'अमेरिका' जा बसे 'अपने देश के डॉक्टरों' ने ग्रामीणों से फुलवाये 'गुब्बारे'
गांव में कोरोन संक्रिमत मरीज को गुब्बारे फुलाने का अभ्यास कराया इससे फैफड़े मजबूत होते हैं
शिवपुरी। सात समुंदर पार जा बसे तो क्या, फिर भी दिल है हिंदुस्तानी। शायद अमेरिका जा बसे भारत के उन डॉक्टरों के दिलों में भी यही विचार मौजूद हैं। यही वजह है कि पहले जिला अस्पताल और अब जिले के ग्रामजन से अमेरिका के ये डॉक्टर रूबरू हो रहे हैं। रविवार को इसी क्रम में ग्रामीणों को गुब्बारे फुलाने का अभ्यास कराया। जिससे फेफड़ों को मजबूती मिलती है। जानकारी के अनुसार जिले के आदिवासी बाहुल्य ग्राम चिटोरीखुर्द में आज 20 मरीजो को अमेरिका की प्रसिद्ध डाक्टर निधि झाबेर ने जूम वर्चुअल मीटिंग से उपचार एवं आवश्यक परामर्श दिया। गिब वेक टू इण्डिया मुहिम के तहत अमेरिका के प्रसिद्ध कोविड एक्सपर्ट डाक्टरों की टीम ने आज जूम मीटिंग के माध्यम से आदिवासी बाहुल्य ग्राम चिटोरीखुर्द के मरीजो से बात की एवं उनके स्वास्थ्य का हाल जाना। ग्राम में यह प्रयोग पहली बार शक्तिशाली महिला संगठन के रवि गोयल एवं उनकी वालेण्टियर सोनम शर्मा के माध्यम से संभव हो पाया। सुबह प्रातः 7ः30 बजे अमेरिका में बसे भारतीय मूल की डाक्टर निधि झाबेर ने वालेण्टियर सोनम के माध्यम से टिप्स दिए। इसी दौरान बिना पल्स ऑक्सीमीटर के आशा कार्यकर्ताओ के ग्रामों में पहुंचने की पोल भी खुली। यह तब हुआ जब डा निधि ने आशा कार्यकर्ता से पल्स आक्सीमीटर के बारे में पूछा कि आप मरीज का आक्सीजन लेबल कैसे जांच करती हैं तो आशा कार्यकर्ता ने बताया कि उन्हें पल्स आक्सीमीटर उपलब्ध नही कराए गये तो वह जांच नही करती हैं। इस पर डा. निधि ने आशा कार्यकर्ता को समझाया कि जब किसी मरीज को सांस लेने में दिक्कत हो वह थोड़े चलने में भी हांप रहा हो तो ऐसे मरीज का आक्सीजन लेबल अचानक बहुत कम हो जाता है जिसके लिए ऐसे मरीजो को आपको हास्पीटल में भेजना होगा। इसके अलावा जो मरीज कोरोना से ग्रसित है, जिसका सेचुरेशन 92 से अधिक है उसको आपको घर पर ही होम आइसोलेट करना होगा ऐसे मरीजों को आप गांव के स्तर पर यह बोल सकती है कि आप फूकंना फुलाने का अभ्यास कर सकते हैं। यह आपको गांव में ही मिल सकता है जिससे कि मरीज के फैफड़े जल्दी मजबूत होगें और वह जल्दी स्वस्थ्य होगा। इसके अलावा आप उनको उल्टा लेटने का भी बोल सकती है इससे आक्सीजन लेबल बढ़ता है जिसको कि घरो पर आराम से सिखाया जा सकता है। हरे पत्तेदार सब्जियां एवं आयरन एवं प्रोटीन से भरपूर खाना खाने की सलाह दे सकते है। महिला बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग जल्द यह कमी पूरी करेगा ऐसी उम्मीद है।
यहां से की थी शुरुआत
सबसे पहले मिर्गी के रोग से पिछले 10 साल से पीड़ित लोटन उर्फ राजेन्द्र यादव डॉक्टर निधि ने उनकी बीमारी के बारे में जाना। उनको परामर्श दिया कि आपको मिर्गी के लिए लंबे समय तक दवाईयों का सेवन करना पड़ेगा तो आप ठीक हो सकते है। इसके अलावा डा निधि ने लोटन से पूरी बीमारी के बारे में विस्तार से जानकारी ली एवं उनको बड़े ही सहज एवं सरल शब्दो में मिर्गी के इलाज के बारे में बताया। डा निधि द्वारा ग्रामीण क्षेत्रो में जो कोरोना अपने पैर पसार रहा है उसके लिए मैदानी अमले से पूछा कि आप कैसे कोविड के मरीज की पहचान करते हो तो गांव चिटोरीखुर्द की आशा कार्यकर्ता सुषमा शर्मा ने बताया कि हम किल कारोना अभियान में घर घर जाकर गांव वालों से बुखार, सर्दी, खांसी के बारे में जानकारी ले रहे है। मेरे गांव में अभी 2 लोग बुखार एवं 12 सर्दी खांसी के मरीज मिले है जिनको कि हम मेडिसिन किट दे रहे हैं। जिसमें एण्टीवायोटिक, पैरासीटामौल एवं विटामिन सी एवं जिंक रहता है। वह देकर आ रहे हैं।
इन मरीजों से भी की बात
डा निधि द्वारा आज कोरोना मरीजों के अलावा उर्मिला आदिवासी से बात की जिनको पिछले 2 माह से सर मे दर्द की जांच कराने पर पता चला कि उनको माइग्रेन है। उनको भी आवश्यक उपचार एवं परामर्श दिया। इसके अलावा गीता यादव के सर में सफेद खाल निकलना, रुसी आना, खुजली होना, खुशबू शर्मा को पिम्पल की समस्या, रानी शर्मा को यूरीनरी इन्फेक्शन, विमला आदिवासी दाद खाज खुजली, गंगा आदिवासी, सन्ता आदिवासी, इंग्लिश, भूरी, पिस्ता एवं नसीहा आदिवासी महिलाओं ने अपनी समस्याओं को डा निधि को बताया जिसका कि डा निधि ने उपचार एवं परामर्श दिया। डा निधि ने गांव के जितने भी मरीज देखे उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नही है कि वह दवाईयां खरीद सके। इसके लिए शक्तिशाली महिला संगठन के रवि गोयल ने डा निधि एवं गांव वालों को यह दवाईया संस्था की ओर से निशुल्क उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया। यह मुहिम अब ऐसे ही गांव की ओर जारी रहेगी गांव वालो को डाक्टर निधि से जूम मीटिंग से कनेक्ट कराने में इण्डिया से सोनम शर्मा एवं अमेरिका से मिहिर भाई एवम गिव वेक टू इण्डिया की पूरी टीम का सहयोग रहा।

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