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कोरोना योद्धा नूर मोहम्मद को किया सम्मानित, बोले, 'अमीरी में अमीर अपना सुकून खोता है, मजदूर खा के सूखी रोटी आराम से सोता है'

शनिवार, 1 मई 2021

/ by Vipin Shukla Mama
शिवपुरी। अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर कोरोना जांच के सैंपल  एवम् संक्रमित मरीज़ के घर घर घर जाकर क्वारिंटाइन का बोर्ड  चस्पा करने वाले कर्मठ स्वास्थ्य कार्यकर्ता नूर मोहम्मद को शॉल श्रीफल व पौधा देकर सम्मानित किया। अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस हर वर्ष 1 मई को मनाया जाता है। जिसे लेबर डे, मई दिवस, श्रमिक दिवस आदि नामों से जाना जाता है। किसी भी देश के विकास में वहां के मजदूर का सबसे बड़ा योगदान होता है। ऐसे में यह दिवस उनके हक की लड़ाई उनके प्रति सम्मान भाव और उनके अधिकारों के आवाज को बुलंद करने का प्रतीक है। अभी पूरी दुनिया में कोरोना अपना कहर बरपा रहा है इसीलिए शक्तिशाली महिला संगठन द्वारा मजदूर दिवस के उपलक्ष में कोविड-19 संक्रमण में पिछले 1 साल से दिन रात मेहनत करने वाले स्वास्थ्य विभाग के कर्मठ कार्यकर्ता नूर मोहम्मद खान को स्वास्थ्य विभाग के सुनील जैन एवं रवि गोयल द्वारा संयुक्त रुप से शाल श्रीफल एवम् पौधा  देकर सम्मानित किया एवं उनके द्वारा किए जा रहे कार्य को प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के सुनील जैन ने कहा कि शक्तिशाली महिला संगठन द्वारा मजदूर दिवस पर नूर मोहम्मद जैसे कर्मठ मेहनती एवं इमानदार स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सम्मानित करके अच्छा कार्य किया है वह सही मायने में सम्मान के हकदार है। वह पिछले 1 साल से कोरोना महामारी के संक्रमण में कोरोना की जांच कराने वाले लोगों के सैंपल जिला चिकित्सालय से मेडिकल कॉलेज प्रतिदिन समय पर पहुंचा रहे हैं। इसके साथ साथ जो व्यक्ति कोरोना से ग्रसित हैं उनके घरों में जाकर घर के बाहर क्वॉरेंटाइन के स्टीकर एवम् बोर्ड चस्पा कर रहे हैं। कार्यक्रम के सूत्रधार शक्ती शाली महिला संगठन के रवि गोयल ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस अमेरिका में एक आंदोलन की शुरुआत 1 मई 1886 में हुई थी। पहले यहां मजदूरों से दिन के 15 घंटे काम लिए जाता था। जिसके खिलाफ 01 मई 1886 के दिन कई मजदूरों अमेरिका की सड़कों पर आ गए और अपने हक के लिए आवाज आवाज बुलंद करने लगे। जिस दौरान पुलिस ने कुछ मजदूरों पर गोली चलवा दी। जिसमें 100 से अधिक घायल हुए जबकि कई मजदूरों की जान चली गई। इसी को देखते हुए 1889 में 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया। साथ ही साथ सभी श्रमिकों का इस दिन अवकाश रखने के फैसले पर और 8 घंटे से ज्यादा काम न करवाने पर भी मुहर लगी। भारत के चेन्नई में 1 मई 1923 में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान की अध्यक्षता में मजदूर दिवस मनाने की परंपरा की शुरूआत हुई। जो मजदूरों पर हो रहे अत्याचार व शोषण के खिलाफ आवाज उठाने का प्रतिक है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य है मजदूरों की उपलब्धियों का सम्मान करना. उनके योगदान की चर्चा करना, उनके अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करना। इस अवसर पर सम्मानित होने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ता नूर मोहम्मद खान ने कहा कि अमीरी में अमीर अपना सुकून खोता है, मजदूर खा के सूखी रोटी आराम से सोता है, मैं पिछले 1 साल से कोरना के खिलाफ जंग में अपनी सेवाएं दे रहा हूं और मुझे बड़ा गर्व है कि मैं स्वास्थ विभाग में हूं और मैं दिन-रात लोगों की भलाई के काम में लगा हूं जिससे कि हम कोरोना को हरा सके मेरे इस कार्य में अरविंद रावत मेरा साथ देते है हम दोनों ही ये कार्य कर रहे है।

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