मुरैना। (यदुनाथ सिंह तोमर की रिपोर्ट)
बुलबुल नाम सुनकर लोगों के जहन में इस पक्षी के बारे में जानने की उत्सुकता बनी रहती है कि आखिरकार यह पक्षी देखने में कैसा होता है ज्यादातर लोग शहरी प्रवेश में रहते हैं उन्हें वन्यजीवों के बारे में ज्यादा जानकारी या तो नेशनल जियोग्राफिक चैनल या फिर वाइल्ड लाइफ से जुड़े हुए तमाम समाचारों के माध्यम से मिलती है मगर रूबरू होकर देखने की जिज्ञासा हर व्यक्ति के मन में पाई जाती है। भारत में यह पक्षी सभी जगह पर पाया जाता है देखने में बहुत ही आकर्षक लगता है। रेड-वेंटेड बुलबुल राहगीरों के बुलबुल परिवार का सदस्य है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में एक निवासी प्रजनक है, जिसमें श्रीलंका पूर्व में बर्मा और तिब्बत के कुछ हिस्सों तक फैला हुआ है। दुनिया में बुलबुल की किस्म लगभग एक से डेढ़ हजार प्रकार की होती हैं हर जगह इस पक्षी की अलग अलग पहचान देखने को मिलती है भारत में पाई जाने वाली बुलबुल जिसके सर पर कलंगी और गर्दन काले रंग की होती है तथा शरीर के ऊपर पंख होते हैं वह भूरे रंग के एवं चितकबरे पाए जाते हैं तथा पूछ के पीछे का भाग लाल रंग का होता है। हल्के काले रंग के पंजे की मुख्य पहचान है बुलबुल अपने मधुर बोली के लिए भी पहचानी जाती है तथा यह काफी फुर्तीला पक्षी होता है जो इधर से उधर उछल कूद करता पाया जाता है जिस प्रकार से कोयल की आवाज काफी मधुर लगती है उसी प्रकार से बुलबुल की आवाज भी मधुर होती है । बुलबुल को भोजन में कीट पतंगे पसंद है स्थानीय लोग इसे कई बार सिपाही बुलबुल भी कहते हैं क्योंकि फसलों में लगने वाले कीट पतंगे इनका मुख्य भोजन होते हैं । इसकी कलंगी काले रंग की होने के कारण एक नाम सिपाही बुलबुल भी है । मादा बुलबुल जब अंडे देने के बाद उनके ऊपर से ने के लिए बैठती है उस समय नर बुलबुल का काम उसकी सुरक्षा करना तथा उस समय उसके लिए भोजन का प्रबंध करना नर बुलबुल का दायित्व होता है ।बुलबुल के अंडों से बच्चे 4 से 5 दिनों के बाद ही निकल कर उड़ना प्रारंभ कर देते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें