केवल एलोपैथी के चिकित्सकों का अपमान किया है बल्कि आम नागरिक को भी अपमानित किया है। उन्हे ऐसे वक्तव्य देने से बचना चाहिए।
तमाशा, बेकार और दिवालिया जैसे शब्दों से एक सफल विधा का जिस प्रकार से अपमान किया गया है वह स्वागत योग्य नहीं है। स्वास्थ्य मंत्री ने दुरभाष पर रामदेव से बात करके इस पूरे प्रकरण पर अपना रोष प्रदर्शित किया है और कोरोना से मृत्यु दर के 1.3 के तथा रिकवरी रेट के 87 के स्तर पर बनाये रखने में एलोपैथी से ही हमें सफलता मिली है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की शिवपुरी, शाखा के अध्यक्ष डॉ निसार अहमद ने पतंजलि के वीडियो और रामदेव के उद्बोधनों की भर्त्सना करते हुए कहा कि समस्त आयुर्वेद के आदरणीयों से निवेदन है कि वे आयुर्वेद को स्थापित करने हेतु अनिवार्य प्रयास करें न कि नकारात्मक प्रयास कर अन्य चिकित्सा पद्धति की निंदा करें। रामदेव के इस प्रकार के सोच के कारण आयुर्वेद को संभवतः बिल्कुल लाभ नहीं होगा और वे भारतीय नागरिकों की दृष्टि से किनारे हो जाएंगे। हर चिकित्सा पद्धति की अपने लाभ हैं तो अपने अपने लक्ष्मण रेखाएं भी हैं। महामारी के इस कठिन समय में हमें समग्र सोच का विकास करना ही होगा ताकि रोगिहित जनहित सर्वोपरि का मूल उद्देश्य सिद्ध हो। बाबा को हीलिंग विज्ञान के साथ सहजीवन के सिद्धांत की शिक्षा का पथ पढ़ना और पढ़ाना ही होगा तभी देशी और आधुनिक चिकित्सा पद्धति साथ साथ इस प्रकार कार्य कर सकेंगे कि मानव जाति का समग्र लाभ होगा। इस महामारी मे देश मे डॉक्टर्स एवं सहयोगियों सहित 1500 से ज्यादा ने अपनी जान न्योछावर की है , इसके बावजूद विगत एक वर्ष से ज्यादा समय से देश के नागरिको की सेवा कर रहे है। डा निसार अहमद अध्यक्ष आइएमए शिवपुरी मध्यप्रदेश ने कहा कि इस वक्तव्य को उन्हे तुरंत वापस लेकर सार्वजनिक रूप से माफी मांगना चाहिए।

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