महामारी से नहीं मनोबल टूटने से जंग हार रहे हैं लोग, हिम्मत से लीजिये काम
आंखों देखा हाल
स्वदेश के ब्यूरो चीफ उमेश भारद्वाज कोरोना से जंग जीतकर घर लौटे हैं। वे कहते हैं कि आज से ठीक 15 दिन पूर्व कोरोना लक्षण के आधार पर 2 दिन जिला चिकित्सालय में उपचार लिया, तबीयत बिगड़ने पर मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती हो गया। हां मैंने देखा कि लोग इस महामारी से इतने क्यों भयभीत हैं वह का क्या कारण है यह भी नहीं समझ सका, बस इतना समझा कि लोग महामारी से कम और भयभीत होकर मनोबल डाउन होने के कारण जिंदगी की जंग हारते चले जा रहे हैं। यदि मनोबल हिम्मत और थोड़ा सा कष्ट सहने की क्षमता शरीर में है तो कोरोना तो क्या इससे भी बड़ी जंग को व्यक्ति जीत रहा है। हां सच्चे दोस्त और हौसला बढ़ाने वालों का भी थोड़ा सा संवल मिल जाए तो जंग आसानी से और जल्दी भी जीती जा सकती है। मेरे साथ हरि ओझा राकेश शर्मा एक परिहार एक अन्य व्यक्ति उपचार के लिए दाखिल हुए थे। उससे कहीं अधिक यह चारों लोगों का शरीर काम कर रहा था लेकिन वह इतने भयभीत थे की मैं कुछ बता नहीं सकता। मैं खुद बीमार था इसके बाद भी मैंने अपने परिचित राकेश शर्मा एवं हरि ओझा पार्षद, एक अन्य जो मेरे पलंग के पास ही था उससे कहा की आप मुझसे कहीं अधिक स्वस्थ हो। आप इतना क्यों भयभीत हो रहे हो, मेरी हालत देखो जब मैं नहीं घबरा रहा तुम इतने क्यों भयभीत हो। डॉक्टर दवा दे रहा है ऑक्सीजन अपना काम कर रही है फिर डर कैसा, जो होगा देखा जाएगा लेकिन उन्होंने मेरी एक नहीं मानी और उन्होंने अगले दिन दम तोड़ दिया। ऐसे कई लोग हैं जो महामारी से नहीं डर से दम तोड़ रहे। मैं धन्यवाद देता हूं प्रमोद भार्गव, अशोक कोचेटा, विपिन शुक्ला, राजू शर्मा, लालू शर्मा, छोटे भाई डॉ अजय खेमरिया, भाजपा जिलाध्यक्ष राजू बाथम, डॉ राकेश राठौर, रंजीत गुप्ता, दिलीप शर्मा जिन्होंने मेरे हौसले को कम नहीं होने दिया, हौसला मेरा बढ़ाते रहें और मैं आज अपने परिवार के बीच में हूं।

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