भोपाल। मप्र माध्यमिक शिक्षा मण्डल ने 10वीं का परीक्षा परिणाम स्कूलों के आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर मंगाया है लेकिन बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि इस वर्ष का रिजल्ट स्कूलों के पिछले तीन सालों के रिजल्ट से दो फीसदी से ज्यादा ऊपर नहीं होना चाहिए। इसके चलते निजी स्कूलों संचालक अपने स्कूलों के बोर्ड के रिजल्ट को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर नहीं बना सकेंगे। माध्यमिक शिक्षा मण्डल के सचिव उमेश सिंह का कहना है कि आतंरिक मूल्यांकन के आधार पर अंक मंगाते समय बोर्ड ने पिछले तीन वर्षों के औसत देखने का प्रावधान रखा है। किसी भी स्कूल का रिजल्ट पिछले तीन वर्षों के औसत से प्लस दो फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता। इससे परिणाम सही रहेंगे। बता दें कि यह बंधन इसलिए लाया गया है कि छत्तीसगढ़ बोर्ड की ओर से दो दिन पहले जारी किए गए 10 वीं के परीक्षा परिणामों में 100 फीसदी विद्यार्थी उत्तीर्ण होने के साथ 97 फीसदी विद्यार्थी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए हैं। यह कारनामा स्कूलों द्वारा अपने विद्यार्थियों को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर परिणाम तैयार करने की प्रक्रिया के चलते किया गया।

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